इदिरा गांधी को टिकट देने के विरोध में जब एंटोनी ने सीएम पद छोड़ा

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ए.के. एंटोनी
  • सुरेंद्र किशोर
    सुरेंद्र किशोर

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इंदिरा गांधी को टिकट देने के फैसले के विरोध में केरल के मुख्यमंत्री रहे ए.के. एंटोनी ने अपने पद से इस्तीफ दे दिया था। ऐसा उन्होंने सिद्धांत के तहत किया। आज शायद ही ऐसे लोग मिलें। वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर ने इस बारे में अपने फेसबुक वाल पर एक पोस्ट डाला है। पढ़ेंः  

ए.के. एंटोनी ने सन 1978 में केरल के मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा कांग्रेस हाईकमान के एक निर्णय के खिलाफ था। वह निर्णय न तो एंटोनी से संबंधित था, न ही उनके राज्य से। मामला सिद्धांत का था। निर्णय इंदिरा गांधी को चुनावी टिकट देने से संबंधित था।

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एंटोनी की शिकायत थी कि जब दल का यह निर्णय हो चुका था कि श्रीमती गांधी को टिकट नहीं दिया जाएगा तो फिर क्यों दे दिया गया। क्या ऐसे मुद्दों पर कोई मुख्यमंत्री पद छोड़ता है? पर एंटोनी तो खास तरह के नेता थे। यह और बात है कि वे बाद में इंदिरा जी के साथ हो लिए थे।

खैर,एंटोनी जब मुख्यमंत्री थे तो वे विशेष सरकारी विमान से अपनी पत्नी और बच्चों को अपने साथ नहीं ले जाते थे। इसे वे सरकारी धन व पावर का दुरूपयोग मानते थे। ऐसा कितने सत्ताधारी नेता मानते हैं?

2014 के लोक सभा चुनाव के बाद सोनिया गांधी ने एंटोनी से कहा था कि आप चुनाव में कांग्रेस की हार के कारणों  पर रपट बनाइए। एंटोनी ने रपट बनाई। सोनिया जी को दे दिया।

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उसमें अन्य कारणों के साथ-साथ यह भी लिखा गया था कि मतदाताओं को, हमारी पार्टी अल्पसंख्यक की तरफ झुकी हुई लगी, जिसका हमें नुकसान हुआ। पर कांग्रेस हाईकमान ने एंटोनी की इस बात को नजरअंदाज कर दिया। याद रहे कि कांग्रेस अब भी उसी लाइन पर है।

पर इसमें एंटोनी का भला  क्या दोष? एंटोनी से मैं कभी मिला नहीं। मिलने का कोई चांस भी नहीं। सिर्फ उनके बारे में सुना और पढ़ा है। कुछ अलग ढंग का लगा तो लिख दिया। यदि आपके पास इसके विपरीत सूचनाएं हों तो जरूर बताइए।

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