झारखंडः विपक्ष ने ठोस निर्णय नहीं लिया तो बीजेपी को फायदा  

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झारखंड स्वास्थ्य सेवा के मार्च 2022 तक सेवानिवृत होने वाले चिकित्सकों को राज्य सरकार ने सेवा अवधि में विस्तार करने का निर्णय लिया है।
झारखंड स्वास्थ्य सेवा के मार्च 2022 तक सेवानिवृत होने वाले चिकित्सकों को राज्य सरकार ने सेवा अवधि में विस्तार करने का निर्णय लिया है।

भाजपा ने आजसू के लिए छोड़ी अपनी सबसे खास गिरिडीह सीट

  • विशद कुमार

रांची। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद झारखंड में सुनियोजित तरीके से भाजपा अपने सहयोगी दल के साथ तामेल बिठा कर चल रही है। दूसरी ओर महागठबंधन बना कर एकजुट हुई विपक्षी पार्टियां अभी तक सीटों की संख्या और चुनाव क्षेत्र के बंटवारे को लेकर उलझी हैं। भाजपा ने अपनी खास सीट गिरिडीह को आजसू पार्टी के लिए कुर्बान कर दिया है।17 वीं लोकसभा गठन के लिए पिछले 10 मार्च को चुनाव की घोषणा हो चुकी है। लोकसभा चुनाव 2019 के तहत पूरे देश में 7 चरणों में होने वाले मतदान के बाद मतगणना 23 मई को होगी। चुनाव की घोषणा के बाद से ही राजनीतिक दल सीटों के नफा-नुकसान के आकलन में व्यस्त हो गए हैं। वैसे तो देश में यह चुनाव दो धारा में विभक्त नजर आ रहा है- सत्ता पक्ष और विपक्ष। पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की मोदी लहर में गैर भाजपा दलों की जो दुर्गति हुई, उससे बचने की कवायद में झारखंड में विपक्ष महागठबंधन की घोषणा तो कर चुका है, परंतु अंदरखाने की सच्चाई यह है कि विपक्ष के सभी दल आसन्न चुनाव में अपनी बढ़त को ज्यादा आतुर हैं। जबकि सत्तारूढ़ भाजपा अपने सहयोगी दलों पर ज्यादा मेहरबान नजर आ रही है। देश के अन्य राज्यों की तरह भाजपा की इस मेहरवानी को हम झारखंड में भी देख सकते हैं।

झारखंड में पार्टी ने अपने सहयोगी दल आजसू पार्टी के लिए एक ऐसी सीट को छोड़ा है, जिस पर भाजपा का पिछले छह बार से कब्जा रहा है। एकीकृत बिहार में 1989 में रामदास सिंह ने गिरिडीह लोकसभा सीट को भाजपा के पाले में किया था। उसके बाद 1996 से 1998, 1999 तक लगातार तीन बार रवींद्र कुमार पांडेय ने भाजपा को फतह दिलाई। 2000 में झारखंड अलग राज्य गठन के बाद 2004 में इस सीट पर झामुमो के टेकलाल महतो ने कब्जा जमाया। 2004 के इस चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर चली गई थी, जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह आकर जम गए थे। 2009 और 2014 में पुन: रवींद्र कुमार पांडेय ने क्रमश: टेकलाल महतो और जगरनाथ महतो को पराजित कर गिरिडीह सीट पर भाजपा को कब्जा दिलवाया। ऐसी स्थिति में भाजपा के केद्रीय नेतृत्व द्वारा इस सीट को आजसू पार्टी के लिए छोड़ना झारखंड के भाजपाइयों को भी नहीं पच पा रहा है। पार्टी की इस घोषणा से जनप्रतिनिधियों से लेकर आम कार्यकर्ता भी भौचक हैं और सभी दबी जुबान से उक्त फैसले को गलत ठहरा रहे हैं।

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बताया जा रहा है कि आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो मोदी से मिलकर कोई बड़ा फार्मुला समझाया है। इस घोषणा के बाद राज्य में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। रवींद्र कुमार पांडेय की भाजपा छोड़ने की अटकलों के साथ संभावना जताई जा रही है कि पांडेय झामुमो या कांग्रेस में जा सकते हैं। वैसे झारखंड में विपक्षी गठबंधन के तहत गिरिडीह सीट झामुमो के खाते में है और यहां से उम्मीदवारी के लिए डुमरी विधायक जगरनाथ महतो प्रबल दावेदारों में हैं। अगर झामुमो रवींद्र पांडेय को टिकट दे भी दे, तो जगरनाथ समर्थक इन्हें हराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि पूर्व से ही जगरनाथ और रवींद्र में छत्तीस के आंकड़े रहे हैं। रवींद्र कुमार पांडेय कांग्रेस का दामन इस शर्त पर थाम सकते हैं कि उन्हें दोस्ताना संघर्ष के तहत टिकट दिया जाये। ऐसे में आजसू को नापसंद करने वाले भाजपा समथकों, कांग्रेसी और शहरी वोटरों का लाभ पांडेय को मिल सकता है। क्योंकि जहां आजसू का उम्मीदवार बाहरी होगा, वहीं झामुमो के जगरनाथ महतो को शहरी वोटर पसंद नहीं करते हैं।

बताते चलें कि पिछले 2014 के लोकसभा सीटों में कोडरमा, खूंटी, गिरिडीह, गोड्डा, चतरा, जमशेदपुर, धनबाद, पलामू, रांची, लोहरदगा, सिंहभूम और हजारीबाग 12 सीटें भाजपा को मिली थीं, वहीं झामुमो को 2 सीटें दुमका और राजमहल हासिल हुई थीं। जबकि अन्य दलों ने अपना खाता भी नहीं खोल पाया था। उस वक्त राज्य में मतदाताओं की कुल संख्या 2,03,49,796 थी और मतदान का प्रतिशत 63.82 % रहा था।

विपक्षी गठबंधन द्वारा अब तक तय हुए फॉर्मुले में कांग्रेस को 7 सीटों में  रांची, लोहरदगा, खूंटी, हजारीबाग, चाईबासा, पलामू, धनबाद शामिल हैं, वहीं झामुमो के हिस्से में 4 सीटों में दुमका, राजमहल, गिरिडीह, जमशेदपुर आया है। जबकि झाविमो को गोड्डा (यदि कांग्रेस राजी होती है, तो क्योंकि गोड्डा पर कांग्रेस अड़ी हुई है।) और कोडरमा दिया जाना है, वहीं राजद को चतरा लोकसभा सीट तय की गई है।

इसके बावजूद झामुमो ने लोकसभा की पांच सीटों पर दावा किया है। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार कोल्हान की जमशेदपुर सीट छोड़ने का एलान कर चुके हैं। दूसरी ओर  झामुमो की दलील है कि सिंहभूम की छह में से पांच विधानसभा सीटों पर झामुमो का कब्जा है। इसलिए चाईबासा सीट पर भी उसका दावा बनता है।

झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा है कि ‘कोल्हान में हमारी मजबूत जमीन है। यूपीए में सीटों का व्यावहारिक बंटवारा होना चाहिए। भाजपा को शिकस्त देनी है, तो सभी पहलुओं को देखना होगा। चाईबासा सीट पर हमारी स्थिति मजबूत है। पार्टी ने 18 को बैठक बुलायी है, घटक दलों से बातचीत चल रही है। गठबंधन को लेकर जल्द सब कुछ साफ होगा। 18 मार्च को पार्टी कार्यकारिणी की बैठक होगी।’

सूत्रों के अनुसार इस भावी बैठक में लोकसभा चुनाव की रणनीति के साथ साथ लोकसभा के संभावित प्रत्याशी पर भी चर्चा होगी। झामुमो ने यूपीए फोल्डर में ओड़िशा के मयूरभंज लोकसभा सीट सहित विधानसभा की 10 सीटों पर भी दावेदारी की है। हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों कांग्रेस के आला नेताओं से ओड़िशा में गठबंधन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन कांग्रेस ने इसको लेकर अब तक अपना पत्ता नहीं खोला है। यूपीए के अंदर चल रहे शह-मात के इस खेल से तय है कि अभी राजनीति कई करवटें ले सकती हैं।

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दूसरी तरफ इस महागठबंधन में अभी तक वामदल शामिल नहीं हैं। वैसे भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने बताया है कि ’15 मार्च को राज्य के वामदल- भाकपा, माकपा, माले और मासस की बैठक हुई, जिसमें कई निर्णय लिए गए।’ उन्होंने बताया कि ‘यह तय है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कोडरमा और पलामू से भाकपा माले, राजमहल से माकपा, हजारीबाग से भाकपा, और धनबाद से मासस चुनाव लड़ेगी। वहीं बाकी सीटों पर हम भाजपा के विरोध में कैम्पेन करेंगे तथा भाजपा के खिलाफ मजबूत शक्तियों की मदद करेंगे।’

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बता दें कि सीपीआई अभी विपक्षियों के साथ हजारीबाग सीट को लेकर बात कर रही है। कारण यह रहा है कि हजारीबाग कई बार भाकपा के भूवनेश्वर मेहता के पाले में रहा है। अगर विपक्षियों द्वारा कोई ठोस और सकारात्मक निर्णय नहीं हो पाता है तो सीपीआई राज्य की अन्य सीटों पर भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकती है। ऐसे में इतना तो साफ हो जाता है कि झारखण्ड में अभी तक भाजपा के खिलाफ विपक्षियों द्वारा  कोई ठोस निर्णय  नहीं हो पाया है जिसका लाभ आसन्न चुनाव में भाजपा को मिलने की पूरी संभावना है।

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बताते चलें कि झारखंड में 14 लोकसभा सीटों के लिए मतदान चार चरणों में होगा। पहले चरण के तहत 29 अप्रैल को तीन सीटें, चतरा, लोहरदगा एवं पलामू, दूसरे चरण में 06 मई को चार सीटों में कोडरमा, रांची, खूंटी एवं हजारीबाग, तीसरे चरण में 12 मई को चार सीटों के लिए गिरिडीह, धनबाद, जमशेदपुर एवं सिंहभूम तथा चौथे चरण में 19 मई को तीन सीटों के लिए राजमहल, दुमका और गोड्डा में मतदान होंगे। 2019 के इस चुनाव में झारखंड में कुल मतदाता – 2,19,81,479 हैं। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,15,07,697 एवं महिला मतदाता 1,04,73,475 हैं, जबकि थर्ड जेंडर-307 हैं। बता दें कि राज्य में लोकसभा की 14 सीटें, राज्यसभा की 6 और विधानसभा के लिए 81 सीटें हैं। चुनाव की घोषणा के बाद पूरे देश में 10 मार्च से आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।

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