‘कोरस’ के दस दिवसीय थियेटर वर्कशॉप का समापन

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सांस्कृतिक संगठन 'कोरस' ने शनिवार को अपने दस दिवसीय थियेटर वर्कशॉप का समापन संस्थापक संस्कृतिकर्मी महेश्वर स्मृति दिवस के रूप में किया।
सांस्कृतिक संगठन 'कोरस' ने शनिवार को अपने दस दिवसीय थियेटर वर्कशॉप का समापन संस्थापक संस्कृतिकर्मी महेश्वर स्मृति दिवस के रूप में किया।

पटना। सांस्कृतिक संगठन ‘कोरस’ ने शनिवार को अपने दस दिवसीय थियेटर वर्कशॉप का समापन संस्थापक संस्कृतिकर्मी महेश्वर स्मृति दिवस के रूप में किया। इस अवसर पर पटना के हड़ताली मोड़ स्थित 11 नं. विधायक आवास पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में संयोजक समता राय ने महेश्वर का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि पटना के बीएन कॉलेज में प्रोफेसर रहने के साथ-साथ वह बेहतर समाज के संघर्ष के लिए सड़कों पर भी सक्रिय रहते थे। समाज के शोषित तबके, खासकर महिलाओं पर होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ वह जीवनपर्यंत आवाज उठाते रहे और ‘कोरस’ महेश्वर की इन्हीं सरोकारों की उपज है। हमारा प्रयास है इसकी जीवंतता और निरंतरता बनी रहे।

बतौर विशिष्ट अतिथि महेश्वर को याद करते ‘ऐक्टू’ के बिहार राज्य महासचिव आरएन ठाकुर ने कहा कि सामाजिक सरोकारों से लैस महेश्वर अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति थे। खास बात थी कि वह बहुत जल्दी ही लोगों से घुल-मिल जाते थे। युवाओं में वह अत्यंत लोकप्रिय थे। आज भी हम उनकी रचनाओं से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

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महेश्वर की जनप्रियता को याद करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि जिस दौर से हम गुज़र रहे हैं, उसमें जरूरी है कि आम-अवाम की कला-संस्कृति को जीवन व्यवहार का हिस्सा बनाया जाए। इस अवसर पर वर्कशॉप में मौजूद कोरस के सदस्यों ने महेश्वर के लिखे गीत – ‘जिंदगी की जंग में मानो कभी न हार’ व ‘कौन रंगरेजवा रंगी मोरी चुनरी’ और राजेश जोशी की कविता– ‘मारे जाएंगे’ की गीतात्मक प्रस्तुति भी दी।

इसके पूर्व मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रैजुएट युवा रंगकर्मी राजू कुमार रंजन की देखरेख में 16 से 25 जून तक चले थियेटर वर्कशॉप के दौरान समता राय समेत रवि, अनु, तूलिका, अविनाश, अंकिता, सोनी, अवनि, स्नेहा, ऋचा, दिव्या, मोनू, विवेक, सौरभ, हर्ष, दिव्या प्रिया मिलाकर कुल 18 छात्र-छात्राओं ने रंगकर्म और रंगमंचीय प्रस्तुतियों से जुड़ी विभिन्न विधाओं का वैचारिक और व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से उत्तीर्ण रंगकर्मी पुंज प्रकाश ने भी अपना योगदान देते हुए थियेटर वर्कशॉप में मौजूद लड़के-लड़कियों से रंगमंच के लिए ज़रूरी – ‘ट्रस्ट गेम’, ‘मिमिक्री’, ‘स्टोरी बिल्डिंग’, ‘स्टेज स्पेस’, ‘इंप्रोवाइजेशन’,  ‘मोनो एक्टिंग’ आदि अभ्यास करवाए। वर्कशॉप के समापन पर प्रशिक्षित रंगकर्मियों ने कहा कि अब हम लोग नई ऊर्जा के साथ ‘कोरस’ की अगली प्रस्तुति के लिए जुट जाएंगे।

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