बंगाल में ममता से हाथ मिलाने को लेकर कांग्रेस में मतभेद

0
182
ममता बनर्जी ने टीएमसी का घोषणापत्र आज जारी कर दिया। घोषणापत्र एक तरह से वादों का 'पिटारा' है। घर-घर राशन यानी डोर डिलीवरी का वादा किया है।
ममता बनर्जी ने टीएमसी का घोषणापत्र आज जारी कर दिया। घोषणापत्र एक तरह से वादों का 'पिटारा' है। घर-घर राशन यानी डोर डिलीवरी का वादा किया है।
  • कोलकाता से डी. कृष्ण राव

राजनीतिक विवशता का बात कहते हुए विपक्ष की एका के लिए दिल्ली में चंद्रबाबू नायडू राहुल गांधी का हाथ थाम रहे हैं। दूसरी ओर उसी समय बंगाल कांग्रेस महागठबंधन की प्रबल भागीदार  तृणमुल कांग्रेस का हाथ थामने के प्रश्न पर चार गुटों में बिखर गयी है। पिछले कई दिनों से कांग्रेस सांसद मोसम बेनजीर नूर आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल के साथ गठबंधन के पक्ष में बोल रही हैं। गुरुवार को भी पूर्व केन्द्रीय मंत्री बरकत गनीखान चौधरी के जयंती समारोह में नूर ने इस गठबंधन की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि जितनी जल्द हो, इसे अंजाम दे दिया जाये। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा को रोकने के लिए वह ममता के साथ हैं। दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्र के सुर अलग दिखे। उन्होंने कहा कि यह मोसम की निजी राय है, पार्टी की नहीं। उनका कहना है कि तृणमूल का हाथ थामने से कांग्रेस की हालत राज्य में और खराब हो जाएगी। उनका यह भी कहना है कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है। यहां सभी को अपना बात रखने का अधिकार है, लेकिन गठबंधन होगा या नहीं, इसका फैसला हाईकमान करेंगे।

इधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अधीर चौधरी का कहना है कि जहां कांग्रेस को खत्म करने की तृणमूल कांग्रेस कोशिश कर रही है। उसके साथ गठबंधन का कोई मतलब नहीं है। प्रदीप भट्टाचार्य व अब्दुल मन्नान जैसे वरिष्ठ नेता भी तृणमूल के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि वे तृणमूल छोड़ किसी भी गैर भाजपा दल से गठबंधन के पक्ष में हैं।

- Advertisement -

इधर गठबंधन को लेकर राज्य कांग्रेस नेताओं के इस अलग-अलग बयान को देखते हुए तृणमूल कांग्रेस के नेता व प्रवक्ता पार्थ चटर्जी का कहना है कि देश में भाजपा को खत्म करने के लिए एकमात्र तृणमूल ही लड़ रही है और ममता ही विपक्ष की एकमात्र सर्वमान्य चेहरा हैं। अगर किसी को भाजपा के खिलाफ लड़ना है तो ममता बनर्जी का नेतृत्व स्वीकार करना ही होगा। इधर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2014 में प्रबल भाजपा लहर के बावजूद राज्य में कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं, जिनमें दोनों सीटें मोसम बेनजीर नूर व उनके चाचा की थीं। दोनों पूर्व मंत्री गनीखान चौधरी के परिवार से हैं। इस बार उसी परिवार से तृणमूल के साथ गठबंधन का प्रस्ताव आ रहा है, जिसे ठुकराना मुस्किल होगा।

यह भी पढ़ेंः सुभाष चंद्र बोस के बहाने बंगाल को साधने में जुटी भाजपा

इधर भाजपा का संकट बढाते हुए माकपा अध्यक्ष सूर्यकांत मिश्रा ने कहा है कि उनकी पार्टी की प्राथमिकता किसी भी तरह भाजपा को रोकने की है। इसी वजह से माकपा गैर भाजपा किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करने को तैयार हुई है। इस विषय पर भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि वे राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। सही वक्त पर माकूल जवाब देंगे।

यह भी पढ़ेंः बंगाल का हालः लोकसभा में साथ, विधानसभा में कुट्टी चाहती है माकपा

- Advertisement -