CBI के शिकंजे में बंगाल, ममता की मर्जी के खिलाफ दर्ज हो रहे केस

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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की ना नुकुर और उनकी पार्टी के बगावती तेवर के बावजूद भ्रष्टाचार और संज्ञेय अपराध के मामले धड़ाधड़ सीबीआई में दर्ज हो रहे हैं.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की ना नुकुर और उनकी पार्टी के बगावती तेवर के बावजूद भ्रष्टाचार और संज्ञेय अपराध के मामले धड़ाधड़ सीबीआई में दर्ज हो रहे हैं.
  • ओमप्रकाश अश्क

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की ना नुकुर और उनकी पार्टी के बगावती तेवर के बावजूद भ्रष्टाचार और संज्ञेय अपराध के मामले धड़ाधड़ CBI में दर्ज हो रहे हैं. पिछले साल हुए असेंबली इलेक्शन के बाद तो ऐसे मामलों की बाढ़-सी आ गयी है. सीबीआई के पास जितने मामले इस दौरान दर्ज हुए हैं, वे सभी बंगाल की पुलिस से छीन कर हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपे हैं. हालत यह है कि तीन सप्ताह के अंदर हाईकोर्ट के निर्देश पर 6 मामले सीबीआई को सौंपे गये हैं.

चुनाव बाद हिंसा के बाद बढ़े CBI में मामले

असेंबली चुनाव के बाद बड़े पैमाने पर बंगाल में हिंसा हुई. रेप और हत्याओं के अनगिनत मामलों का विपक्ष ने मुद्दा उठाया. राज्य सरकार इससे इनकार करती रही. आखिरकार हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और इसकी जांच राज्य सरकार की मर्जी के खिलाफ CBI को सौंप दिया. उसके बाद हिंसा के तकरीबन साढ़े चार दर्जन मामलों में CBI ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की. बीते महीने यानी मार्च में रामपुरहाट में नौ हत्याएं हुईं. पहले एक जनप्रतिनिधि भादू शेख की हत्या हुई. उसके बाद एक ही दिन घरों को बंद कर आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया. हाईकोर्ट ने इन दोनों मामलों को सीबीआई को सौंप दिया. झालदा में कांग्रेस से जुड़े एक काउंसिलर की हत्या हुई. हाईकोर्ट ने पुलिस से छीन कर वह मामला भी जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया. पशु तस्करी का मामला भी सीबीआई के पास है. इस मामले के एक आरोपी टीएमसी नेता अणुव्रत मंडल को पूछताछ के लिए CBI ने तलब किया तो वह बीमार होकर सरकारी अस्पताल में भर्ती हो गये. एसएससी नियुक्ति घोटाले में टीएमसी के मंत्री पार्थ चटर्जी समेत कई लोग CBI के शिकंजे में हैं. रेप के बढ़ते मामलों पर भी हाईकोर्ट का रुख सख्त है. कहीं ये मामले भी सीबीआई को न सौंप दिये जाएं. अगर यही हालत रही तो बंगाल की पुलिस बेरोजगार हो जाएगी और सीबीआई को बंगाल के लिए अलग विंग न बनानी पड़ेगी.

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ममता नहीं चाहतीं सीबीआई मामलों की जांच करे

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा की घटनाएं लगातार उजागर होती रही हैं. भ्रष्टाचार के भी कई मामले सामने आये हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर ऐसे मामलों की जांच पुलिस के बजाय सीबीआई करने लगी है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यह नागवार लगता है. वह लगातार सीबीआई जांच की मुखालफत करती रही हैं. राज्य सरकार की इजाजत बगैर सीबीआई जांच के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट तक गयीं. गैर भाजपा शासित राज्यों को विश्वास में लिया. सात राज्यों ने बिना इजाजत सीबीआई को अपने-अपने राज्यों में जांच से मना भी कर दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी.

हाईकोर्ट के आदेश से जांच कर रही सबीआई

इधर हाईकोर्ट लगातार आपराधिक और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच बंगाल पुलिस से वापस लेकर सीबीआई को सौंप रहा है. हार कर ममता ने सीबीआई समेत तमाम केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ जहर उगलता शुरू कर दिया है. हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र समेत गैर भाजपा शासित पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर केंद्रीय जांच एजेंसियों पर राजनीतिक कारणों से प्रताड़ना का आरोप लगाया है. इसके खिलाफ उन्होंने एकजुटता की अपील की है. दरअसल ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी समेत तृण मूल कांग्रेस (टीएमसी) के कई समर्थकों के खिलाफ कहीं सीबीआई, आईटी तो कहीं ईडी की जांच चल रही है. नारदा स्टिंग आपरेशन और सारदा चिटफंड घोटाले की जांच पहले से ही सीबीआई कर रही है. टीएमसी के कई नेता तो इन मामलों में जेल तक जा चुके हैं. ममता की बौखलाहट की असल वजह यही है.

सीबीआई के पास जांच के लिए बंगाल के दर्जनों केस

बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव बाद की हिंसा में लोगों के मारे जाने, महिलाओं से दुष्कर्म किये जाने, वीरभूम जिले के रामपुरहाट में आठ लोगों को जिंदा जला दिये जाने, रामपुरहाट में ही भादू शेख की हत्या, एसएससी नियुक्ति घोटाला समेत दर्जनों मामलों की जांच कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस से छीन कर सीबीआई को सौंप दी है. कोयला और पशु तस्करी के मामलों की जांच सीबीआई पहले से कर रही है. विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस लगातार ममता सरकार पर हमलावर हैं. वाम दल तो हावड़ा में हुए एक छात्र की मौत की जांच भी सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं. इस बीच नदिया जिले में एक नाबालिग की रेप के बाद हत्या के मामले पर भी घमासान मचा हुआ है. हाईकोर्ट में यह मामला भी पहुंच गया है. इसी पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. ममता बनर्जी इस मामले में हास्यास्पद बयान देकर फंस गयी हैं. उन्होंने कहा है कि यह प्रेम प्रसंग का मामला है. हम यूपी की तरह लव जिहाद इसे नहीं ठहरा सकते.

महाराष्ट्र से मदद की उम्मीद क्यों पाल रही हैं ममता

ममता बनर्जी ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के एक्शन को एकतरफा पीड़क कार्रवाई करार देते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिख एकजुट होकर आवाज उठाने की मांग की है. दरअसल महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार है. महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी के 14 नेताओं के खिलाफ जांच चल रही है. इनमें प्रमुख नौ लोगों की सूची एक अखबार ने हाल ही में प्रकाशित की थी. इनमें अनिल देशमुख के खिलाफ ईडी, सीबीआई और आई.टी की जांच चल रही है. अनिल परब पर ईडी, सीबीआई और आईटी ने शिकंजा कसा है. वर्षा राउत और संजय राउत के खिलाफ ईडी और आईटी की जांच चल रही है. अजित पवार के खिलाफ भी ईडी और आईटी की जांच चल रही है. शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ भी ईडी की जांच जारी है. अशोक चह्वाण के खिलाफ ईडी, सीबीआई और आईटी की जांच चल रही है. हसन मुशरिफ और नवाब मलिक भी केंद्रीय जांच एजेंसियों के लपेटे में हैं. ममता बनर्जी के मंत्री, नेता या उनकी पार्टी के समर्थक जिस तरह भ्रष्टाचार या दूसरे संज्ञेय आपराधिक मामलों में केंद्रीय जांच एजेंसियों का सामना कर रहे हैं, उससे उन्हें महा अघाड़ी विकास की सरकार से समर्थन की उम्मीद स्वाभाविक है.

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