छात्र संघ चुनाव में खींचतान से बिहार में भाजपा-जदयू अलग-थलग

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पश्चिम बंगाल में होने जा रहे विधानसभा चुणाव में ममता बनर्जी के लिए बीजेपी से बड़ी चुनौती पीके उर्फ प्रशांत किशोर हैं।
पश्चिम बंगाल में होने जा रहे विधानसभा चुणाव में ममता बनर्जी के लिए बीजेपी से बड़ी चुनौती पीके उर्फ प्रशांत किशोर हैं।

पटना। पटना विश्विद्यालय में छात्र संघ चुनाव ने सत्तारूढ़ जदयू और भाजपा के बीच दरार पैदा कर दी है। चुनाव का परिणाम चाहे जिसके पक्ष में जाये, पर मनमुटाव का बीजोरपण तो हो ही गयी है। आने वाले समय में मनमुटाव के बीजारोपण से पैदा हुआ पौधा कितना विशाल रूप धारण करेगा, यह समय के गर्भ में है।

वैसे भी भाजपा और जदयू के रिश्ते जितनी मजबूती के साथ दूसरे देखते हैं, उसकी बुनियाद इतनी कमजोर है कि कब रिश्ते टूट जायें, कहना मुश्किल है। भाजपा उग्र तेवर वाली हिन्दुओं की पोषक पार्टी है तो जदयू नरम तेवर अपना कर सेकुलर समीकरणों पर भरोसा करता है। यही वजह है कि जदयू नेता नीतीश कुमार को बार-बार यह दोहराना पड़ता है कि कम्युनलिज्म से कोई समजौता नहीं करेंगे।

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फिलहाल छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जदयू के उपाध्यक्ष और नीतीश कुमार के भरोसेमंद सलाहकार प्रशांत किशोर की दखलंदाजी की मुखालफत की है। उसके समर्थन में भाजपा के और भी नेता कूद गये हैं। नीतीश से खार खाये एनडीए के एक घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने छात्र संघ चुनाव में जदयू की दखलंदाजी की तीखी आलोचना की है। रालोसपा के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने तो यहां तक कह दिया है कि छात्र संघ चुनाव में अगर जदयू जीत भी जाता है तो क्या इससे कोई प्रधानमंत्री बन जायेगा।

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एबीवीपी से जुड़े छात्रों का आरोप है कि चात्र राजनीति में राजनीतिक दलों के कूदने की कोई जरूरत नहीं है, जबकि जदयू के प्रशांत किशोर कैंपस में गये। एबीवीपी का आरोप है कि उन्होंने पुलिस और विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को अपने उम्मीदवारों की जीत के लिए दबाव डाला। हालांकि प्रशांत किशोर इस बात से इनकार करते हैं। उनका कहना है कि पहली बार छात्र संघ के चुनाव छात्र जदयू मुखर हुआ है, इसलिए अनाप-शनाप आरोप लगाये जा रहे हैं।

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