अपने पिता लालू से सियासी चाल सीखने तेजस्वी रांची में जमे

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तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव

रांची। लालू प्रसाद इन दिनों रांटी जेल में सजा काट रहे हैं। बीमार होने की वजह से उन्हें फिलहाल रांची के बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में रखा गया है। लंबे समय के बाद उनसे मिलने उनके बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पहुंचे है। आज उनकी लालू से मुलाकात होगी। जानकार बताते हैं कि वह पिता का पुरसाहाल तो पूछेंगे ही, उससे ज्यादा जरूरी उनकी लिए सियासी सलाह है।

दरअसल लोकसभा का चुनाव सिर पर है। राजद के सुप्रीमो लालू जेल में हैं। चूंकि राजद पारिवारिक पार्टी रही है, इसलिए लालू के बाद पार्टी को संभालने की जिम्मेवारी फिलहाल तेजस्वी के जिम्मे है। मां राबड़ी देवी उनके सियासी कामों में नैतिक समर्थन तो दे सकती हैं, लेकिन सियासी खुड़पेंच उनके वश की बात नहीं। तेजस्वी भी नवोदित नेता हैं। पार्टी में उनसे सीनियर कई हैं। लेकिन पारिवारिक दलों का संकट यही है कि वह सुप्रीमो के सहारे चलते हैं। इसलिए तेजस्वी को पिता से बेहतर सलाह देने वाला कोई नहीं।

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तेजस्वी के सामने संकट यह है कि अभी तक वह खुद जांच एजेंसियों की पूछताछ और उसमें निरापद निकल जाने की कानूनी सलाह लेने में व्यस्त हैं। पार्टी को चुनावी मोड में लाने की कोई तरकीब उन्हें नहीं सूझ रही है। महागठबंधन के फिलवक्त उनके दो साथी हैं- हम के जीतन राम मांझी और कांग्रेस। लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग का फार्मूला भी निकालना है कि किसको कितनी सीटें दी जायें। पार्टी के लिए पैसे का बंदोबस्त करना है। चुनावी वैतरणी कैसे कामयाबीपूर्वक पार किया जाये, इस पर उन्हें पिता से चाल समझनी ही होगी।

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पार्टी के वरिष्ठ तो खुल कर नाराजगी नहीं जाहिर करते हैं, लेकिन उन्हें भरोसे में लेकर कैसे चला जाये, यह राजनीति के नौसिखुआ तेजस्वी के लिए मुश्किल काम है। यहां उनकी मदद राबड़ी देवी करती रही हैं। जगदानंद सिंह, इलियास हुसैन और रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे उम्रदराज नेताओं को लेकर पार्टी चलानी है तेजस्वी को। उम्र का फासला तो कहीं न कहीं बुजुर्ग नेताओं को ठेस पहुंचाती ही है। बहरहाल, तेजस्वी अपने पिता लालू से मुलाकात के बाद राजनीतिक का कौन-सा गुर सीख कर आते हैं, यह देखना है।

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