ममता बनर्जी बीजेपी को हराने के लिए रोज नयी चालें चल रही हैं

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घुसपैठ पर ममता बनर्जी का 2005 में जो स्टैंड था, वह ममता 2021 में भूल गयी हैं। किंतु संकेत हैं कि मतदाता उन्हें इस बार याद दिला देंगे!
घुसपैठ पर ममता बनर्जी का 2005 में जो स्टैंड था, वह ममता 2021 में भूल गयी हैं। किंतु संकेत हैं कि मतदाता उन्हें इस बार याद दिला देंगे!
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। ममता बनर्जी बीजेपी को परास्त करने के लिए रोज नयी-नयी तरकीबें निकाल रही हैं। इन दिनों चुनावी प्रचार में ममता लाल मिट्टी वाले बंगाल में हैं। वह रोज सहानुभूति कार्ड के अलावा  लोगों को डराने की नई-नई तरकीब निकाल रही हैं। आज मेदिनीपुर की एक  सभा को संबोधित करते हुए ममता ने कहा- लॉकडाउन के समय  बाहरी राज्यों में फंसे मजदूरों को  कोलकाता लाने के लिए उनकी सरकार ने  300 ट्रेनें बुक  की थीं। सरकारी खर्च पर 50 लाख प्रवासियों को बंगाल में लाया गया। उन्हें  मुफ्त में राशन और नगद रुपये भी दिये गया। उन्हें  कह दीजिए कि वे जहां कहीं भी हों, इस बार चुनाव के पहले आएं और अपना वोट डालें। क्योंकि मतदान न करने पर भाजपा  षड्यंत्र कर उनका नाम वोटर लिस्ट लिस्ट से निकाल देगी। बाद में असम की तरह उन लोगों को भी राज्य से बाहर निकाल देगी।

ममता बनर्जी के इस भाषण पर राजनीतिक जानकारों की टिप्पणी है कि  कोविड-19  के कारण लगे लॉकडाउन के समय  बाहरी मजदूरों को राज्य में लाने के लिए अगर सबसे ज्यादा किसी मुख्यमंत्री ने  आपत्ति जताई तो वह बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी थीं। उन्होंने यहां तक कहा था कि  कोविड-19 स्पेशल ट्रेनों में भरकर  बाहर से कोरोना  संक्रमित लोगों को यहां लाया जा रहा है, ताकि यहां का  संतुलन बिगड़ जाए। वोटर लिस्ट से नाम काट कर  राज्य से बाहर निकाल देने की  बात पर असहमति जताते हुए राजनीतिक टिप्पणीकारों का कहना कि  देश के किसी भी चुनाव में शत प्रतिशत लोग  मतदान नहीं करते। इसका मतलब यह नहीं है कि  उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाता है और देश से बाहर भेज दिया जाता है।

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ममता बनर्जी हर सभा में एक बात और कह रही हैं। वह कह रही हैं- मैंने प्रधानमंत्री से कोविड-19 का  टीका मांगा था, ताकि राज्य के हर व्यक्ति तक मुफ्त में  इस वैक्सीन को पहुंचाया जाए। लेकिन  प्रधानमंत्री हमें दे नहीं रहे। इसके साथ-साथ वह यह भी दावा कर रहीं  कि पूरे राज्य में उनकी सरकार ने पोलियो, मलेरिया और डेंगू की  वैक्सीन लोगों तक मुफ्त में पहुंचा दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि  यहां पर  भी ममता बनर्जी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि पल्स पोलियो की  योजना तो केंद्र सरकार की है और मलेरिया और डेंगू का टीका  कब कहां दिया गया, इसका कोई  पता नहीं। ममता लॉकडाउन के समय  कोविड-19 से  लड़ाई में अपनी नाकामी छिपाने के लिए केंद्र सरकार  पर ठीकरा फोड़ने की  कोशिश कर रही हैं।

ममता इन दिनों जंगलमहल के इलाके में अपनी सभाओं में  एक और चाल चल रही हैं। यहां के पुराने सीपीएम,  कांग्रेस समर्थकों और माओवादियों से भी  भाजपा को हराने के लिए  टीएमसी को वोट देने की  अपील कर रही हैं। उनका टारगेट है कि  अब्बास सिद्दीकी उनका  जितना मुस्लिम वोट  काटेंगे, उसकी भरपाई  कांग्रेस और सीपीएम से हो जाये। उनकी ये चालें कितनी कारगर होंगे,  वह तो 2 मई को ही पता चलेगा।

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