कांग्रेस में ठिकाना तलाश रहे कुशवाहा, 10 को मिलेंगे राहुल से

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पटना। केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा का अब एनडीए से पूरी तरह मोह भंग हो गया है। गुरुवार को मोतीहारी में जिस तेवर और अंदाज में वह बोल रहे थे, उससे साफ है कि उन्हें न एनडीए अब बर्दाश्त करने की स्थिति में है और न वह एनडीए का पिछलग्गू बने रहना चाहते हैं। शायद यही वजह है कि उन्होंने एलानिया अंदाज में कह दिया कि अब याचना नहीं, रण होगा। सूत्रों के मुताबिक वह दिल्ली में सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलेंगे और आगे की अपनी रणनीति बनायेंगे।

भाजपा ने उनके तेवर को गंभीरता से लिया है। अनुमान है कि पांच राज्यों में हुए विधानसबा चुनावों के परिणाम के साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल से उनकी छुट्टी कर दी जायेगी। कुशवाहा की योजना निकाले जाने के पहले ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की है। इसीलिए वह सोमवार को राहुल गांधी से मिल रहे हैं। संभव है कि उसके तुरंत बाद ही वह मंत्री पद से इस्तीफा दे दें।

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बिहार में कुशवाहा की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि जिस सभा में वह एनडीए के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक रहे थे, उस सभा में उनकी पार्टी का न कोई सांसद मौजूद था और न विधायक ही आये। विधायकों ने तो पहले ही पाला बदल का संकेत दे दिया है। बिहार विधानसभा सत्र के दौरान उनके विधायक भाजपा विधायक दल की बैठक में शामिल हुए और दो दिन बाद होने वाली एनडीए विधायक दल की बैठक में भी जदयू और लोजपा विधायकों के साथ बैठे। उनकी पार्टी के दो ही विधायक हैं। उनके अलावा पार्टी के दो सांसद भी हैं, लेकिन उनमें एक अरुण कुमार ने पहले ही अलग गुट बना लिया है और दूसरे सांसद ने उनसे कन्नी काटने में ही शायद अपनी भलाई समझी है।

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उपेंद्र कुशवाहा के सामने दो ही विकल्प हैं। अव्वल तो वह अपनी पार्टी का वजूद बरकरार रखते हुए महागठबंधन में शामिल हो जायें या फिर अपने दम पर एकला चलें, जो उनके हित में फिलहाल नहीं लगता। राहुल गांधी से मिलने के पीछे उनका मकसद महागठबंधन की डोर थामना ही बताया जाता है। यह भी हो सकता है कि वह अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में पार्टी का विलय कर पूरी तरह कांग्रेसी चोला पहन लें।

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