SC/ST की राजनीतिक भागीदारी समाज हित में महत्वपूर्णः राजीव

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पटना। पिछड़ा-अतिपिछड़ा महासम्मेलन के अध्यक्ष सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के विकास के लिए समुचित राजनीतिक भागीदारी को अतिमहत्वपूर्ण बताते हुए नवंबर में पटना में आयोजित होने वाले महासम्मेलन में चार प्रमुख बिन्दुओं पर चर्चा होने की बात कही। 68 साल से लंबित पिछड़ा-अतिपिछड़ा आयोग को संवैधानिक मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार को कोटिश: धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस सराहनीय कदम से अब निश्चय ही इस समाज के विकास को नए पंख लगेंगे, लेकिन अभी भी कई अन्य मुद्दे हैं, जिनके बिना हमारे समाज का समुचित विकास नही हो सकता।

उन्होंने कहा कि याद करें तो बीपी मंडल की रिपोर्ट के अनुसार इस समाज की संख्या कुल जनसंख्या का 52% है। यानी बिहार की 11 करोड़ जनसंख्या में लगभग पौने 6 करोड़। लेकिन फिर भी इस समाज का उतना विकास नही हुआ, जैसा होना चाहिए था। अपने इस समाज के विकास को ध्यान में रखते हुए ही हम आगामी 18 नवंबर को पटना में पिछड़ा-अतिपिछड़ा महासम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं, जहां कुछ मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा की जायेगी। इन बिन्दुओं में सबसे महत्वपूर्ण और प्रथम विषय है, इस समाज में आपसी एकता लाना। इसी आपसी एकता के न होने से कांग्रेस व अन्य दलों द्वारा इस समाज का आज तक शोषण किया गया है। दूसरा विषय इस समाज को कोटा की जगह भागीदारी दिलवाना है। याद करें तो आजादी के बाद से अगले 50 सालों तक कांग्रेसी सरकारों ने इस समाज को महज 4-5% के कोटे में बांधे रखा। कांग्रेस को लगता था कि यह समाज अशिक्षित है, इसलिए इन्हें ज्यादा कोटा नही देना चाहिए। बाद में शिक्षा का स्तर बढ़ने पर भी इस समाज को मिलने वाले कोटे में कोई ख़ास बढ़ोतरी नहीं की गयी और मामूली बढ़ोतरी कर इसे 8-9% तक कर दिया गया, जो इस समाज के साथ सरा-सर नाइंसाफी है। इस महासम्मेलन में हमारी यह मांग रहेगी कि कुल जनसंख्या के 52% इस समाज को कम से कम 40% की राजनीतिक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, जिससे यह समाज भी विकास की मुख्यधारा में आ सके। इसके अलावा एक और विषय हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है, जिसे इस महासम्मेलन में शामिल किया जायेगा।

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याद करें तो पिछले कुछ वर्षों में हमारे इस समाज में 35-36 अन्य जातियों को जोड़ा गया है, जिसका सीधा प्रभाव इस समाज के विकास पर पड़ रहा है। इस वजह से आगे इस समाज में असंतोष न फैले इसके लिए जरूरत अभी से ही एक एक संतुलन बनाने की है। जो हमारे समाज के सामाजिक और आर्थिक रूप से अत्यंत रूप से पिछड़ी कुछ जातियों जैसे धानुक, मल्लाह, चन्द्रवंशी, बिंद आदि को महादलित में रखने से ही संभव हो सकेगा। महासम्मेलन इस बाबत चर्चा करके इसकी मांग की जाएगी।

श्री रंजन ने आगे कहा कि हमारे इस अभियान की शुरुआत नालंदा से पहले ही हो चुकी है, और फ़िलहाल इस अभियान से जुड़े हमारे साथी हमारे संदेश और इस महासम्मेलन का आमन्त्रण ले कर राज्य के कोने-कोने में जा रहे हैं, जहां से हमे काफी अच्छी प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन मिल रहा है। इस महासम्मेलन के प्रति हमारे इस समाज के लोगों का उत्साह को देखते हुए हमें पूर्ण विश्वास है कि पिछड़ा अतिपिछड़ा समाज की एकता के लिए किए जाने वाले हमारे प्रयास रंग लाएंगे और हम अपने समाज को राजनेताओं का शिकार बनने से बचाने के साथ देश के विकास जोड़ने में जरूर सफल होंगे।

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