बिहार एनडीएः 17-17 सीटों पर जदयू-भाजपा, लोजपा को 6 सीटें

0
241
बिहार के लोग, जो बाहर फंसे हुए हैं, उनसे फीडबैक लेकर उनकी परेशानियों दूर करें। जो घर आ गये हैं, उनकी पहचान कर टेस्ट करायें और जरूरी मदद करें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थितियों की समीक्षा के दौरान ये निर्देश दिये।
नीतीश कुमार

नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बिहार एनडीए में सीटों के बहुप्रतीक्षित मामले का रविवार को पटाक्षेप हो गया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आवास पर जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) संसदीय बोर्ड के चेयरमैन चिराग पासवान के साथ भाजपा के बिहार प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव का जुटान अमित शाह के आवास पर हुआ। सीटों के फार्मूले पर चर्चा के बाद संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में सीटों के बंटवारे का ऐलान हो गया। भाजपा बड़ी पार्टी होते हुए भी बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटों में 17 पर लड़ेगी। जदूय को 17 सीटें मिली हैं। लोजपा को 6 सीटें देने का फैसला हुआ है। राम विलास पासवान को राज्यसभा भेजने पर भाजपा सहमत हो गयी है। संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अमित शाह ने ऐलान किया।

सीटों के बंटवारे को लेकर पिछले छह महीने से बिहार एनडीए में घमासान मचा हुआ था। सबसे पहले जदयू ने अपनी सीटें भाजपा से अधिक रखने के लिए नीतीश को बड़ा भाई बनाने की मांग लगातार उठाई। रामविलास पासवान ने कभी एससी-एसटी ऐक्ट तो कभी मोदी सरकार के साढ़े चार साल के कामकाज का ब्योरा मांगा। 2014 के एनडीए के साथी रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सीटों के सवाल पर एनडीए को अलविदा तक कह दिया।

- Advertisement -

बिहार में 2014 का लोकसभा चुनाव तिकोना हुआ था। उसमें तबके एनडीए के पार्टनर उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा को तीन सीटों पर जीत मिली थी। राम विलास पासवान की लोजपा को 6 और नीतीश कुमार के जदयू को 2 सीटें मिली थीं। सर्वाधिक सीटें भाजपा को 22 मिली थीं। बाकी 10 सीटों पर कांग्रेस, पप्पू यादव की जापलो, एनसीपी व राजद जीते थे।

यह भी पढ़ेंः 

चप्पल के सोल में छिपाये गये थे मोबाइल व चार्जर, कैदी को देने की थी साजिश

पेंशन का इंतजार करती रही, अंत में चल बसी 120 वर्षीय वृद्धा

बिहार के 10 हाफिजों को 12वीं तक की मुफ्त शिक्षा दिलायेगा फ्लेम

सुकर्मा और शुक्ल योग में आएगा 2019, जानें वार्षिक राशि फल

अब एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा नहीं रहे, लेकिन उनकी जगह जदयू की एंट्री हो गयी है। नरेंद्र मोदी की लहर इस बार भाजपा को नहीं दिख रही। यही वजह है कि भाजपा ने 22 सीटों पर जीत के बावजूद कम सीटों पर लड़ने का निर्णय लिया और 2 सीटें जीतने वाली जदयू को 17 सीटें दे दीं। राम विलास पासवान को पिछली बार की सीटों के मुकाबले इस बार मांग के बावजूद अधिक सीटें तो नहीं मिलीं, लेकिन पिछली बार की ही तरह 6 सीटें उन्हें भाजपा ने दी हैं।

- Advertisement -