सरकारी रेवेन्यू में जिसने चोरी पकड़ी, वही निगरानी के हत्थे चढ़ा

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पुलिस हिरासत में IGIMS पटना में इलाज करा रहे कर्मलाल
पुलिस हिरासत में IGIMS पटना में इलाज करा रहे कर्मलाल

पटना (निशांत)। सरकारी रेवेन्यू में जिसने चोरी पकड़ी, निगरानी ने उसे ही गिरफ्तार किया। मामला बैंक गारंटी में करोड़ों रुपये की हेराफेरी का है। मामले को विस्तार से समझें। बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम में करोडों रुपए की बैंक ग्रांटी की हेराफेरी की गई है। जिस संवेदक द्वारा यह किया गया, उससे स्पष्टीकरण मांगना वहां के सचिव कर्मलाल को महंगा पड़ा। ऐसा उनका कहना है। इतना ही नहीं, सरकार के खजाने को बचाने के एवज में उन्हें  पुलिस हिरासत में रखा गया है। उनका आरोप है कि बिहार सरकार के निगरानी विभाग के अधिकारियों ने उन्हें (सचिव कर्मलाल) इतना टॉर्चर किया कि वह इंदिरा गांधी ह्रदय रोग संस्थान में भर्ती हैं।

फर्जी बैंक गारंटी के संदर्भ में कर्मलाल की टिप्पणी
फर्जी बैंक गारंटी के संदर्भ में कर्मलाल की टिप्पणी

बकौल कर्मलाल बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के कई टेंडर में बैंक गारंटी गलत दिया गया है। जिसके कारण सरकार के करोड़ों रूपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि बिहार पुलिस निर्माण निगम के  सीएमडी के सचिव होने के नाते मैंने इस संचिका पर टिप्पणी दी थी कि बैंक गारंटी गलत होने के बाद नियम संगत कारवाई की जाए। इससे क्षुब्ध संवेदक ने निगरानी से मिलकर  मेरे ऊपर निगरानी  में केस दर्ज कराया है। हद तो यह कि मैंने पैसा नहीं लिया, जबरदस्ती मेरे हाथ में निगरानी के पुलिस और अधिकारियों द्वारा पैसा पकड़ाने की कोशिश की गयी। जब वे लोग इसमें सफल नहीं हुए तो पूरी तरह से मुझे र्टाचर किया।

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सचिव कर्मलाल की फर्जी बैंक गारंटी मामले में टिप्पणी के बाद संवेदक को शो काज
सचिव कर्मलाल की फर्जी बैंक गारंटी मामले में टिप्पणी के बाद संवेदक को शो काज

उल्लेखनीय है कि 24 जनवरी को बिहार पुलिस भवन निर्माण  निगम के सहायक सचिव कर्म लाल को निगरानी  अन्वेषण ब्यूरो ने उनके कार्यालय से उन्हें हिरासत में लिया था। निगरानी द्वारा यह दावा किया गया कि उन्हें रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद कर्मलाल की तबीयत बिगड़ गई। सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। निगरानी ब्यूरो ने कर्मलाल के बीमार होने की सूचना निगरानी कोर्ट में दी है।

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कर्मलाल डीएसपी के पद से सेवा निर्मित हुए हैं। वह पटना के कई थानों थानों में थानेदार रह चुके हैं। बिहार के कई जिलों में डीएसपी रह चुके हैं। उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। कई अवॉर्ड से नवाजा गया है। फिलहाल वे संविदा के आधार पर बिहार पुलिस निर्माण निगम में सहायक सचिव के पद पर कार्यरत थे। इस संबंध में जब बिहार पुलिस निर्माण निगम के सीएमडी सुनील कुमार से मोबाइल पर संपर्क किया गया तो उन्होंने जर्नलिस्ट सुनते ही फोन कट कर दिया।

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