SC/ST वर्ग के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी है बिहार सरकार

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  • बिहार स्टार्टअप नीति के माध्यम से लाभान्वित हो रहे हैं SC/ST युवा
  • मुख्यमंत्री SC/ST उद्यमी योजना से उद्यमिता को मिल रहा है बढ़ावा
  • SC/ST के युवाओं को कुशल युवा कार्यक्रम से किया जा रहा है प्रशिक्षित
  • मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता से SC/ST भी हो रहे हैं लाभान्वित
  • SC/ST कल्याण विभाग का बजट वर्ष 2018-19 में बढ़कर 1550 करोड़ हुआ

पटना। राज्य में युवाओं की उद्यमिता को बढ़ाने के लिए बिहार स्टार्टअप नीति-2017 लागू की गई है। इसके कार्यान्वयन के लिए बिहार स्टार्टअप फंड ट्रस्ट का गठन किया गया है तथा 500 करोड़ रुपये प्रारंभिक कोष का सृजन किया गया है। बिहार स्टार्टअप फंड ट्रस्ट द्वारा उद्योग विभाग के प्रधान सचिव अथवा सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति स्टार्टअप के सभी आवेदनों की प्रारंभिक समीक्षा करती है। इस नीति के अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उद्यमी को बीज निवेश की राशि के लिए निर्धारित सीमा के अलावे 15 प्रतिशत की अतिरिक्त आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने का प्रावधान है। यह भी प्रावधान किया गया है कि स्टार्ट अप की निधि के लिए कुल संग्रह राशि का 20 प्रतिशत अनुसूचित जाति के उद्यमियों के लिए तथा 2 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के स्टार्ट अप का प्रमाणित करने के लिए आवश्यकतानुसार मानदंडों को शिथिल करने की भी व्यवस्था है।

राज्य सरकार की स्टार्टअप नीति में नयी संभावनाओं पर काम कर लोग अपना भविष्य संवार रहे हैं। खासकर नये निवेशकों का रुझान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और सर्विस सेक्टर की तरफ अधिक देखा जा रहा है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य है ऐसे कारोबार लगाने में मदद करना, जो नवोन्मेषी हों, जिसकी उपयोगिता हो और जिससे लोगों को फायदा हो पर जानकारी के अभाव में लोग पारंपरिक काम धंधों को भी स्टार्ट अप मानकर आवेदन डाल रहे हैं। स्टार्टअप की जानकारी रखने वाले जिन युवाओं द्वारा जो भी आवेदन दिये जाते हैं उनकी प्रारंभिक जांच के बाद उनका चयन किया जाता है।

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अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों को स्वयं का रोजगार स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना संचालित की जा रही है। अब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के युवा व युवतियों को उद्योग स्थापना करने एवं बेरोजगारी खत्म करने के लिये 5 लाख का ऋण उन्हें बिना किसी ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही आवेदकों का चयन किए जाने के बाद उसे परियोजना के लागत का 50 फीसदी तक अनुदान भी दिए जाने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त सभी लाभुकों के प्रशिक्षण एवं परियोजना अनुश्रवण समिति सहायता के लिए प्रति इकाई 25 हजार रुपये की दर से व्यय किया जा रहा है।

योजना का कार्यान्वयन बिहार स्टार्टअप फंड ट्रस्ट द्वारा की जाती है। मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना का लाभ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र के वैसे युवा-युवती जो बिहार के निवासी हों, कम से कम 10+2 पास हों, आई.टी.आई., पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष उतीर्ण हो। युवाओं को राज्य के इन्क्यूवेशन सेंटर के साथ जोड़ा जा रहा है। राज्य मे स्थापित किए जाने वाले सभी नए उद्योगों को इस योजना का लाभ मिलेगा तथा स्थापित इकाईयों को बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति-2016 का लाभ मिलेगा।

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राज्य सरकार युवाओं को प्रशिक्षित करने में लगी है। कुशल युवा कार्यक्रम के तहत 15 से 28 वर्ष के युवाओं को भाषा ज्ञान, संवाद कौशल, बुनियादी कंप्यूटर ज्ञान एवं व्यवहार कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस योजना के तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को उम्र सीमा में पांच वर्ष की छूट दी जा रही है। इस कार्यक्रम के तहत नुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कुल 71493 अभ्यर्थियों को लाभान्वित किया गया है तथा 9563 अभ्यर्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। रोजगार पाने वाले युवकों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता के अंतर्गत अब तक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के 35930 लाभार्थियों को स्वयं सहायता भत्ता दिया गया है। राज्य सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अपने बजट में इनके विकास के लिए विशेष ख्याल रख रही है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग का बजट जहां वर्ष 2005-06 में 40.48 करोड़ रुपए था वह वर्ष 2018-19 में 38 गुणा बढ़कर 1550 करोड़ रुपए हो गया।

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