बिहार में जैविक खेती पर जोर, वर्मी कंपोस्ट पर 50% अधिकतम अनुदान

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पटना। बिहार सरकार किसानों की स्थिति को मजबूत करने के लिए दो कृषि रोड मैप पर काम कर चुकी है और वर्तमान में तीसरे कृषि रोड मैप के दायरे में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए काम चल रहा है। राज्य में कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है। सरकार का लक्ष्य है देश के हर व्यक्ति की थाल में एक बिहारी व्यंजन जरूर हो। राज्य सरकार जैविक खेती को भी बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है। जैविक खेती प्रोत्साहन योजना द्वारा वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन में वृद्धि के लिए किसानों को 75 घन फीट क्षमता के स्थायी/अर्द्धस्थायी उत्पादन इकाई पर लागत मूल्य का 50%  अधिकतम 3000 रुपये प्रति इकाई की दर से अनुदान देने का प्रावधान है। एक किसान अधिक से अधिक 5 इकाई के लिए अनुदान का लाभ ले सकता है।

इसके अतिरिक्त व्यावसायिक स्तर पर वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उद्यमी/सरकारी प्रतिष्ठानों को सहायता का प्रावधान है। वर्मी कम्पोस्ट वितरण में मूल्य का 50 प्रतिशत अधिकतम 300 रुपये क्विंटल की दर से अधिकतम 2 हेक्टेयर के लिए अनुदान का प्रावधान किया गया है। व्यावसायिक स्तर पर वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु निजी उद्यमी को प्रतिवर्ष 1000, 2000 एवं 3000 मेट्रिक टन प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता के लिए लागत मूल्य का 40 प्रतिशत अधिकतम 6.40, 12.80 एवं 20.00 लाख रूपये क्रमशः अनुदान देने का प्रावधान किया गया है, जो पांच किस्तों में प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता का कम-से-कम 50 प्रतिशत उत्पादन करने के उपरांत देय होगा अर्थात कुल अनुदान राशि का प्रथम वर्ष में 30 प्रतिशत, द्वितीय वर्ष में 20 प्रतिशत, तृतीय वर्ष में 20 प्रतिशत, चतुर्थ वर्ष में 15 प्रतिशत एवं पंचम वर्ष में 15 प्रतिशत अनुदान राशि देने का प्रावधान किया गया है। सरकारी प्रतिष्ठानों को प्रतिवर्ष 1000, 2000 एवं 3000 मेट्रिकटन प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता के लिए लागत मूल्य का शत्-प्रतिशत अधिकतम 16.00 32.00 एवं 50.00 लाख रूपये क्रमशः अनुदान देने का प्रावधान है।

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जैव उर्वरक पोषक तत्वों को जमीन में स्थिर करने तथा इसे पौधों को उपलब्ध कराने में उपयोगी है। इस कार्यक्रम अन्तर्गत जो किसान जैव उर्वरक खरीदना चाहते हैं, उनके लिए मूल्य का 50 प्रतिशत अधिकतम 75 रूपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दर प्रस्तावित की गई है। व्यावसायिक जैव उर्वरक में सरकारी/गैर सरकारी संस्थाओं को अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।

हरी खाद के रुप में ढैंचा तथा मूंग की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। गरमा / पूर्व खरीफ 2016 के लिए इस कार्यक्रम में ढैंचा बीज हरी खाद के रुप में ढैंचा तथा मूंग की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। गरमा/ पूर्व खरीफ 2016 के लिए इस कार्यक्रम में ढैंचा बीज 90 प्रतिशत तथा मूंग का बीज 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराने का कार्यक्रम स्वीकृत किया गया है।

गोबर/बायो गैस के प्रोत्साहन के लिए किसानों को 2 घनमीटर क्षमता के लिए इसके लागत मूल्य का 50 प्रतिशत अधिकतम 19000 रुपये प्रति इकाई की दर स अनुदान देने का प्रावधान है। संयंत्र की स्थापना के लिए टर्न की सर्विस प्रोवाइडर को 1500 रुपए प्रति इकाई पूर्व की तरह सहायता दी जाएगी।

सूक्ष्म पोषक तत्व समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के लिए कमी वाले क्षेत्रों में सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरॉन आदि के व्यवहार से फसल उत्पादन बढ़ेगा। इस उद्देश्य से जिन क्षेत्रों में सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरॉन आदि की कमी हो रही है, वहां किसानों को इनके व्यवहार के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए मूल्य का 50 प्रतिशत अधिकतम 500 रुपए प्रति हेक्टेयर अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया जाएगा।

समेकित कीट प्रबंधन की प्रवृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बीज का उपचार आवश्यक है। बीज के उपचार की तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को बीजोपचार रसायन पर मूल्य का 50 प्रतिशत अधिकतम 150 रुपए प्रति हेक्टेयर सहायता दी जाएगी। फसलों के लिए कुछ अत्यंत नुकसानदेह कीड़े जैसे चना का पिल्लू (पॉड बोरर), बैगन का पिल्लू (सूट एंड फ्रूट बोरर) आदि के नर कीट को फिरोमोनट्रेप लगाकर फंसाया जा सकता है तथा आबादी को बढ़ने से रोका जा सकता है। यह नयी तकनीक है। इसके प्रति रुझान बढ़ाने के लिए मूल्य का 90 प्रतिशत अधिकतम 900 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान राशि स्वीकृत की गई है। रासायनिक कीटनाशी/ फफुंदनाशी के व्यवहार से पर्यावरण प्रदूषण को समाप्त करने के लिए जैविक विकल्प अपनाना आवश्यक है। इनके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए किसानों को मूल्य का 50 प्रतिशत अदिकतम 500 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान राशि की सहायता दी जाएगी।

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जैविक खेती का अंगीकरण एवं प्रमाणीकरण किसानों/ उत्पादकों का समूह बनाकर राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अनुसार जैविक खेती के लिए निर्धारित पैकेज पर अनुदान दिए जाने का प्रावधान है।

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