जनधन खाते, जो निष्क्रिय हैं, उनसे भी जून तक पैसे निकलेंगे

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महम्मदपुर नरसंहार के असली साजिशकर्ता राजेश यादव को को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का संरक्षण प्राप्त है। सुशील मोदी ने यह आरोप लगाया है।
महम्मदपुर नरसंहार के असली साजिशकर्ता राजेश यादव को को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का संरक्षण प्राप्त है। सुशील मोदी ने यह आरोप लगाया है।

पटना। जनधन खाते, जो निष्क्रिय हो गये हैं, उनसे भी अब जून तक पैसे निकाले जा सकेंगे। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 30 जून तक महिलाएं जनधन के निष्क्रिय खातों से भी केन्द्र सरकार द्वारा मार्च, अप्रैल और मई महीने में प्रति खाते 500-500 की दर से भेजी गई कोरोना राहत की राशि की निकासी कर सकेंगी। बिहार की 2 करोड़ 33 लाख महिलाओं के जनधन खाते में पहली किस्त के तौर पर 1165 करोड़ की राशि भेजी जा चुकी है।

श्री मोदी ने कहा कि कतिपय शिकायतों के बाद बैंक की शाखाओं व ग्राहक सेवा केन्द्रों को केन्द्र सरकार व आरबीआई ने निष्क्रिय व बिना केवाईसी वाले खातों से भी 30 जून तक राशि की निकासी की छूट देने का निर्देश दिया है। बिहार की करीब 60 प्रतिशत जनधन खाताघारक  महिलाओं ने पहली किस्त की राशि की निकासी कर ली है, शेष 40 प्रतिशत महिलाओं से भी अपील है कि वे अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी अपने खातों राशि निकाल सकती हैं।

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उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक के 91.80 लाख खातों में राशि भेजी गयी जिनमें से सर्वाधिक 70.32 लाख महिलाएं, बैंक आफ बड़ौदा के 21.18 लाख खातों में से 10.61 लाख व सेंट्रल बैंक के 19.57 लाख खातों में से 10.14 लाख महिलाओं ने 20 अप्रैल तक राशि की निकासी कर ली हैं। ज्ञातव्य हो कि जनधन खाता शून्य बैलेंस पर खोला गया है तथा सभी खाताधारकों को 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा, रुपे कार्ड और बिना किसी बंधक के 10 हजार रुपये तक कर्ज लेने की सुविधा भी दी गयी है।

मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  समय पर लाक डाउन लागू करने का फैसला किया। गरीबों को 1 लाख 70 हजार करोड़ का राहत पैकेज दिया और जनता के सभी वर्गों ने कठिनाइयों के बावजूद संक्रमण रोकने के दिशा-निर्देशों का पालन किया। दुनिया कोरोना को हराने में भारत के प्रयासों की सराहना कर रही है। दूसरी तरफ सोनिया गांधी को यह नहीं दिखता कि जिस महामारी से अमेरिका में  50 हजार और इटली में 25 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, वहां 130 करोड़ लोगों के भारत में मृत्यु के आंकड़े अब भी 800 के नीचे हैं। कोरोना काल में जान बचाने की जिम्मेदारी निभाने के बाद सरकार अर्थव्यवस्था का जहान बचाने में भी सफल होगी।

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कांग्रेस नौकरी जाने के अतिरंजित आंकड़े पेशकर देश का मनोबल तोड़ना चाहती है, जबकि लाकडाउन के दौरान आईटी और ई-कामर्स कंपनियों में लाखों नौकरियां पैदा हो रही हैं। मजदूरों को अपने गांव के पास काम के अवसर मिल रहे हैं। चार राज्यों में सिमटी कांग्रेस को गरीबों-युवाओं की नहीं, अपनी बेरोजगारी ज्यादा सता रही है।

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