लालू प्रसाद के बेल रिजेक्शन को भुनाने की तैयारी में जुटा राजद

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सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से चारा घोटाले की सूचनाएं खबर बनती थी। बचपन के दिनों में अक्सर सुनते थे कि सांढ़ स्कूटर पर ढोये गये। तब आश्चर्य होता था।
सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से चारा घोटाले की सूचनाएं खबर बनती थी। बचपन के दिनों में अक्सर सुनते थे कि सांढ़ स्कूटर पर ढोये गये। तब आश्चर्य होता था।

रांची। चारा घोटाले मामले में सजा काट रहे आरजेडी सुप्रीमो व  बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका झारखंड हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने 4 जनवरी को लालू की तीन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को हाईकोर्ट ने स्पेशल सूची तैयार कर 2.15 बजे केस को सूचीबद्ध किया और फैसला सुनाते हुए लालू की जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही आरजेडी के रणनीतिकार इसे आसन्न लोकसभा में भुनाने की तैयारी में जुट गये हैं। अब आरजेडी इसी को आधार बना कर जनता के बीच सहानुभूति वोट हासिल करने की कोशिश करेगा।

लालू प्रसाद ने सामान्य प्रक्रिया के तहत जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। आवेदन में बढ़ती उम्र और तमाम तरह की खतरनाक बीमारियों का हवाला दिया था। वैसे आरजेडी को यह अनपमान था कि बेल मिलना आसान नहीं है। अब आरजेडी इसी को आधार बना कर जनता के बीच सहानुभूति वोट हासिल करने की कोशिश करेगा। आरजेडी का मानना था कि जमानत मिल जाती है तो नाजुक मोड़ पर खड़े महागठबंधन को सीटों के बंटवारे और चुनावी रणनीति में लालू प्रसाद की मदद मिलेगी। अगर बेल खारित हो जाता है तो इसी मुद्दे को लेकर खासकर आरजेडी जनता के बीच जायेगा और अपने वोटर को गोलबंध करने की कोशिश करेगा।

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लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के देवघर, चाईबासा और दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सजायाफ्ता हैं। सजा के खिलाफ लालू प्रसाद ने हाईकोर्ट में अपील याचिका दाखिल की थी। पिछले दिनों उनकी ओर से जमानत की मांग करते हुए आइए (हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में बढ़ती उम्र व कई बीमारियों का हवाला देकर जमानत  की गुहार कोर्ट  से लगाई गई थी।

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लालू सजा काट रहे हैं, लेकिन बीमारी के कारण अभी रांची रिम्स में भर्ती हैं। उनसे मुलाकात का दिन शनिवार निर्धारित है। मुलाकाती उसी दिन उनसे मिल सकते हैं। महागठबंधन नमें सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान चल रही है। ऐसे वक्त में उनका जेल से बाहर रहना राजनीतिक दृष्टि से आरजेडी के हित में होता।

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