मुमताज बन गयी मधुबाला, हीरोइन बनने के लिए ठोकरें भी खायीं

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मुमताज बन गयी मधुबाला, हीरोइन बनने के लिए ठोकरें भी खायीं। पिता मुमताज को लेकर जहां-तहां हीरोइन का रोल दिलाने के लिए घूमते रहे।
मुमताज बन गयी मधुबाला, हीरोइन बनने के लिए ठोकरें भी खायीं। पिता मुमताज को लेकर जहां-तहां हीरोइन का रोल दिलाने के लिए घूमते रहे।
  • वीर विनोद छाबड़ा

मुमताज बन गयी मधुबाला, हीरोइन बनने के लिए ठोकरें भी खायीं। पिता मुमताज को लेकर जहां-तहां हीरोइन का रोल दिलाने के लिए घूमते रहे। एक डायरेक्टर ने तो उसकी सुंदरता देख असली फिगर देखने की इच्छा बात कह दी थी।

बेबी मुमताज बड़ी हो रही थी। उसकी स्थिति न बच्ची वाली थी और न किशोरी में। बॉम्बे टॉकीज़ की देविका रानी ने बेबी मुमताज़ को मधुबाला बना दिया था। उसे नौकरी पर रख कर बाकायदा वेतन देना भी शुरू कर दिया था।

आश्वासन दिया गया कि जैसे ही कोई रोल होगा, बुला लिया जाएगा। लेकिन मधुबाला के अब्बू अताउल्लाह खान को यह बात बहुत नागवार लग रही थी। वो बहुत बेचैन थे कि बेटी जवान हो रही है और इसके टैलेंट का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। ऐसा वो इसलिए सोच रहे थे कि बेबी की कीमत बढ़ जाए। वो इस स्टूडियो से उस स्टूडियो भटक रहे थे। कभी राजकमल के शांताराम जी के यहां तो कभी रंजीत मूवीटोन के चंदूलाल शाह के पास।

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बेबी की सुंदरता की सभी ने प्रशंसा की, लेकिन काम नहीं दिया। बस आश्वासन ही मिलते रहे। कई लोग बेबी को ग़लत निगाह से देखते थे। लेकिन बेबी के मज़बूत खान अब्बू के होते हुए किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि मुंह पर कोई कुछ कहे या छू भर दे।

एक दिन अताउल्लाह खान की मुलाकात एक नामी स्टूडियो मालिक से हुई। वो डायरेक्टर भी थे। उनके सामने बेबी को पेश किया गया। अताउल्लाह ने बेटी की सुंदरता और प्रतिभा की दिल खोल कर प्रशंसा की और बताया कि फलां-फलां फिल्मों में वो चाइल्ड आर्टिस्ट का काम भी कर चुकी है। अब बेबी एडल्ट हो चुकी है तो हीरोइन का किरदार चाहिए।

डायरेक्टर साहब ने बेबी को सर से ऊपर तक भरपूर प्रशंसनीय निगाहों से देखा। फिर फरमाइश की- इसे हीरोइन का रोल ऑफर करने से पहले इसकी असली फिगर देखना चाहता हूं। अताउल्लाह ने वही किया, जो एक बाप को करना चाहिए था। न शोर मचाया और न डायरेक्टर को पीटा। इससे बदनामी का खतरा था। वो बेबी को लेकर फ़ौरन से पेश्तर खिसक लिए। हां, मन ही मन खूब गालियां दीं उस प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को।

कुछ दिन बाद केदार शर्मा की ‘नील कमल’ में बेबी को बतौर हीरोइन साइन कर लिया गया। हीरो राजकपूर थे। यह मधु की पहली फिल्म थी। इस घटना का ज़िक्र मैंने एक किताब में पढ़ा था।

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