बाबूलाल मरांडी आखिरकार बीजेपी के हो गये, बोल भी बदले

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बीजेपी के हुए बाबूलाल मरांडी, भाजपा में जेवीएम क विलय के अवसर अमित शाह के साथ बाबूलाल मरांडी
बीजेपी के हुए बाबूलाल मरांडी, भाजपा में जेवीएम क विलय के अवसर अमित शाह के साथ बाबूलाल मरांडी

RANCHI : बाबूलाल मरांडी आखिरकार बीजेपी के हो गये। जीवीएम का भजपा में विलय होते ही उनके बोल भी बदल गये। हेमंत सरकार को खूब कोसा। कहा- खजाना खाली होना महज बहाना है। धन जुटाना सरकार का काम है और वे इसकी बजाय खाली खजाने का रोना रो रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में आयोजित मिलन समारोह में मरांडी काफी गदगद दिखे। बोल इस कदर बदले कि उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व के बिना सेकुलरिज्म का कोई मतलब ही नहीं।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्य में नक्सलवाद बेकाबू है। हाल ही में सात लोगों की हत्या कर दी गयी। हम झारखंड को ऐसे ही नहीं छोड़ देंगे। अब भाजपा इसके खिलाफ आवाज बुलंद करेगी। मरांडी जी के आने के बाद भाजपा ताकतवर हुई है। मंच पर आदिवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी मौजूद थे।

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मरांडी के भाजपा में शामिल होने की कवायद तकरीबन महीने भर से चल रही थी। झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ इस बात का इंतजार किया जा रहा था कि बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम, जिसके तीन विधायक थे, वह कब भाजपा में शामिल होगी। इसके लिए राह में आने वाली तमाम बाधाओं को बड़े सलीके से बाबूलाल मरांडी ने दूर किया। नयी कार्य समिति बनायी और बारी-बारी से अपने दो विधायकों को उन्होंने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। फिर कार्यसमिति ने पार्टी के भाजपा में विलय का प्रस्ताव दिया। दल-बदल से बचने के लिए उन्होंने वे तमाम कानूनी उपाय किये, जो जरूरी थे।

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14 वर्ष के वनवास के बाद जिस तरह से श्री राम की अयोध्या में वापसी हुई थी, ठीक उसी तरह बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का भारतीय जनता पार्टी में विलय हो गया और मरांडी की भाजपा में पुनर्वापसी हो गयी। मरांडी के साथ कार्यकर्ताओं का एक बड़ा जनाधार रहा है। 2014 से ही उनको जो झटके लग रहे थे, उनसे उबरने के लिए उनके पास अब दूसरा कोई चारा नहीं बचा था। इस बार भी उनके दो विधायक इधर-उधर ठौर तलाश रहे थे। हाल ही में उन दोनों विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात भी की थी।

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भारतीय जनता पार्टी में जेवीएम के के साथ ही अब वह इतिहास बन गयी। विलय समारोह को को ऐतिहासिक बनाने के लिए बाबूलाल मरांडी ने ओपन इनविटेशन देकर बड़ी संख्या में लोगों को जुटाया था। भाजपा के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में शामिल हुए थे। अब सवाल उठता है कि बाबूलाल मरांडी के भारतीय जनता पार्टी में आने के बाद किसे क्या फायदे होंगे। भारतीय जनता पार्टी के पास अभी कोई बड़ा आदिवासी चेहरा नहीं है, जिसके दम पर वह आदिवासियों के बीच जाए। आदिवासियों के वोटों को अपनी झोली लाने का प्रयास करे। 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी की वजह से कामयाबी मिली थी। रघुवर दास को जब मुख्यमंत्री बना दिया गया झारखंड के आदिवासी समाज को किसी आदिवासी चेहरा के बजाय रघुवर दास का मुख्यमंत्री बनना रास नहीं आया। 2019 का चुनाव रघुवर दास के नेतृत्व में लड़ा गया, तो भाजपा को मात खानी पड़ी। बाबूलाल मरांडी का चेहरा भारतीय जनता पार्टी के लिए वरदान साबित होगा।

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अब समझते हैं कि बाबूलाल जी के भाजपा में जाने का क्या फायदा होगा। यह उनके लिए एक अवसर प्रदान करता है। उनके उत्थान का अवसर प्रदान करता है। भाजपा में उनके लिए कई दरवाजे खुलते हैं। एक तो संभव है कि उन्हें राज्यसभा भेजा जाए। दूसरा कि उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया जाये और तीसरा कि उन्हें संगठन में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी जाये। हालांकि उन्होंने कहा है कि एक ईमानदार कार्यकर्ता की तरह काम करेंगे। अमित शाह ने भी कहा है कि उन्हें पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेवारी दी जाएगी।

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