गुलजारी लाल नंदा को तो नयी पीढ़ी अब भूल ही गयी होगी !

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गुलजारी लाल नंदी को तो नयी पीढ़ी अब भूल ही गयी होगी
गुलजारी लाल नंदी को तो नयी पीढ़ी अब भूल ही गयी होगी

गुलजारी लाल नंदा को तो नयी पीढ़ी अब भूल ही गयी होगी। देश में दो ऐसे मौके आये, जब उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री का दायित्व संभालना पड़ा। 15 जनवरी उनकी पुण्यतिथि है।   

  • अवनिंद्र त्रिवेदी

गुलजारी लाल नंदा को ज्यादातर लोग नंदा जी के रूप में जानते हैं। नंदा जी के रूप में विख्यात गुलज़ारी लाल नंदा का जन्म 4 जुलाई 1898 को सियालकोट में हुआ था, जो अब पश्चिमी पाकिस्तान का हिस्सा है। इनके पिता का नाम बुलाकी राम नंदा तथा माता का नाम श्रीमती ईश्वर देवी नंदा था। नंदा की प्राथमिक शिक्षा सियालकोट में ही सम्पन्न हुई। इसके बाद उन्होंने लाहौर के ‘फ़ोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज’ तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। गुलज़ारी लाल नंदा ने कला संकाय में स्नातकोत्तर एवं क़ानून की स्नातक उपाधि प्राप्त की।

स्व. गुलज़ारी लाल नंदा का भारत के स्वाधीनता संग्राम में योगदान रहा। इन्होंने सन् 1921 में असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। मुम्बई के नेशनल कॉलेज में अर्थशास्त्र के व्याख्याता के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। अहमदाबाद की टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री में वह लेबर एसोसिएशन के सचिव भी रहे और सन् 1922 से सन् 1946 तक का लम्बा समय इन्होंने इस पद पर गुज़ारा। श्रमिकों की समस्याओं को लेकर सदैव जागरूक रहे और उनका निदान करने का प्रयास करते रहे। सन् 1932 में सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान और सन् 1942-सन् 1944 में भारत छोड़ो आन्दोलन के समय इन्हें जेल भी जाना पड़ा।

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नंदा बॉम्बे की विधानसभा में सन् 1937 से सन् 1939 तक और सन् 1947 से सन् 1950 तक विधायक रहे। इस दौरान उन्होंने श्रम एवं आवास मंत्रालय का कार्यभार मुम्बई सरकार में रहते हुए देखा व सन् 1947 में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC) की स्थापना हुई। इसका श्रेय नंदाजी को जाता है।

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मुम्बई सरकार में रहने के दौरान गुलजारी लाल नंदा की प्रतिभा को रेखांकित करने के बाद इन्हें कांग्रेस आलाक़मान ने दिल्ली बुला लिया। वह सन् 1950-1951, 1952-1953 और 1960-1963 में भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर रहे। ऐसे में भारत की पंचवर्षीय योजनाओं में इनका काफ़ी सहयोग पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्राप्त हुआ। इस दौरान उन्होंने निम्नवत् प्रकार से केन्द्रीय सरकार को सहयोग प्रदान किया।

गुलज़ारी लाल नंदा केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में कैबिनेट मंत्री रहे और स्वतंत्र मंत्रालयों का कार्यभार सम्भाला। नंदाजी ने योजना मंत्रालय का कार्यभार सितम्बर सन् 1951 से मई सन् 1952 तक निष्ठापूर्वक सम्भाला। नंदाजी ने योजना आयोग एवं नदी घाटी परियोजनाओं का कार्य मई 1952 से जून 1955 तक देखा। नंदाजी ने योजना, सिंचाई एवं ऊर्जा के मंत्रालयी कार्यों को अप्रैल 1957 से 1967 तक देखा। नंदाजी का श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय का कार्य मार्च 1963 से जनवरी 1964 तक सफलतापूर्वक रहा।

स्व नंदाजी ने मंत्रिमण्डल में वरिष्ठतम सहयोगी होने के कारण दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री का दायित्व सम्भाला। इनका प्रथम कार्यकाल 27 मई 1964 से 9 जून 1964 तक रहा, जब पंडित जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ था। दूसरा कार्यकाल 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966 तक रहा, जब लाल बहादुर शास्त्री का ताशकंद में देहान्त हुआ। नंदाजी प्रथम पाँच आम चुनावों में लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। आपका निधन 15 जनवरी, 1998 को हुआ।

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