पीएम मोदी के अंधविरोध में अपने पांवो पर कुल्हाड़ी मार रहा है विपक्ष: राजीव रंजन

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महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने वाला है केंद्रीय बजट। उनके लिए बजट में कई प्रावधान हैं। यह कहना है बिहार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक राजीव रंजन का।
महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने वाला है केंद्रीय बजट। उनके लिए बजट में कई प्रावधान हैं। यह कहना है बिहार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक राजीव रंजन का।

“कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष बौखलाहट का शिकार हो गया है”

पटना: विपक्षी दलों पर एक बार फिर से जोरदार प्रहार करते हुए भाजपा के प्रवक्ता सह पूर्व विधायक राजीव रंजन ने कहा कि, “लोकसभा चुनावों में लगातार मिली दूसरी करारी हार के बाद कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष बौखलाहट का शिकार हो गया है। पूरी कोशिश के बाद भी पिछले पांच सालों में इन्हें मोदी सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं मिल पाया, जिसके बाद उन्होंने अपना पूरा ज़ोर मोदी सरकार के खिलाफ झूठ बोलने और दुष्प्रचार करने में लगा दिया है।“

“इन दलों के कई नेता पाकिस्तान के पोस्टर ब्वॉय बने हुए हैं”

रंजन ने कहा, मोदी सरकार के अंधविरोध में ये इतने आगे बढ़ गये हैं कि अब इन्हें पाकिस्तान की भाषा बोलने से भी परहेज नहीं रहा। स्थिति यह है कि आज इन दलों के कई नेता पाकिस्तान के पोस्टर ब्वॉय बने हुए हैं। इनके बयान वहां की मीडिया में छाए हुए हैं। इनके बयानों को हथियार बना कर पाकिस्तान अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहा है।

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“मोदी विरोध में अब इन्हें जनभावनाओं की भी फ़िक्र नहीं”

राजीव ने आगे कहा, वास्तव में यह दल पूरी तरह से नकारात्मक राजनीति के शिकार हो गये हैं, जिसे जनता रत्ती भर भी पसंद नहीं करती। मोदी विरोध में न तो इन्हें अपना गिरता जनाधार दिख रहा है, न तेजी से खोती हुई अपनी विश्वसनीयता। आज भारत में हुए कोई भी अच्छा काम इनके गले नहीं उतरता। यहां तक कि ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से लेकर ‘तीन तलाक’ जैसे ऐतिहासिक मुद्दों पर भी यह बिना सोचे-समझे उसके विरोध में खड़े हो चुके हैं। इससे साबित होता है कि मोदी विरोध में अब इन्हें जनभावनाओं की भी फ़िक्र नहीं रही। इनके कारनामों से ऐसा प्रतीत होता है मानों, यह खुद ही अपने खात्मा पर तुले हुए हैं।

“अपने खिलाफ मिले जनादेश को पचा नहीं पा रहे”

सत्ता को अपनी जागीर और जनता को अपना गुलाम मानने वाले यह अभी तक अपने खिलाफ मिले जनादेश को पचा नहीं पाए हैं। इन्हें अभी तक यह यकीन ही नहीं हो पाया है कि ‘बांटो और राज करो’ की अंग्रेजों से उधार ली हुई उनकी रणनीति को जनता पूरी तरह नाकार चुकी है। इसीलिए अब हताशा में यह खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं।”

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