बिहार में कोराना ने एक वरीय पुलिस अफसर की जान ले ली

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बिहार में कोराना ने एक वरीय पुलिस अफसर की जान ले ली। बिहार में अब तक कोरोना से 991 मौतें हो चुकी हैं।
बिहार में कोराना ने एक वरीय पुलिस अफसर की जान ले ली। बिहार में अब तक कोरोना से 991 मौतें हो चुकी हैं।

बिहार में कोराना ने एक वरीय पुलिस अफसर की जान ले ली। बिहार में अब तक कोरोना से 991 मौतें हो चुकी हैं।

पटना। कोरोना के कहर के बीच बिहार में चुनाव की हड़बड़ी का मकसद साधारण आदमी भी समझता है। बिहार में कोरोना के आंकड़े अचानक घट गये। लाकडाउन की तबाही झेलने के बाद अनलाक के मानक तो तय हुए, लेकिन इन मानकों पर न सरकार अमल कर रही है और न चुनाव लड़ रहे नेता। खुलेआम रैलियां हो रही हैं, हजारों का हुजूम उड़ रहा है। पर्चा दाखिला के लिए नेताओं का काफिला निकल रहा है। न चाहते हुए भी अफसर, कर्मचारी और अधिकारी (पुलिस-प्रशासनिक) भी इन नेताओं के साथ कदमताल कर रहे हैं। नतीजा सामने है। आम आदमी के कोरोना सक्रिमित होने या उससे मौत तो अचर्चित विषय हैं, बड़े अफसरों और नेताओं की मौत भी चुनाव के लिए बेचैन नेताओं की आत्मा पर कोई बोझ नहीं बन रही।

पूर्णिया रेंज के आईजी पुलिस विनोद कुमार को कोरोना ने आज ही लील लिया। इससे पहले भी कई पुलिसकर्मियों को कोरोना ने छीन लिया। तकरीबन ढाई दर्जन डाक्टर कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं। दो पत्रकार (इनमें एक फोटो जर्नलिस्ट) हमसे काफी दूर जा चुके हैं। बात पुलिसकर्मियों की करें तो आंकड़ों के मुताबिक 50 प्रतिशत पुलिसकर्मी हार्ट और डायबिटीज जैसी बीमारी से ग्रसित हैं। छोटी बीमारियों को शामिल कर दें तो बिहार के 85 प्रतिशत पुलिस वाले बीमार और हैं और 87 प्रतिशत काम के बोझ से परेशान हैं।

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अब तक अबूझ रही कोरोना के बारे में डाक्टरों की सलाह है कि हार्ट व डायबिटीज के रोगियों को ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है। लेकिन अफसोस कि 14 घंटे औसतन ड्यूटी बजाने वाले पुलिसकर्मी एहतियात क्या खाक बरतेंगे। देशभर में कोरोना से एक लाख 13 हजार मौतें हो चुकी हैं। बिहार ने भी इन मौतों में अपनी अच्छी भागीदारी निभायी है। बिहार ने अब तक 2 लाख से अधिक लोग कोरोना के शिकार हो चुके हैं। 991 यानी करीब हजार लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। अकेले पटना में कोरोना ने 244 लोगों की जान अब तक ली है।

मौत पर किसी का वश नहीं होता। यह सभी जानते हैं। सरकारों में भी समाज के लोग ही हैं। लेकिन एक चुनाव के लिए मानवीय संवेदनाओं को सबने भुला दिया। मंदिर बंद किये। धार्मिक-सामाजिक आयोजन रोक दिये गये। नियमों की अवहेलना करने वालों पर सरकारी अमले ने फाइन-पेनाल्टी वसूली। गिर्फ्तारियां भी हुईं। सारे अमानवीय कृत्य कोरोना की रोकथाम के लिए सरकारों ने किये, लेकिन सत्ता के संघर्ष के लिए इन नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों के खिलाफ कोई कार्वाई नहीं हो रही।

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