- ओमप्रकाश अश्क
Jharkhand Politics- झारखंड में हेमंत सोरेन की कुर्सी खतरे में पड़ गयी है. खदान आवंटन मामले में चुनाव आयोग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है. राज्यपाल ने चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था. हेमंत सोरेन पर खुद के नाम से पत्थर खदान लेने की शिकायत भाजपा ने राज्यपाल रमेश बैस से की थी.
सच कहें तो झारखंड में सरकार और भ्रष्टाचार का गहरा रिश्ता रहा है. इसकी बुनियाद मधु कोड़ा की सरकार के कार्यकाल 2008 में पड़ी थी. यह सिलसिला अब तक जारी है. ताजा मामला मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके ही मंत्रिमंडल के सहयोगी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से जुड़ा है. मधु कोड़ा और उनके मंत्रिमंडल के आधा दर्जन मंत्रियों में कुछ तो अब भी जेल की सीखचों में बंद हैं. कुछ की मौत हो गयी. कई के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के यहां मामले लंबित हैं. हालांकि जेल की हवा तकरीबन सभी आरोपी खा चुके हैं. हेमंत सोरेन पर फिलवक्त जो आरोप लगे हैं, उसमें राजभवन ने रुचि ली है और चुनाव आयोग ने भी संज्ञान ले लिया है. संसदीय मामलों के जानकारों का कहना है कि दोहरे लाभ के मामले में हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता भी जा सकती है.
Jharkhand Politics- हेमंत के खनन पट्टा मामले ने तूल पकड़ा
हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते अपने और अपने विधायक प्रतिनिधि, प्रेस सलाहकार और पत्नी के नाम पर खनन पट्टा और भूमि आवंटन का आरोप पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लगाया तो राजभवन ने उस पर संज्ञान ले लिया. आरोप है कि हेमंत सोरेन के नाम से खनन का पट्टा है तो उनके भाई बसंत सोरेन का नाम एक खनन कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल है. यानी हेमंत सोरेन सीएम रहते हुए खदान भी चलाते हैं. इस बारे में पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव से जानकारी मांगी और बाद में राजभवन की शिकायत पर चुनाव आयोग ने भी सफाई तलब की. राज्य सरकार ने हेमंत के खनन पट्टे के बारे में जानकारी आयोग को भेज दी है. ताजा सूचना है कि हेमंत के विधायक भाई बसंत सोरेन के बारे में भी चुनाव आयोग ने जानकारी देने को कहा है.
Jharkhand Politics- बढ़ती ही जा रही हेमंत सोरेन की मुश्किलें
पहले से ही अपने दो विधायकों की मुखर आलोचना के पात्र बन चुके हेमंत सोरेन के लिए भाजपा द्वारा लगाये गये आरोप उनकी मुश्किलें बढ़ाते जा रहे हैं. ताजा जानकारी यह है कि राज्यपाल रमेश बैस ने बुधवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर झारखंड के राजनीतिक हालात की जानकारी दी. हेमंत सोरेन की भाभी सीता सौरेन और जेएमएम के ही दूसरे विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावती तेवर पहले से ही अपना रखे हैं. सीता सोरेन तो राज्यपाल से मुलाकात कर हेमंत सोरेन सरकार की कार्यशैली की शिकायतें भी कर चुकी हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ताजा आरोप हेमंत सरकार पर यह लगाया है कि उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के नाम पर जमीन आवंटित की तो अपने विधायक प्रतिनिध और प्रेस सलाहकार को पत्थर खदानों का पट्टा दिलाया. हेमंत सोरेन पर सैकड़ों शेल कंपनियां बना कर पैसों की हेराफेरी का मामला भी हाईकोर्ट पहुंचा है. खनन पट्टे के मामले पर तो पहले से ही हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. खनन पट्टे के मामले पर हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए झारखंड सरकार से इस बारे में जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने कहा है कि यह बहुत ही गंभीर मामला है. यह पद का सरासर दुरुपयोग है. इस बारे में जनहित याचिका दायर करने वाले शिवशंकर शर्मा के वकील ने कहा कि हेमंत सोरेन ने पद का दुरुपयोग कर रांची जिले के अनगड़ा में अपने नाम से पत्थर खनन का पट्टा आवंटित करा लिया है. संविधान के अनुच्छेद 191 का यह उल्लंघन है. लाभ के पद पर रहते हुए कोई इस तरह का व्यवसाय नहीं कर सकता. ऐसा करने वाले की सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रावधान है.
Jharkhand Politics- खनन पट्टा के आवंटन की कहानी, महाधिवक्ता की जुबानी
राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हेमंत सोरेन को वर्ष 2008 में खनन पट्टा आवंटित हुआ था. वर्ष 2018 में लीज की मियाद खत्म हो गयी. नवीकरण के लिए आवेदन दिया गया था, लेकिन शर्तें पूरी नहीं होने के कारण लीज नवीकरण रद्द कर दिया गया. खनन विभाग की ओर से सितंबर 2021 में लीज का आवंटन कर दिया गया. फरवरी 2022 में ही लीज को सरेंडर कर दिया गया है. अदालत ने सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है. संभव है कि चुनाव आयोग को राज्य सरकार द्वारा भेजी रिपोर्ट में भी इसी बात का जिक्र किया गया हो.
Jharkhand Politics- मंत्री ने खुद ली और चहेतों को दिलायी प्रोत्साहन राशि
ठीक इसी दौरान कभी भाजपा के साथ रहे और निर्दल प्रत्याशी के रूप में मुख्यमंत्री रघुवर दास को पराजित करने वाले सरयू राय ने हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडलीय सहयोगी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर आरोप लगाया कि उन्होंने मंत्री कोषांग के 60 लोगों को कोविड प्रोत्साहन राशि देने की स्वीकृति दी है. इतना ही नहीं, मंत्री ने खुद को प्रोत्साहन राशि का हकदार मानते हुए सूची में पहला नाम अपना ही रखा है. उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इसकी जांच कराने की मांग की. इसके बाद विपक्ष में फिलवक्त बैठी भाजपा के नेताओं को मुद्दा मिल गया. भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बन्ना गुप्ता को मंत्री मद से हटाने की मांग कर दी है. सरयू राय के आरोप के मुताबिक मंत्री बन्ना गुप्ता ने खुद और अपने कोषांग के अन्य 59 लोगों के लिए 63 लाख रुपये की कोविड प्रोत्साहन राशि ली है. जो स्वास्थकर्मी इस राशि के वास्तविक हकदार थे, उनमें कई लोगों को नहीं मिली है. दरअसल राज्य सरकार ने कोविड काल में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहन बतौर एक महीने के मूल वेतन की राशि देने की स्वीकृति दी थी. राय के आरोप के मुताबिक मंत्री ने अपने आप्त सचिव, निजी सहायकों, आदेश पालकों, वाहन चालकों, सफाई कर्मियों, कंप्यूटर आपरेटर और सुरक्षा कर्मियों को भी प्रोत्साहन राशि की मंजूरी दे दी. 60 लोगों के बीच 62 लाख 99 हजार 728 रुपये बांटे गये.
Jharkhand Politics- सरयू के आरोप के बाद मंत्री ने आदेश रद्द किया
सरयू राय के आरोप लगाने के बाद पहले तो मंत्री इस तरह की किसी गड़बड़ी से इनकार करते रहे, लेकिन बाद में सार्वजनिक अवकाश के दिन (बाबा साहेब भीमराव आंबेदकर जयंती) दफ्तर खोल कर आदेश को रद्द कर दिया. मंत्री ने कहा कि विभाग का मंतव्य मिलने के बाद उन्होंने प्रोत्साहन राशि की स्वीकृति दी थी. सबको अभी तक राशि वितरित नहीं हुई है. वितरण पर रोक लगा दी गयी है. जो राशि ले चुके हैं, उनसे वापस ले ली जाएगी. उन्होंने सफाई भी दी कि सरयू राय के आरोप लगाने के पहले ही उन्होंने विभाग से इस बारे जानकारी ली थी. विभाग ने बताया था कि जिन लोगों की सूची तैयार हुई है, उनको कितनी राशि का भुगतान होगा, इसका आकलन अभी तक हुआ है. आकलन के मुताबिक कुल राशि 14.59 लाख बतायी गयी. सरयू राय ने सार्वजनिक अवकाश के दिन दफ्तर खोलने और आदेश रद्द करने पर भी सवाल उठाया. उनका कहना है कि संचिका में हेरफेर भी की जा सकती है. महापुरुषों की जयंती के दिन दफ्तर खोलना, उनका अपमान है. राय ने फिर से संचिका अपने पास मंगाने और मामले की जांच की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की है. इस बीच मंत्री बन्ना गुप्ता ने सरयू राय के खिलाफ मानहानि का मामला कोर्ट में दर्ज कराया है.
हेमंत सोरेन के एक मंत्री आलमगीर पर ईडी ने कसा शिकंजा
इधर हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है. यह मामला 22 जून 2020 का बताया जाता है. साहेबगंज के बरहरवा हाट बाजार की बंदोबस्ती के टेंडर से यह जुड़ा हुआ है. इस मामले में तीन प्राथमिकियां थाने में दर्ज करायी गयी थीं. इसमें हेमंत सोरेन के चुनावी क्षेत्र बरहेट में उनके विधायक प्रतिनिधि का भी नाम है. इनकी बैठक आलमगीर आलम के साथ हुई थी. इस बैठक का वीडियो वायरल हुआ. इस पर ईडी ने संज्ञान लिया और थाने से प्राथमिकी का ब्यौरा मांगा है.
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