नीतीश ने कबूला, पुलिस के लोग भी शराब के धंधे में लगे हैं

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लखीसराय में मुख्यमंत्री ने 9 सिंचाई परियोजनाओं का किया शिलन्यास

पटना। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि शराबबंदी को फेल करने की कोशिश में कुछ पुलिस वाले  भी लगे हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए मैंने कहा है। उन्होंने कहा कि 9 जुलाई 2015 को एक सम्मेलन में महिलाओं ने बिहार में शराबबंदी लागू करने की मांग की थी, जिस पर अमल करते हुए 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी बिहार में लागू की गई। शराबबंदी लागू हुए 2 साल से ज्यादा हो गये। शराबबंदी से आम आदमी को काफी  फायदा  हुआ है। लोगों के जीवन मे बेहतरी  आयी  है और पूरे  बिहार में शांति का माहौल है। कुछ लोग जरूर इसे विकी कोशिश करने में लगे हैं। मुख्यमंत्री लखीसराय में सिंचाई परियोजनाओं के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने 9 सिंचाई परियोजनाओं का शिलान्यास किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 9 जुलाई 2015 को एक सम्मेलन में महिलाओं ने बिहार में शराबबंदी लागू करने की मांग की थी, जिस पर अमल करते हुए 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी बिहार में लागू की गई। शराबबंदी लागू हुए 2 साल से ज्यादा हो गये। शराबबंदी से आम आदमी को काफी  फायदा  हुआ है। लोगों के जीवन मे बेहतरी  आयी  है और पूरे  बिहार में शांति का माहौल है। उन्होंने कहा कि काम के साथ-साथ समाज सुधार भी आवश्यक है।

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उन्होंने कहा कि हम काम से हम कभी समझौता नहीं करते। कल ही हमने करीब 6 घंटे तक सड़कों का निरीक्षण किया है। लोगों से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि शराब के धंधे में चंद पियाक, अवैध कारोबारी और कुछ पुलिस तंत्र के लोग लगे हुए हैं। ऐसे लोगों पर कार्रवाई हो रही है, फिर भी सचेत रहने की आवश्यकता है। सभी बिजली के खंभों पर एक टेलीफोन नम्बर लिखवाया जा रहा है और आप अपने मोबाइल से उस नम्बर को डायल कर शराब पीने या उसका धंधा करने वालों की सूचना दे सकते हैं। सूचना देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा और 3-4 घंटे के अंदर उस पर कार्रवाई होगी। कार्रवाई के संबंध में सूचना देने वाले से पूछा जाएगा कि वह इससे संतुष्ट हैं या नहीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब के धंधे पर निर्भर रहे परिवारों को सतत जीविकोपार्जन योजना से जोड़ा जा रहा है। ऐसे परिवारों को स्वयं सहायता समूह और जीविका दीदियों के माध्यम से चिन्हित किया जा रहा, जिन्हें वैकल्पिक रोजगार के लिए 60 हजार से 1 लाख रुपये की मदद सरकार द्वारा दी जाएगी। इसके अतिरिक्त ऐसे परिवारों को 7 माह तक प्रतिमाह एक हजार रुपये की सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि रोजगार के शुरुआती दौर में वे अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक ढंग से कर सकें। इस बात को आप अधिक से अधिक लोगों से साझा करिये, ताकि इसका लाभ जरूरतमंद लोग उठा सकें।

लखीसराय जिले में जनोपयोगी एवं विकासोन्मुखी 9 सिंचाई योजनाओं का शिलान्यास रिमोट के माध्यम से शिलापट्ट का अनावरण कर किया। इस अवसर पर लखीसराय के सूर्यगढ़ा स्थित मध्य विद्यालय माणिकपुर प्रांगण में आयोजित जनसभा को को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 92 करोड़ 59 लाख 97 हजार रुपये की लागत से कुल 9 सिंचाई योजनाओं का शिलान्यास हुआ है, जिससे करीब 23,905 हेक्टेयर यानी एक लाख बिगहा भूमि की सिंचाई हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इस इलाके में प्रवाहित होने वाली नदियों के जल का उपयोग सिंचाई के रूप में करने के लिए इन योजनाओं का शिलान्यास किया गया है। इन पर एक सप्ताह के अंदर काम प्रारम्भ हो जाएगा, क्योंकि 15 माह के अंदर इन योजनाओं का काम पूरा करने का लक्ष्य  निर्धारित  किया  गया  है।

उन्होंने  कहा  कि  जल संसाधन  विभाग  को  तीन  खण्डों  में विभाजित  करके  अलग-अलग  जबाबदेही  सौंपी  गयी  है।  विभाजन के बाद  एक खण्ड को सिंचाई  का  काम,  दूसरे  खण्ड  को  बाढ़  नियंत्रण  और तीसरे  को इन दोनों  के काम की मॉनिटरिंग करने का जिम्मा सौंपा गया है। इसके बाद तेजी से काम आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि बिहार का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ प्रभावित रहता है। उसको नियंत्रित करने के लिए कोशिशें की जाती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संसाधन विभाग के विभाजन से पहले बाढ़ नियंत्रण में ही अधिकांश विभागीय अधिकारी लगे रहते थे, इसलिए सिंचाई योजनाओं पर समय से अमल नहीं हो पाता था, जिसके कारण राशि बढ़ानी पड़ती थी। जब से विभाग का विभाजन हुआ, उसी का परिणाम है कि अनेक सिंचाई योजनाओं को पूरा किया गया, जो बहुत समय से लंबित थी। आज जिन योजनाओं का शिलान्यास हुआ है, मुझे पूरा भरोसा है कि मार्च 2020 तक उसका काम पूरा हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में 76 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर हैं। कृषि का मतलब अनाज उत्पादन से लेकर मत्स्य पालन, पशुपालन, फल की खेती, सब्जी उत्पादन जैसी अन्य कई चीजों से है। इन सभी क्षेत्रों में काफी काम किया गया है। बिहार में पहला  कृषि  रोडमैप 2008-2012 और दूसरा  कृषि  रोड  मैप 2012-2017 के लिए बनाया गया  था  और  अब  तीसरा  कृषि  रोड  मैप 2017-2022  पर  काम  चल  रहा  है।  पहले  कृषि रोडमैप के क्रियान्वयन का परिणाम यह हुआ कि धान, गेहूं और मक्के के उत्पादन में राष्ट्रीय औसत से बिहार ऊपर चला आया और कुछ क्षेत्रों में धान का उत्पादन इतना अधिक हुआ कि बिहार ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया। इसके लिए बिहार को पुरस्कृत भी किया जा चुका है। सब्जी के उत्पादन में इस देश में बिहार तीसरे स्थान पर है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि के लिए सिंचाई के साथ-साथ सड़क भी जरूरी है ताकि पैदावार को बाजार में आसानी से पहुंचाया जा सके। इससे किसानों को उचित कीमत मिलेगी। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अलावा मुख्यमंत्री ग्राम सम्पर्क योजना और टोला सम्पर्क योजना के माध्यम से बिहार के हर गाँव एवं टोलों को पक्की सड़कों से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 3,800 करोड़ रुपये की लागत से पथ निर्माण विभाग के सड़कों की ही तरह ग्रामीण सड़कों के रखरखाव के लिए एक नई पालिसी बनाई है। इस योजना की शुरुआत हो गयी है। उन्होंने कहा कि अगले 2 साल के अंदर बिहार में कोई भी सड़क अब खराब हालत में नहीं दिखेगी और उसके बाद कभी भी खराब नहीं दिखेगी चाहे सड़क किसी भी योजना से ही क्यों न बनी हो।

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उन्होंने कहा कि बिहार के हर इच्छुक परिवार तक 31 दिसंबर 2018 तक बिजली पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन ऊर्जा विभाग  की  मुश्तैदी  और  सक्रियता  के  कारण  यह  लक्ष्य  इसी  साल  के  25 अक्टूबर को ही हासिल किया जा चुका है। जंगल और पहाड़ी इलाकों में ऑफ ग्रिड (सौर ऊर्जा) के माध्यम से बिजली पहुंचाई गई है। इसका मुआयना हम रोहतास-कैमूर के पहाड़ पर कर चुके हैं और दो दिनों बाद पश्चिम चंपारण में भी इसे देखने जाएंगे, जहाँ ऑफ ग्रिड के जरिये लोगों को बिजली उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि हर गांव और टोलों को पक्की सड़क से जोड़ने के साथ ही हर घर तक पक्की गली और नाली बनाने का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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