बिहार में चुनावी तैयारी में JDU और RJD, छिड़ा पोस्टर वार

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पोस्टर वार में जेडीयू की ओर से जारी पहला पोस्टर, जो विवादों में उलझ गया
पोस्टर वार में जेडीयू की ओर से जारी पहला पोस्टर, जो विवादों में उलझ गया

PATNA : बिहार में JDU और RJD विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गये हैं। यद्यपि चुनाव अगले वर्ष नवंबर में होने वाले हैं। अभी पोस्जटर वार चल रहा है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चार तरह से चुनाव की तैयारी शुरू की है। पहला यह कि अपने भरोसेमंद नेता आरसीपी सिंह को उन्होंने बूथ स्तर तक चुनावी तैयारियों की बागडोर सौंपी है। दूसरी तैयारी जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रमंडल स्तर तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। तीसरा अभियान पोस्टर युद्ध का है और चौथे अभियान के तौर पर नीतीश ने चुनावी रणनीतिकार और जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को पार्टी के लिए उचित सलाह अपने बयानो के जरिए देने के लिए खुली छूट दे दी है।

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यही वजह है कि प्रशांत किशोर ने एनआरसी पर सरकार लचीले रुख पर आपत्ति जतायी और खुल कर एनआरसी का विरौध किया। उनके बयान को लेकर जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं ने जिस तरह बचने की कोशिश की या कड़ा रुख अपनाया, उस पर खुद नीतीश कुमार ने प्रशांत से मुलाकात के बहाने साफ कर दिया। प्रशांत ने मुलाकात के बाद कहा कि नीतीश जी ने कहा है कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा।

माइक्रो लेवल तक यानी बूथ स्तर तक पहुंचने की जिम्मैवारी पार्टी ने आरसीपी सिंह को सौंपी है तो प्रमंडलीय स्तर पर चुनावी अभियान के रूप में नीतीश कुमार जल-जीवन-हरियाली अभियान चला रहे हैं। कहने को तो यह जल संकट और पर्यावरण के खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करने का अभियान है, लेकिन इसी बहाने नीतीश अपनी सात महत्वाकांक्षी योजनाओं की समीक्षा भी कर रहे हैं। अफसरों से काम की प्रगति की जानकारी ले रहे हैं और उन्हें जरूरी हिदायतें भी दे रहे हैं।

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नारों के सहारे जेडीयू विधानसभा चुनाव

बिहार में बेलगाम हुए अपराध के बावजूद पार्टी ने नया नारा भी गढ़ लिया है- 15 साल बनाम 15 साल, भय बनाम भरोसा। इस नारे के जरिये लालू-राबड़ी शासन के 15 साल और नीतीश के 15 साल के शासन की तुलना करने की कोशिश की गयी है। इसके पहले दो और नारे इसी साल पार्टी ने दिये। पहला नारा था- क्यों करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार। लेकिन सबसे पहले पार्टी द्वारा गढ़े गये इस नारे की आलोचना होने लगी। ठीके का भावार्थ कामचलाऊ कहा जाने लगा तो पार्टी ने इस नारे को बदल कर दूसरा नारा दिया- क्यों करें विचार, ठीक है नीतीश कुमार। अब तीसरा नारा आया है- भय बनाम भरोसा। यानी लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन और नीतीश के 15 साल के शासन की इसमें तुलना की गयी है।

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अब आरजेडी ने भी लिया नारे का सहारा

नारों की जंग में आरजेडी भी पीछे नहीं रहना चाहता है। सोशल मीडिया पर आरजेडी की सक्रियता बढ़ गयी है। भाजपा और जेडीयू की नाकामिया उगागर करते सांग सोशल मीडिया पर छाये हुए हैं तो इसका नारा भी सामने आया है- झूठ की टोकरी, घोटालों का धंधा। इसमें दो लोगों की तस्वीर है- नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार। नरेंद्र मोदी के सिर पर लदी टोकरी में काला धन, रोजगार और 15 लाख जैसे वादों को रखा गया है तो नीतीश के सिर पर नल का जल, नौकरी, छात्रवृत्ति और सुरक्षा लिखी टोकरी है। अब देखना है कि पोस्टर वार में कौन किस पर भारी पड़ता है। महंगाई, बाढ़, सूखा, सृजन र, गिट्टी चोर, अपराध जैसी बातें नीतीश कुमार के लिए पोस्टर में लिखी गयी हैं।

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