21 मार्च को स्थिर योग में मनेगी प्रेम और सौहार्द्र का पर्व होली 

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पटना। बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार होली 21 मार्च दिन गुरुवार को उत्तरफाल्गुन नक्षत्र तथा स्थिर योग में मनाई जाएगी। वहीं होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 20 मार्च को पूर्वफाल्गुन नक्षत्र में बुधवार को रात्रि 8 : 22 बजे के बाद होगा। मेष और वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।

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होली का पर्व हिन्दू धर्म में काफी पवित्र माना गया है। इस दिन रंगो के आगे द्वेष और बैर की भावनाएं फीकी पड़ जाती है। रंगोत्तसव का पर्व होली भारतीय सनातन संस्कृति में अनुपम और अद्वितीय है। यह पर्व प्रेम तथा सौहार्द्र का संचार करता है। होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा की जाती है। महिलाएं व्रत रखकर हल्दी का टीका लगाकर सात बार होलिका की परिक्रमा कर परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं और सुख-शांति, समृद्धि के साथ-साथ संतान के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।

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कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने पंचांगों के हवाले से बताया कि 20 मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त मिथिला पंचांग के अनुसार रात्रि 08:22 बजे से  मध्यरात्रि 12:20 बजे तक हैI वहीं बनारसी पंचांग के मुताबिक रात्रि 08:12 बजे से मध्यरात्रि 12:10 बजे तक हैI  होलिका दहन के दिन प्रातः 10:45 बजे से रात्रि 08:10 बजे तक भद्रा हैI इसीलिए होलिका दहन भद्रा के बाद किया जाता हैI पंडित झा ने कहा कि भद्रा को विघ्नकारक माना गया है। भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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पैराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के परम् भक्त पहलाद को होलिका की अग्नि भी नहीं जला पाई थी। उन्होंने बताया कि होलिका की पूजा करते समय “ॐ होलिकायै नमः” मंत्र का उच्चारण करना चाहिए I इससे अनिष्ट कारक का नाश होता है।

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ज्योतिषी राकेश झा के अनुसार होलिका दहन की भस्म को काफी पवित्र माना गया हैI इस आग में गेहूँ, चना की नई बाली, गन्ना को भुनने से शुभता का वरदान मिलता हैI होली के दिन संध्या बेला में इसका टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु के वृद्धि होती हैI इसके साथ ही इस दिन ईश्वर से नई फसल की खुशहाली की कामना भी की जाती हैI सेंक कर लाये गये धान्यों को खाने से अपनी काया हमेशा निरोगी रहती हैI घर में माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।

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पंडित झा ने पुराणों का हवाला देते हुए बताया कि दानवराज हिरण्यकश्यप नामक राजा के पुत्र पहलाद उनका नाम जपने के बजाए भगवान श्रीहरि का पूजा और जाप करता है। इससे राजा ने क्रुद्ध होकर अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की पहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाएI चूँकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि में उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। लेकिन भक्त की अटूट भक्ति के कारण ठीक इसका उल्टा हो गया। पहलाद उस अग्नि से बच गए और होलिका जलकर भस्म हो गई। होली का पर्व का उद्देश्य है कि भक्तों की रक्षा के लिए भगवान सदा उपस्थित रहते हैं।

राशि के अनुसार करें होलिका की पूजा

  • मेष और वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें
  • वृष राशि वाले चीनी की आहुति दें
  • मिथुन और कन्या राशि के लोग कपूर की आहुति दें
  • कर्क के लोग लोहबान की आहुति दें
  • सिंह राशि के लोग गुड़ की आहुति दें
  • तुला राशि वाले कपूर की आहुति दें
  • धनु और मीन के लोग जौ और चना की आहुति दें
  • मकर और कुम्भ राशि के लोग तिल को होलिका दहन में डालें
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