बिहार के हिंदी कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को सम्मान

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पटना। बिहार के रहने वाले हिंदी कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को  श्रीलाल शुक्ल सम्मान देने की घोषणा हुई है। यह बिहार का, बिहार के हिंदी साहित्यकार बिरादरी का सम्मान है। किसी बिहारी लेखक को अबतक मिला यह सबसे बड़ा (पुरस्कार राशि की दृष्टि से) साहित्यिक सम्मान है। दिवाकर जी फिलहाल पटना में रहते हैं।

इंडियन फारर्मस फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड यानी इफको की ओर से यह पुरस्कार हर वर्ष किसी हिंदी साहित्यकार को ‘श्रीलाल शुक्ल इफको स्मृति साहित्य सम्मान’ नाम से दिया जाता है। बिहार  में जाति संघर्ष की स्थिति एवं समस्या एवं खेती-किसानी में मालिक-मजदूर के अस्वस्थ संबंध एवं परिस्थिति को अपने  साहित्यिक सृजन का मुख्य आधार बनाने वाले दिवाकर जी को 31 जनवरी, 2019 को नयी दिल्ली में आयोजित होनेवाले कार्यक्रम में सम्मानित करने की घोषणा की गयी है।

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सम्मानित साहित्यकार को प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र के साथ 11 लाख रुपये राशि दी जाती है। अररिया जिले के नरपतगंज गांव में मध्यमवर्गीय किसान परिवार में जन्म लेनेवाले दिवाकर जी दरभंगा के मिथिला विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त होने के बाद बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना के निदेशक भी रहे। अपनी रचनाओं के लिए जाने-जानेवाले दिवाकर जी की कहानी (मखान पोखर) पर फिल्म का निर्माण भी किया जा चुका है।

दिवाकर जी की रचनाओं में ‘नये गांव में’, ‘अलग-अलग परिचय’, ‘बीच से टूटा हुआ’, ‘नया घर चढ़े’ सरहद के पार’, धरातल’, माटी-पानी’, ‘मखान पोखर’, ‘वर्णाश्रम’, झूठी कहानी का सच’ (कहानी संग्रह)’, ‘क्या घर क्या परदेश’, ‘काली सुबह का सूरज’, ‘पंचमी तत्पुरुष’, ‘दाखिल-खारिज’, ‘टूटते दायरे’, अकाल संध्या (उपन्यास)’, ‘मरगंगा में दूब (आलोचना)’ प्रमुख हैं।

बता दें कि अब तक यह सम्मान श्री विद्यासागर नौटियाल, श्री शेखर जोशी, श्री संजीव, श्री मिथिलेश्वर, श्री अष्टभुजा शुक्ल, श्री कमलाकांत त्रिपाठी एवं मॉरीशस के लेखक रामदेव धुरंधर को प्रदान किया जा चुका है।

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