बेईमान संयुक्त राष्ट्र और बेईमान पत्रकारिता को धिक्कार है…
भारतीय मीडिया में राष्ट्रहित की अक्ल होती तो क्या ऐसा होता! देश और समाज के हित में क्या छापना है, क्या नहीं छापना, इसकी सूझबूझ...
मीडिया में बेरोजगारी का तेजी से बढ़ रहा है संकट
उमेश चतुर्वेदी
दिल्ली की हिंदी पत्रकारिता में एक जबर्दस्त चलन है। जिन्हें रोजगार की तलाश होती है, वे रोजगार दे सकने वाले लोगों...
राजेंद्र माथुर मानते थे, लिखना बदलाव की जमीन तैयार करता है
मिथिलेश कुमार सिंह
पिछले कुछ दिनों से प्रभाष जोशी बनाम राजेंद्र माथुर पर बड़ी गंभीर चर्चा में अपने कुछ साथी मसरूफ हैं। किसी को...
जनमुद्दों की पत्रकारिता पर पत्रकारों ने किया मंथन
रांची। सही मायने में जन मुद्दों से ही पत्रकारिता का सरोकार है। पत्रकार की जिम्दामेवारी होती है कि वह उसे कितनी संजीदीगी से उठाता...
नीति आयोग की बैठक में बिहार को विशेष दर्जा का मुद्दा नीतीश ने उठाया
(नीति आयोग की गवर्निंग कॉउसिंल की चौथी बैठक में नीतीश का भाषण)
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, राज्यों के माननीय मुख्यमंत्रीगण, नीति आयोग के माननीय उपाध्यक्ष महोदय,...
कैंपस में क्या गैर राजनीतिक छात्र संघ संभव है?
देवेंद्र मिश्र
कैंपस में क्या गैर राजनीतिक छात्र संघ संभव है? JNU की हाल की घटनाओं से यह सवाल बड़ी शिद्दत से उठ रहा...
संयुक्त अरब अमीरात की केरल के लिए मदद ठुकराने पर छिड़ी बहस
बाढ़ की विभीषिका झेल रहे केरल की मदद के लिए भारत सरकार किसी दूसरे देश की मदद स्वीकार नहीं करेगी। सरकार के इस फैसले...
ममता बनर्जी विपक्ष को कमजोर कर उनका फ्रंट बनाना चाहती हैं
ओमप्रकाश अश्क
ममता बनर्जी अपनी पार्टी के विस्तार में लगी हुई हैं। रणनीति के तहत वह कांग्रेस के साथ दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं...
अपने ही घर में बेगाने हो जाने की मजबूरी का नाम है घुसपैठ
सुरेंद्र किशोर
सन 1979-1985 के असम आंदोलन के दौरान 855 आंदोलनकारियों की जानें गयी थीं। इतनी कुर्बानियां देने के बाद 1985 में प्रधानमंत्री राजीव...
राजस्थान में चुनावी हवा का रुख भांपना ज्यादा आसान है
बब्बन सिंह
विधानसभा के होने वाले चुनाव में राजस्थान में हवा का रुख भांपना ज्यादा आसान है। राजस्थान में वसुंधरा सरकार के कई मंत्री...