हम जो काम करते हैं, उसमें किसी प्रकार का समझौता नहीं करतेः नीतीश

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फाइल फोटो

सीएम ने किया मगध प्रमंडलीय दलित-महादलित कार्यकर्ता सम्मेलन का उद्घाटन

 गया/पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी प्रतिबद्धता है न्याय के साथ विकास। उसे ही ध्यान में रखकर हमने काम किया और प्रारंभ से हमने यह कोशिश की है कि न्याय के साथ विकास का मतलब लोग भी समझें। न्याय के साथ विकास का मतलब समाज के हर तबके और हर इलाके का विकास है। हर तबके के विकास की बात करते हैं तो यह ध्यान रखना है कि समाज का जो हिस्सा विकास की मुख्य धारा से वंचित है, जिसकी उपेक्षा हुई है, हाशिए पर रह रहे वैसे लोगों को मुख्य धारा में लाना है। यह बात काम संभालने के पहले दिन से ही हमने कही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जो काम करते हैं, उसमें किसी प्रकार का समझौता नहीं करते। मुख्यमंत्री बुधवार को मगध प्रमंडलीय दलित-महादलित कार्यकर्ता सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। गया के गाँधी मैदान में आयोजित सम्मेलन में स्थानीय नेताओं एवं जन प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंटकर उनका अभिनंदन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने सत्ता संभाली थी तो उस वक्त साढ़े 12 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर थे। बच्चों को स्कूलों तक लाने का प्रयास शुरू किया गया। 22 हजार से ज्यादा नए स्कूल खोले गए। पुराने स्कूलों में एक लाख से भी ज्यादा कमरे बनाए गए। तीन लाख से अधिक शिक्षकों का नियोजन किया गया। साढ़े 12 प्रतिशत बच्चे जो स्कूलों से बाहर थे, उसे लेकर जब सर्वेक्षण कराया गया तो यह पता चला कि दलित-महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों की संख्या इसमें सबसे ज्यादा है। बच्चों को पढ़ाने के लिए महादलित टोलों में टोला सेवकों को नियोजित किया गया। इसी तरह से अल्पसंख्यक समुदाय के लिए तालिमी मरकज एवं शिक्षा स्वयंसेवकों का चयन किया गया। इनमें टोला सेवक की संख्या 20 हजार से ज्यादा, जबकि शिक्षा स्वयंसेवकों की संख्या करीब 10 हजार थी। इन लोगों को प्रतिनियुक्त कर बच्चों को पढ़ाने और तीसरे-चौथे क्लास में एडमिशन के लायक बनाने का निर्देश दिया गया। इसका नतीजा रहा कि साढ़े 12 प्रतिशत की संख्या घटकर आज एक प्रतिशत से भी कम रह गई है। उन्होंने कहा कि बहुत लोगों की यह आदत होती है कि जोर-जोर से बोल दो, भले काम कुछ न करो। अब आकलन कर लीजिए कि पहले क्या होता था।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि एस.सी./एस.टी. के लड़के-लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालयों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उनमें सुविधाएं भी बढ़ाई गईं। सभी विद्यालयों को 12वीं तक अपग्रेड किया गया और अब आवासीय विद्यालयों में रहने वालों के लिए भोजन से लेकर कपड़े तक की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा छात्रावासों में रहने वाले बच्चों के लिए बिजली सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराई गई। एस.सी./एस.टी., अल्पसंख्यकों एवं पिछड़ों के लिए बने छात्रावासों में रहने वाले छात्रों के लिए नौ किलो चावल, छह किलो गेंहू प्रतिमाह देने की व्यवस्था की गई। पूर्व से मिल रही छात्रवृत्ति के अतिरिक्त बढ़ते खर्च को देखते हुए छात्रावास में रहने वाले छात्रों को एक हजार रुपए महीना देने का निर्णय भी लिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा सहित विकास के अन्य क्षेत्रों में काफी काम किये गये हैं। महादलित विकास मिशन का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि मैंने दशरथ मांझी को अपनी कुर्सी पर बैठाया और उनके नाम पर कौशल विकास योजना शुरू की गयी। हर महादलित टोले में सामुदायिक भवन एवं वर्क शेड के निर्माण की शुरुआत की और अब तक साढ़े तीन हजार से अधिक ऐसे भवन निर्मित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने यह निर्णय लिया कि महादलित विकास मिशन के जरिए जो काम महादलितों के विकास के लिए किया जा रहा था, उसका लाभ अनुसूचित जाति एवं जनजातियों को भी दिया जाएगा। हमने जब कार्यभार संभाला था तो अनुसूचित जातियों को ग्राम पंचायत में आरक्षण नहीं था। इसके बाद भी कुछ लोगों को केवल बोलने की आदत है।

उन्होंने कहा कि हम 2005 के नवंबर में सत्ता में आये और 2006 में ग्राम पंचायत के चुनाव में एस.सी./एस.टी. समुदाय के लोगों को आरक्षण देने के साथ ही महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की। उन्होंने कहा कि हमारे गरीब परिवार की महिलाओं में भी जागृति आनी चाहिए। इसके साथ-साथ कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि परिवार के भरण-पोषण के लिए पैसे आ जाएं। हम लोगों ने स्वयं सहायता समूहों का गठन कर जीविका योजना की शुरुआत की। आज आठ लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह बन चुके हैं और हमारा लक्ष्य इसे 10 लाख करने का है। अब तक 83 लाख परिवार इससे जुड़ चुके हैं, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या गरीब परिवारों की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जो काम करते हैं, उसमें किसी प्रकार का समझौता नहीं करते। सात निश्चय के माध्यम से जो कार्य किये जा रहे हैं, उसका लाभ सभी को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि छात्रावास अनुदान योजना का भी संचालन किया जा रहा है। हम लोगों ने एक और नई स्कीम चलाई है कि यदि कोई एस.सी./एस.टी. एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के युवा बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करेंगे तो उनको अंतिम परीक्षा में भाग लेने के लिए 50 हजार रूपये और यदि संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करेंगे तो मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिये एक लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जायेगी। यदि वे उद्योग लगाना चाहते हैं तो ऐसे युवाओं को मदद करने के लिए पहले से स्कीम है स्टार्टअप योजना। उद्यमिता का भाव रखने वाले युवाओं को मदद देने के लिए 500 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड बनाया गया है। स्टार्टअप नीति के तहत की जाने वाली मदद में 20 फीसदी एस.सी. एवं 2 फीसदी एस.टी. वर्ग के युवाओं के लिए आरक्षित है। नई योजना के तहत ऐसे उद्यमियों को 10 लाख रूपये की मदद राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी, जिसमें पांच लाख रुपये अनुदान के रूप में मिलेंगे, जबकि पांच लाख रूपये ब्याज रहित होगा।

सम्मेलन को भवन निर्माण मंत्री श्री महेश्वर हजारी, शिक्षा मंत्री श्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, परिवहन मंत्री श्री संतोष कुमार निराला, पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री श्याम रजक, पूर्व मंत्री एवं विधान पार्षद श्री अशोक चैधरी ने भी संबोधित किया।

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