सचिन पायलटः चउबे गएन छब्बे होय बनि गएन दूबे

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सचिन पायलट की दूर हुई नाराजगी
सचिन पायलट की दूर हुई नाराजगी
  • शेष नारायण सिंह 
शेष नारायण सिंह
शेष नारायण सिंह

सचिन पायलट के मन में लोकतांत्रिक और सेकुलर मूल्यों के प्रति फिर से जागी आस्था के बाद दिल्ली के गलियारों में राजनीतिक पैंतरेबाजी का एक और अध्याय लिखा जा रहा है। कांग्रेस को चुनौती देने वाले अठारह कांग्रेसी विधयाकों के औकात बोध के इलहाम के बाद ऐसा लगता है, राजस्थान की अशोक गहलौत सरकार को गिराने के सपने ज़मींदोज़ हो  चुके हैं। दिल्ली में अपने मित्र राहुल गांधी और उनकी बहन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलकर बागियों के नेता सचिन पायलट घर वापसी की राग अलाप रहे  हैं। कांग्रेस आलाकमान के भरोसेमंद महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दावा किया है कि सचिन पायलट अब कांग्रेस पार्टी और राजस्थान सरकार के हित में काम करने के लिए वचनबद्ध हैं। क्योंकि उनको यह बाद अच्छी लगी है कि कांग्रेस पार्टी तीन सदस्यीय कमेटी बनायेगी, जो सचिन पायलट और उनके पीड़ित विधायकों की  शिकायतों का हल कर देगी।

इसमें दो राय नहीं है कि सचिन पायलट की भारी किरकिरी हुई है, लेकिन उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं के सामने उन्होंने कोई समर्पण  नहीं किया  है। कांग्रेस के आला नेताओं ने उनकी शिकायतों का समयबद्ध निपटारा करने का वचन दिया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि  हमने कांग्रेस नेतृत्व के सामने सिद्धांतों के मुद्दे को उठाया था। उसका वायदा हो गया है। दिल्ली में मंगलवार के घटनाक्रम को देखने से लगता है कि अशोक गहलौत सचिन पायलट को सरकार में तो वापस नहीं लेंगे। शायद इसी की पेशबंदी के लिए पायलट ने खुद ही दावा कर दिया  है कि वे किसी पद के पीछे नहीं भागते। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कुछ  व्यक्तिगत टिप्पणियाँ की गयी थीं,  जो नहीं की जानी चाहिए थीं।

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ताज़ा घटनाक्रम के बाद अशोक गहलौत को अपने आक्रामक रुख से पीछे हटना पडेगा, क्योंकि कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट को  वायदा कर दिया है कि उनके साथी विधायकों के खिलाफ राजस्थान सरकार ने जो मुक़दमे दर्ज किए थे, वे वापस ले लिए जायेंगे। मुकदमे भी कोई मामूली नहीं हैं। उनमें कुछ विधायाकों के खिलाफ तो देशद्रोह के मुक़दमे कायम कर दिए गए  हैं। दिल्ली की किल्ली थोड़ी  ढिल्ली मानी जाती  है, इलसिए यहाँ की राजनीति में कुछ भी हो सकता है। जब से दिल्ली देश की राजधानी बनी है, तब से यहाँ के अमीर उमरा लोग यहाँ के  सुलतान, बादशाह, वायसराय और प्रधानमंत्री को चैन से नहीं  बैठने देते। राजा को पता  ही नहीं होता, लेकिन  जमुना के तीरे  बसने वाले सियासत के ए  रईस किसी भी मोहरे को प्यादे से फर्ज़ी बनाने  की मुहिम चलाते रहते हैं।

रज़िया सुलतान से लेकर इंद्र कुमार गुजराल तक के राजाओं ने दिल्ली की इस फितरत को झेला है। अशोक गहलौत भी उसी अमीर उमरा बिरादरी की  तिकड़मबाजी का शिकार होते होते बच गए। अशोक गहलौत ने भी खेल को पलटने की पूरी कोशिश की और लगता है कि उनकी जादूगरी राजनीति  मौजूदा सियासी खेल में कोई और पेंच लगाने की फ़िराक में है।

अभी कल तक तो कांग्रेस के विधायक ही दल बदल कॆ लालच की लपेट में थे। अठारह विधायक तो बागी हो ही गए थे और  हरियाणा में मेहमाननवाजी का आनंद ले रहे थे। चर्चा यह भी थी कि जयपुर के होटल में  आराम कर रहे  कांग्रेसी विधायकों पर भी लालच के डोरे डाले जा रहे थे। अशोक गहलौत  ने घबड़ाकर अपने विधायकों को जैसलमेर शिफ्ट कर दिया था। लेकिन मंगलवार को दिल्ली की गप्पी जमातों में चर्चा थी कि अशोक गहलौत कुछ बीजेपी विधायकों को भी अपने साथ लेने के चक्कर में हैं। शायद इसीलिये बीजेपी के बड़े नेता भी चिंतित हैं और  संदेह के घेरे में आये अपने उन्नीस विधायकों को  शनिवार को गुजरात के पोरबंदर नगर  पंहुचा दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की बड़ी नेता वसुंधरा राजे को बीजेपी के  नेताओं को सुझाव दे दिया है  कि  उन्हें पार्टी के सभी विधायकों को एकजुट रखने में मदद करनी चाहिए। जब से ऑपरेशन सचिन पायलट शुरू हुआ  है, वसुंधरा राजे ने अपने को विवाद या चर्चा से अलग कर रखा था। बताने वाले बताते  हैं कि वे बीजेपी के नेताओं की तरफ से सचिन पायलट को दिए जा रहे महत्व से खुश नहीं थीं। इसके पहले उनके भतीजे, ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश की  बीजेपी राजनीति में मिले  महत्व से भी वे खुश नहीं थीं। अब  उन्हीं  ज्योतिरादित्य सिंधिया के घनिष्ठ मित्र और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को मिलने वाली तवज्जो भी उनको अच्छी नहीं लग रही थी। ऐसा लगता है कि राजस्थान में सचिन पायलट को महत्व देना बीजेपी को थोडा नुकसान पंहुचा चुका है।

कांग्रेस विधायक  दल  में तो फूट नहीं डाल सके, लगता है कि उनके अपने विधायकों का ही ईमान डोलने लगा है। चौबे गएन छब्बे होय बनि गएन दूबे। अवधी की यह  कहावत बीजेपी के  राजस्थान अभियान पर बिलकुल फिट बैठती है।

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