सीतामढ़ी। ससुराल जाने के पहले स्वरोजगार का हुनर सीख रही हैं बेटियां। उनके इस काम में मददगार बनी हैं मुखिया रितु जयसवाल। वह सीतामढ़ी में पंचायत की मुखिया हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में एक राष्ट्रीय दल से सीतामढ़ी से टिकट की दावेदार भी थीं। इनके पति अरुण कुमार IAS अधिकारी रहे हैं। एक तरफ टिकट नहीं मिलने से जहां दावेदार मायूसी के शिकार हो गए हैं, वहीं मुखिया रितु जायसवाल बाधा पर विजय की कहानी लिख रही हैं। इनकी पंचायत में ससुराल जाने से पहले लड़कियों को हुनरमंद किया जा रहा है।
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इसकी बानगी अब वास्तविकता के धरातल पर भी नजर आ रही है। रितु जयसवाल कहती हैं बाल विवाह सुदूर देहात की आज भी एक गम्भीर समस्या है। इस सामाजिक समस्या से लड़ते हुए हमें पहली कामयाबी मिली है रंजना की शादी से। वे कहती हैं- हमारे सिंहवाहिनी में बाल विवाह को रोकने के लिए हम लोगों ने एक बेहद ही साधारण, पर अलग कदम उठाया है। इसमें साथ दिया है हमारे पंचायत सचिव रमेश मेहता ने।
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तकरीबन एक साल पहले हम गाँव वालों ने अपने निजी पैसे से पंचायत के बड़े सिंहवाहिनी गाँव में सिलाई सिखाने का कार्यक्रम शुरू किया था। इस सेंटर में 15-15 के बैच में पंचायत की लड़कियों का नामांकन 17 वर्ष की आयु में लेने का निर्णय हमने किया। इसके पीछे हमारी सोच यह थी कि 4 महीने के प्रशिक्षण के बाद या जब तक लड़की पूर्णतः सीख न जाये, हम सिखायेंगे। जब लड़की 18 वर्ष की हो जायेगी और उसकी शादी यदि कम से कम 18 वर्ष की उम्र में होगी तो सिंहवाहिनी से लड़की एक गुण (सिलाई का प्रशिक्षण) और एक सिलाई मशीन उपहार स्वरूप लेकर अपनी ससुराल जाएगी। लड़की को अपने जीविकोपार्जन के लिए किसी पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा और वह सम्मान और स्वाभिमान से अपनी जिंदगी जी सकेगी। हम सब बेहद खुश हुए कि इस सकारात्मक सोच का सकारात्मक नतीजा देखने को इतनी जल्दी मिलने भी लगा।
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पंचायत के बड़ी सिंहवाहिनी गाँव के निवासी सुनील पासवान और बिंदु देवी ने अपनी प्यारी बिटिया रंजन कुमारी की शादी प्रशिक्षण के बाद 18 वर्ष की उम्र हो जाने के बाद करने का निर्णय लिया। शुक्रवार को उसकी शादी सम्पन्न हुई। इस शादी की सबसे खास बात यह रही कि पंचायत के सचिव रमेश मेहता ने अपने निजी पैसे से उपहार स्वरूप रंजन कुमारी को सिलाई मशीन दी। रितु कहती हैं- हमें लगता है कि किसी पंचायत सचिव के द्वारा ऐसी पहल में सहयोग करना शायद ही किसी ने देखा होगा।
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स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार अनुसूचित जाति में 18 वर्ष की आयु में लड़की की शादी होने की यह पहली घटना है। बाल विवाह, घरेलू हिंसा और दहेज प्रथा जैसी कुरीति को दूर करना है तो वो महज बात करने, कानून बनाने या मानव श्रृंखला बनाने से दूर नहीं होगी। ये अर्थ युग है। मुखिया रितु जायसवाल का कहना है कि हम जब तक महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त, शिक्षित और जागरूक नहीं करेंगे, तब तक बाल विवाह और दहेज प्रथा कभी समाप्त नहीं हो पाएगी। जैसा सोचा था, वैसा नतीजा इतनी जल्दी मिलने से हम समस्त ग्राम वासी उत्साहित हैं। वे कहती हैं कि अभियान आगे लगातार जारी रहेगा। यह पहल जारी रहेगी और उन्होंने अपने मित्रों से अपील की है कि जो सक्षम हैं, वे एक सिलाई मशीन (उषा का 3900 रुपये) अपने हाथों से सिंहवाहिनी में इस सेंटर से प्रशिक्षण लेकर निकली लड़की की शादी 18 वर्ष की आयु में करने पर देने की पहल करें।
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उन्होंने बताया कि हम पैसे नहीं ले सकते। हमारे सचिव की तरह आप एक मशीन दीजिए और हमारा आग्रह है अपने हाथ से बिटिया को आ कर दीजिए। यकीन मानिए, आपको बहुत खुशी मिलेगी। आप सब भी ऐसी पहल अपने गाँव में कर सकते हैं। बहुत छोटी-सी शुरुआत है। कोई बहुत ज्यादा पैसे नहीं लगेंगे इसे शुरू करने में। पर, ऐसी शुरुआत कितनी बेटियों की सम्मान की रक्षा करेगी, इस पर ज़रूर ध्यान दें।
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