बंगाल विधानसभा चुनाव में सभी दलों में माइनारिटी कार्ड खेलने की होड़

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बंगाल में अंतिम चरण के चुनाव में भी हिंसा नहीं थमी। सुरक्षा के व्यापक तामझाम के बावजूद बंगाल में आठवें चरण का मतदान भी शांतिपूर्ण नहीं रहा।
बंगाल में अंतिम चरण के चुनाव में भी हिंसा नहीं थमी। सुरक्षा के व्यापक तामझाम के बावजूद बंगाल में आठवें चरण का मतदान भी शांतिपूर्ण नहीं रहा।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। बंगाल विधानसभा चुनाव में सभी दल माइनारिटी वोट के पक्ष में हैं। TMC मुसलमानों को पटा रही है तो लेफट-कांग्रेस गठबंधन भी उन पर डोरे डाल रहे। इसमें रोड़ा बन रहे हैं AIMIM नेता ओवैसी। वैसे लड़ाई में बीजेपी व तृणमूल कांग्रेस ही दिखाई देते हैं। तीसरा कोण कांग्रेस व वाम दलों का है तो चौथे कोण के रूप में AIMIM और फुराफुरा शरीफ नामक बंगाली मुसलमानों का संठन है। कांग्रेस व माकपा गठबधन इसे त्रिकोणीय बना कर खुद का अस्तित्व बचाना चाहती हैं।

यह प्रयास काफी पहले से ही बंगाली मुसलमानों के संगठन फुरफुरा शरीफ के शक्तिशाली गुट नेता ओवैसी। अब्बास सिद्दिकी व ओवैसी ने शुरू किया। बंगाल के बांग्ला व उर्दू भाषी मुसलमानों के एक मंच पर आने से कम से कम 74 सीटों पर इनका दबदबा रहेगा व 66 सीटों पर इनकी भूमिका निर्णायक होगी। इसे देखते हुए कांग्रेस के नेता और विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने फुरफुरा शरीफ के एक धड़े के प्रमुख पीरजादा अब्बास सिद्दिकी के साथ दो दिन पहले बंद कमरे में बैठक की। बैठक के बाद रपट मन्नान ने हाईकमान को सौप दी है।

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीरजादा अब्बास सिद्दिकी 21जनवरी को नयी पार्टी की घोषणा करने जा रहे हैं। मन्नान इस पार्टी के साथ गठबंधन करना चाह रहे हैं। लेकिन पहले से फुरफुरा शरीफ और AIMIM के साथ चल रही बातचीत को बंद कर ओवैसी को किनारे रखना चाह रहे हैं। लेकिन अब्बास सिद्दिकी AIMIM को हटाकर उर्दू भाषी मुसलमानों का वोट खोना नहीं चाह रहे है। यानी वे ओमन्नान ने यह भी शर्त रखा कि यह गठबंधन  धर्मनिरपेक्ष गठबंधन हो लेकिन यहां भी पेंच फंसते दिख रहा वैसी को भी साथ रखना चाहते हैं।

अब्बास को पता है कि पिछले छह माह से राज्य के कम से कम छह जिलों में जिस तरह जलसा के माध्यम से उन्होंने मुसलमान युवाओं को इकट्ठा किया है, धर्मनिरपेक्षता के नाम से वह शक्ति घट सकती है। सिद्दिकी इसे  अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति तक सीमित रखना चाहते हैं। वह अपनी पार्टी का नाम भी इसी आधार पर रखना चाह रहे हैं। दूसरी ओर मन्नान की मुलाकात के बाद वाम मोर्चा के प्रमुख विमान बसु व सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि वे अब्बास सिद्दिकी से गठबंधन करने को तैयार हैं, लेकिन वे AIMIM को इस गठबंधन के साथ रखने के पक्ष में नहीं। अब्बास का कहना है कि वाम मोर्चा से गठबंधन करने में उनको कोई आपत्ति नहीं है। इधर अब्दुल मन्नान ने इस बातचीत का पूरी रपट आलाकमान को सौंप दी है। दूसरी ओर फुरफुरा शरीफ के दूसरे पीरजादा तह्वा सिद्दिकी और उनका गुट अब्बास से नाराज चल रहा है। तह्वा सिद्दिकी ने ममता बनर्जी को समर्थन देने का पहले ही ऐलान कर दिया है।

हांलाकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तह्वा सिद्दिकी के साथ ही कमेटी है, लेकिन अब्बास सिद्दिकी के साथ युवा पीढ़ी है। उनका यह भी मानना है कि अगर पीरजादा अब्बास की पार्टी के साथ कांग्रेस व वाम मोर्चा का गठबंधन होता है तो मुकाबला या तो त्रिकोणीय होगा। ममता का साथ अगर मुसलमान वोटर छोड़ देते हैं तो ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल को 70 पार करना मुश्किल होगा।

हांलाकि ममता बनर्जी भी यह गठबंधन बनने नहीं देना  चाहतीं, क्योंकि वह मुसलमान वोट खोना नहीं चाहतीं। इसीलिए AIMIM के राज्य स्तर के बड़े नेता  शेख अब्दुल कलाम ने सैयद पासा को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करा लिया है। बंगाल इमाम संगठन के मुखिया मुहम्मद इया ने लोगों से ओवैसी को वोट न देने की अपील भी की है। वह सीधे-सीधे भाजपा को हराने के लिए तृणमूल कांग्रेस को वोट देने की अपील कर रहे हैं।

इससे यह साफ होता दिख रहा है कि अब्बास सिद्दिकी को भी यह गणित समझ में आ गया है कि AIMIM के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से बाकी दल नाराज होंगे। इसीलिए वह पहले 10 जनवरी को पार्टी के नाम की घोषणा करना चाह रहे थे, लेकिन दूसरी पार्टियों से बातचीत न होने के कारण तारीख बदल कर 21 कर दी है। अगले हफ्ते तक कांग्रेस हाईकमान का रुख भी साफ होने की उम्मीद है।

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