मलिकाइन के पातीः बड़का नेंव आ ढेर नेवतरही तबाही के घर होला

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पावं लागी मलिकार। ए मलिकार, सबेरे पांड़े बाबा बतावत रहवीं कि वोट होखे वाला बा। एगो खबर पढ़ के उहां के खूबे हंसत रहवीं। दुआर पर बइठल लोगवो संगे-संगे ठहाका लगावत रहुवे लोग। का दूना लालू जादो जेल में बइठ के तय करिहे कि उनका पाटी से के-के चुनाव लड़ी। हमरा त बुझइबे ना कउवे कि ई कइसे हो सकेला। फेर केहू के पूछला पर पांड़े बाबा कहवीं कि जेल में उनका से मिले खातिर बड़-बड़ नेता लोग जाला। उनकर बेटो लोग जाला। ओही जा ऊ राय दीहें कि के कहवां से लड़ी भा के-के लड़ी।

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ढेर दिन बाद रउरा के पाती पठावत बानी। एने नेवता-हकारी एतना रहल हा मलिकार कि रउरा ना रहला पर सब हमरे देखे-सुने के परल हा। ई कहीं कि गेयान खुलल आ हम परसौनी के पुजारी बाबा के बोलवा लिहले रहनी हां। उनहीं के खेवा-खरच देके सगरी नेवता जोगा लिहनी। रउरा त अतना नेवतरही फइला लिहले बानी कि अब हम सक नइखीं पावत। राउर गुरुजी के बाबूजी ठीके कहले रहीं। रउरा सुनवले रहनी एक बार उहां के बात कि केहू के बिलाये के होखेला त दूगो काम ऊ करेला- नेवतरही बढ़े ला आ बड़का घर के नेंव दिउवावे ला। गांव में कुछ लोग अइसनो होला, जे केहू से दुश्मनी साधे खातिर घर के नेंव बड़का ठनवा देला। कहियो ऊ घर पूरा ना बन पावे आ बनवावे वाला ओही में बिला जाला। ढेर नेवतरही भइला पर नेवता त आवेला, बाकिर नेवता करे में परान निकल जाता। एके दिने दस-दस गो शादी-बियाह। ई ना कहीं कि एह घरी एगो फैसन हो गइल बा। तिलको के दिने नेवता दिया जाता। बियाह बीतला के बादो लोग नेवता करे जाता। हम त पुजारी बाबा के जिम्मे सगरी नेवता लगा के निपटा लिहनी।

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पांड़े बाबा इहो बतावत रहवीं कि तीर छाप से हटला के बाद शरद जादो अब ललटेन छाप पर चुनाव लड़िहें। पहिले ऊ आपन पाटी बनवले रहले हां, बाकिर ओह पाटी के केहू भावे नइखे देत। लालूजी बड़हन चाल चलले बाड़े। चालीस गो सीट आ बखरा मांगे वाला कई गो पाटी बा। लालू जी अब ई कह सकेले कि जेकरा लड़े के बा, ऊ उनका पाटी में शामिल हो जाव। तब पाटी घट जाई आ सीट बांटे में आसानी होई। पांड़े बाबा बतावत रहवीं कि इहे बतिया कुछ दिन पहिले कवनो रघुवंश बाबू कहले रहले। उनकरा बात के लोग हवा में उड़ा दिहल।

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रउरा का बुझाता मलिकार, के जीती। हं मलिकार, अब इयाद आइल। रउवे नू कहले रहनी कि चुनाव में ई ना लिखल जाला कि के जीती आ के हारी। वोट वाला महकमा एकरा पर रोक लगा दिहले बा। त हमहूं आपन बात पाती में वापस ले लेतानी। बाकिर एगो बात त कहले जा सकेला नू मलिकार कि नीमन आदमी के चुने के चाहीं। ओइसन आदमी, जे सुख-दुख में साथ देव। अपना इलाका के आगे बढ़ावे। बोल-बेवहार में नीमन होखे।

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अब वोट के बतकही ना करेब मलिकार, जबले ई ओरा नइखे जात। गांव-जवार के हाल नीक बा। अमठा आ अंगौता से नेवता आइल रहल हा। राउर खूब खोजाहट भइल। परसौनी वाला पुजारी बाबा के भेजले रहनी। उहां के बता दिहनी कि वोट के टाइम बा आ मलिकार के एह घरी छुट्टी ना मिली। नरहन के नगेसरी फुआ के नाती भइल बा। बड़ा खरच कइल हा लोग। छठियार के दिने मछरी-भात खा के लोग अघा गइल।

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अपनो बाबू खातिर देखनहरू लोग ठोकिरयावत बा। काल्ह नरइनिया से एक जन आइल रहुअल। पांड़े बाबा के दुआर पर बइठ के पूछत रहुअन। सांझ के पांड़े बाबा बतउवीं कि बाबू के बियाह खातिर आइल रहुअन। ए मलिकार, रउरा फगुआ में त अइबे करेब। कटहर के गाठ पर लेड़्हा खूब लागल बा। रउरा त बेसी पसंद ह नू कटहर के कलौंजी। रोज पानी दे-दे के हम फर गोंटवावे में लागल बानी। चलीं, पाती लमहर भयिल जाता। फेर अगली बेर।

राउरे, मलिकाइन  

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