कन्हैया को यहां से चुनाव में उतार सकती है भाकपा, शेहला को भी मौका!

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  • बेगूसराय से पत्रकार नंद किशोर सिंह की रिपोर्ट

आसन्न लोकसभा चुनाव 2019 में वामपंथी दलों का फोकस दूसरी पंक्ति का नेतृत्व उभारने पर होगा। ऐसा वामपंथी दल इसलिए सोच रहे हैं, क्योंकि वाम दलों में बुजुर्ग नेताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है और उस हिसाब से युवा नेतृत्व सामने नहीं आ पा रहा है। इसलिए वाम दलों के राजनीतिक चिंतन का निष्कर्ष यह है कि इस चुनाव में नौजवानों को टिकट देकर चुनाव लड़ाया जाए। उन्हें आगे किया जाये। कन्हैया कुमार और शेहला जैसे युवा चेहरों के भाकपा बिहार में इसकी शुरुआत करना चाहती है। शेहला रशीद को भी मिल सकता है मौका।

माकपा और भाकपा में ज्यादातर नेता ऐसे हैं, जो 70 साल की उम्र को पार कर चुके हैं या इसके करीब पहुंच रहे हैं। सबसे ज्यादा उम्र के रामचंद्र पिल्लई हैं, जो 80 साल के हैं। वैसे वाम राजनीति में सबसे बड़े वयोवृद्ध नेता एस अच्युतानंदन हैं, जो अब भी भी पार्टी में सक्रिय हैं। वाम दलों को अब महसूस हो रहा है कि युवा नेताओं को आगे बढ़ाये जाने की जरूरत है। अन्यथा आगे यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।

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माकपा के महासचिव और वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी कहते हैं कि युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने की जरूरत है, ताकि दूसरी पंक्ति का मजबूत नेतृत्व खड़ा हो सके। अगामी लोकसभा चुनाव में हम ऐसे नेताओं को आगे करेंगे, ताकि भविष्य के लिए नया नेतृत्व तैयार हो सके। संभावना जतायी जा रही है कि इसमें कन्हैया कुमार और शेहला रशीद जैसे युवाओं को मौका मिल सकता है। चर्चा है कि भाकपा कन्हैया कुमार को बिहार के बेगूसराय से चुनावी मैदान में उतार सकती है।

बंगाल से माकपा सांसद मोहम्मद सलीम का कहना है कि ऐसा नहीं है कि हमारे पास युवा नेताओं की कमी है। पार्टी में काफी युवा हैं, लेकिन इसे हमेशा चुनाव लड़ने से जोड़ कर देखा जाता है। इसलिए यह खालीपन नजर आता है। वे कहते हैं कि इस बार हम युवाओं को बड़े पैमाने पर चुनाव मैदान में आगे करने पर विचार कर रहे हैं।

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