रवि यज्ञसेनी की 2 कविताएं- पापा अब परदेश न जाना/ अब ना जाओ दूर...
रवि यज्ञसेनी
पापा अब परदेश ना जाना
हम रूखा-सूखा खा लेंगे।
दूर हुए अपने गाँवो से,
दूर खेत-खलिहानों से,
दूर तीज-त्योहार हुए,
और बासंती मेलों से।
पापा मेरी फिक्र ना...
एमलिन बोदरा की सादरी भाषा में लिखी कविताएं……
उत्तर बंगाल के चाय बागानों में नयी रचनात्मक पौध खड़ी हो रही है। इसमें एमलिन बोदरा एक खास नाम है। एमलिन कविताएं लिखती हैं।...
प्रफुल्ला मिंज की कविताएं…..
आज जिस कवि को हम आपके समक्ष लेकर आए हैं, उसकी कविताओं का रंग चाय के रंग में घुला हुआ है। उत्तर बंगाल के...