- किसानों के नाम पर करोड़ों कमा रहे पैक्स अध्यक्ष और सहकारी बैंक के मैनेजर
- मधुबनी जिला के 399 पंचायतों के 51,740 किसानों के नाम से कराया गया 146 करोड़ रुपये की फसल बीमा
- 1.06 करोड़ रुपये की फसल बीमा सिर्फ मनपौर पंचायत के पैक्स अध्यक्ष ने 291 किसानों के नाम पर करवायी
पटना। बिहार के मधुबनी जिला में किसान कर्जमाफी और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी का मामला उजागर हुआ है। इस खुलासे में कहा गया है कि मधुबनी जिला के बेनीपट्टी प्रखंड स्थित मनपौर पंचायत में पैक्स अध्यक्ष समेत कई पैक्स अध्यक्ष और बेनीपट्टी स्थित सहकारी बैंक के मैनेजर इस खेल में शामिल हैं। इस मामले को लेकर प्रखंड कार्यालय से खरीफ फसल वर्ष 2016 के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़े जो दस्तावेज मिले हैं, उसके अनुसार, बेनीपट्टी ब्लॉक में किसानों के नाम पर बैंक के अधिकारी और पैक्स अध्यक्ष मिलकर सरकार और पैक्स के सदस्यों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं।
आलम यह है कि बेनीपट्टी प्रखंड के मनपौर पंचायत से ही पैक्स अध्यक्ष ललन झा ने अकेले 291 लोगों का करीब 1.06 करोड़ रुपये का बीमा करवा रखा है। इनमें से 273 लोग रहिका सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कर्जदार हैं। शेष लोग उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और भारतीय स्टेट बैंक के कर्जदार हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों को भनक तक नहीं है कि उनके नाम पर हर साल पैक्स अध्यक्ष कर्ज का उठाव कर रहे हैं और फसल बीमा की मामूली रकम देकर फसल की क्षतिपूर्ति भी उठा रहे हैं। प्रखंड कार्यालय से उपलब्ध दस्तावेज में भी यह जानकारी नहीं दी गयी है कि किसने, कब और कितना कर्ज लिया? दस्तावेज सिर्फ यही बताते हैं कि 291 किसानों ने कर्ज ले रखा है। कर्जदारों ने अधिकतम 50 हजार रुपये की फसल बीमा करवा रखी है। दस्तावेज बताते हैं कि खरीफ फसल वर्ष 2016 में मधुबनी जिले की 472 पंचायतों के 51,740 किसानों के नाम पर 146 करोड़ रुपये की बीमा करवायी गयी और ये सभी किसी न किसी बैंक के कर्जदार हैं।
उपलब्ध दस्तावेज से स्पष्ट है कि पैक्स अध्यक्ष और सहकारी बैंक के मैनेजरों ने जमीन के दस्तावेजों की जांच किये बगैर आंख मूंदकर कर्ज बांटे हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब फसल बीमा आैर कर्जमाफी के नाम पर उठायी गयी राशि लाभुक के बैंक खाते में नहीं गयी। हालांकि, इस प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी करने के पहले पैक्स अध्यक्ष ने झांसे में लेकर पंचायत के किसानों से उनके आधार कार्ड की छायाप्रति, फोटो आैर दस्तावेज पर उनके हस्ताक्षर ले लिये आैर इस आधार पर बैंक से पैसे की नकदी निकासी कर ली। रकम की निकासी करने के बाद पैक्स अध्यक्ष ने निर्गत राशि अपनी मर्जी से बांटे। किसी को दिया, किसी को नहीं दिया, लेकिन इतना तय है कि किसी भी व्यक्ति को लोन की पूरी राशि नहीं दी गयी।
प्रखंड कार्यालय की आेर से उपलब्ध कराये गये दस्तावेज में दर्ज कर्जदारों की सूची सार्वजनिक होने पर मनपौर पंचायत के किसानों के पैरों तले से जमीन ही खिसक गयी। अहम बात यह है कि पैक्स अध्यक्ष की दबंगर्इ की वजह से उसके खिलाफ आवाज उठाने की कोर्इ हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। लोगों की परेशानियां तब और बढ़ गयीं, जब उन्हें खरीफ फसल वर्ष 2016 में कर्ज लेने वालों की लिस्ट में ऐसे लोगों के भी नाम दर्ज होने की बात का पता चला, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।
दस्तावेज में चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिस आदमी ने वर्षों से गांव में कदम तक नहीं रखा, उनके नाम पर भी लोन उठा लिया गया है। मनपौर गांव में जिसके पास खेती लायक एक धुर भी जमीन नहीं है, उनके नाम पर भी लोन का उठाव किया गया है आैर उनके नाम पर 50-50 हजार रुपये तक का फसल बीमा भी कराया गया है। इस सूची में खेती योग्य भूमि का रकबा भी विश्वसनीय नहीं है। उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार, 97 लोगों की जमीन का रकबा समान है। इनके पास 0.7946598856 हेक्टेयर भूमि है। वहीं, 82 लोगों के पास 1.0595465141 हेक्टेयर, 48 लोगों के पास 1.1919898284 हेक्टेयर, 42 लोगों के पास 1.3244331426 हेक्टेयर और तीन व्यक्ति के पास 0.9271031998 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसके एवज में इन्हें कर्ज दिया गया है।
सूची में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पंचायत के कर्इ पिता-पुत्र दोनों के नाम पर कर्ज का उठाव किया गया है। कई ऐसे लोगों के नाम पर भी कर्ज उठा लिया गया है और उनके नाम पर प्रधानमंत्री फसल बीमा भी करवायी गयी है, जिन्होंने न तो कभी लोन के लिए आवेदन किया आैर न ही खेती-बाड़ी से उनका दूर-दूर तक कोई रिश्ता है। ऐसे पिता-पुत्र के नाम पर भी लोन का उठाव किया गया है, जिसके पास खेती योग्य भूमि तक नहीं है। और तो और, पिता-पुत्र की भूमि का रकबा भी समान है। बेनीपट्टी प्रखंड स्थित मनपौर पंचायत के पैक्स अध्यक्ष ने तो अपने परिवार के नौ सदस्यों के नाम पर लोन का उठाव कर रखा है। इन सभी के नाम पर 50-50 हजार रुपये की फसल बीमा भी करवा रखी है। यह सिर्फ खरीफ फसल वर्ष 2016 का आंकड़ा है। यह खेल वर्षों से चल रहा है।
दस्तावेजों के अनुसार, इन सबके नाम 1.3244331426-1.3244331426 हेक्टेयर जमीन है। इस तरह इस परिवार के पास कुल मिलाकर 11.9198982834 हेक्टेयर जमीन होनी चाहिए, जबकि इनके पूरे परिवार के पास इतनी जमीन नहीं है।
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