उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अब दलित, किसान व मुसलमान पर भरोसा

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राहुल बनाम मोदी के बीच जंग का ऐलान, भाजपा विरोधी दलों की एकजुटता की उम्मीद

  • राणा अमरेश सिंह

लखनऊ। वर्ष 2019 में दिल्ली की ताजपोशी में अहम रोल अदा करने वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने भी अपनी सियासी पैंतरेबाजी शुरू कर दी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाज वादी पार्टी (सपा) के गठबंधन के बाद कांग्रेस की यह पहली बड़ी कवायद है। कांग्रेस का मानना है कि अगला लोकसभा चुनाव राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी होगा। सपा-बासपा के फिफ्टी-फिफ्टी गठबंधन से खाफा कांग्रेस ने सूबे की सभी 80 लोस सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उसने अपने दलित-मुसलमान-किसान समीकरण का भी खुलासा किया है। वैसे दलित वोट उत्तर प्रदेश में मायावती की बसपा की जागीर समझे जाते रहे हैं, लेकिन पिछले चुनावों में दलितों ने भाजपा का साथ देकर यह साफ कर दिया है कि वे किसी की जागीर नहीं हैं और स्वविवेक से किसी के भी साथ जा सकते हैं। कांग्रेस को उनके इसी स्वविवेक पर भरोसा है।

कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में रविवार का दिन गहमागहमी का था। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद, प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने सूबे की सियासी तैयारी पर बैठक कीं। बाद में मीडिया से मुखातिब होने पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हालिया पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद अब साफ हो गया है कि 2019 का लोकसभा चुनाव राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी के बीच होगा।

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आजाद ने बताया कि फरवरी माह में राहुल गांधी सूबे के 13 जोन में अलग-अलग रैलियां करेंगे। एक जोन में छह लोक सभा सीटों को कवर किया जायेगा।  उन्होंने सेकुलर अन्य सहयोगी दलों से समर्थन की अपेक्षा भी जताई।  उन्होंने इसे दो विचारधारा की जंग बताई। उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत जंग नहीं है। यह भारत को एक रखने की जंग है। सभी वर्गो के विश्वास व भरोशा से ही देश मजबूत होगा। उन्होंने कांग्रेस के इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी अपना नुकसान झेलती आई है, लेकिन देश को नुकसान होने से बचाया है।

आजाद ने कहा कि कांग्रेस ने लोगों की बुनियादी सुविधाओं के साथ सामाजिक अधिकार भी दिया। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने कर्नाटक, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में किसानों की कर्ज माफी के वादे पूरे किए। इससे लोगों का भरोसा कांग्रेस पर बढ़ा है कि वह जो कहती है, वह करती है।

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आजाद ने बताया कि  प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव और दलित युवा नेता चंद्रशेखर आजाद के अलावा रालोद के साथ चुनाव समझौते पर बातचीत चल रही है। चंद्रशेखर आजाद  पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाना पहचाना दलित चेहरा बन चुके हैं। एक प्रकार से गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के मुसलमान-दलित-किसान समीकरण के आधार पर अगले जंग  में उतरने का संकेत दिया।

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