कुमार जगदलवी की चुनिंदा पांच कविताएं

  इंसानियत ही मजहब हम-तुम, जब भी मिलें अपने, आपे में मिलें तुम, तुम में ही रहो मैं, खुद ही में रहूँ। तुम अपने अक़ीदे में रहो मैं, अपने यकीं...
कविता अखबारी दायित्व नहीं निभाती जिससे उसे सामयिकता की कसौटी पर परखा जाय

कविता अखबारी दायित्व नहीं निभाती जिससे उसे सामयिकता की कसौटी पर परखा जाय

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कोर्ट भला कविता के रुप में दी गई गवाही मानता है क्या ? रविकेश मिश्रा पटना: कविता की गवाही भला कोर्ट क्यों माने ? कविता...

प्रफुल्ला मिंज की कविताएं…..

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आज जिस कवि को हम आपके समक्ष लेकर आए हैं, उसकी कविताओं का रंग चाय के रंग में घुला हुआ है। उत्तर बंगाल के...