बिहार में पक रही सियासी खिचड़ी, NDA के घटक दलों का डोला मन

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पटना। बिहार में पहले राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के नेता उपेंद्र कुशवाहा सामाजिक समरसता के समीकरणों की खीर पका रहे थे। खीर तो नहीं बनी, पर खिचड़ी खाने-पकाने वाली जमात में उन्होंने ठौर तलाशनी शुरू कर दी। अब एक नयी सियासी खिचड़ी पक रही है। अगर यह कारगर रही तो नये सियासी समीकरण देखने को मिलेंगे। एनडीए का बिहार में बड़े पार्टनर नीतीश कुमार का मन डोलने लगा है। वह भाजपा से पिंड छुड़ाने के प्रयास में हैं। उधर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता राम विलास पासवान ने तो एनडीए छोड़ने का इशारा ही कर दिया है। उनके बेटे चिराग इसके पक्ष में नहीं थे, लेकिन बताया जाता है कि वह भी मान गये हैं।

पिछले कुछ दिनों से राम विलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान के बोल-बयान और हाव-भाव भाजपा को चिढ़ाने वाले रहे हैं। कभी राम मंदिर के नाम पर तो कभी सीटों के बंटवारे में विलंब और संख्या को लेकर बाप-बेटे भाजपा विरोधी बयान दे रहे हैं। रामविलास के भाई ने तो सात दिनों का अल्टीमेटम तक भाजपा को दे दिया है।

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चिराग एक कदम आगे बढ़ कर बोल गये। उन्होंने कह दिया कि एनडीए की हालत खराब है। नाजुक दौर से एनडीए गुजर रहा है। साथी साथ छोड़ रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा अलग हो गये। चंद्र बाबू नायडू ने किनारा कर लिया। शिवसेना आंखें दिखाती रहती है। अकाली दल भी उकता गया है। भाजपा को छोटे दलों की कोई परवाह ही नहीं है।

नीतीश तो पहले से ही संकेत देते रहे हैं कि उनके मुताबिक नहीं हुआ तो कोई भी कदम उठा सकते हैं। कम्युनलिज्म के मुद्दे पर उनका साफ कहना है कि कोई भी साथ रहे (इशारा भाजपा की ओर), वह इससे संमझौता नहीं कर सकते। उनके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत शोर ने भी साफ कर दिया है कि मंदिर मुद्दे पर वह भाजपा के साथ नहीं हो सकते। यह एनडीए के एजेंडे में नहीं है।

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संभावना यह जतायी जा रही है कि नीतीश, पासवान और कांग्रेस के साथ गठजोड़ आने वाले दिनों में होगा। राजद अलग-थलग पड़ जाएगा या फिर नये महागठबंधन में शामिल भी होगा तो लीड करने की भूमिका उसकी नहीं रहेगी। राजद ने भी नीतीश कुमार के बार में सुर बदले हैं। खासकर तेजप्रताप ने। उन्होंने पहले बं गला मांगा और नीतीश ने उन्हें अलाट करा दिया। तेज प्रताप पहले नो एंट्री की तख्ती दिखा कर नीतीश के बारे में कड़ी टिप्पणी करते थे। अब लगता है कि उनका भी मन बदल गया है। उन्होंने बयान दिया कि नीतीश जी अगर राजद के साथ आते हैं तो उनका स्वागत है। उनका यह बयान लालू से रांची में मिलने के अगले दिन ही आया। इससे साबित होता है कि बिहार में कुशवाहा भले ही खीर नहीं बना पाये, पर एनडीए से अलग होकर कई दल बिहार में खिचड़ी जरूर पका लेंगे।

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