पटना की 20 एकड़ जमीन पर होगा साइंस सिटी का निर्माणः मोदी

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पटना। श्रीकृष्ण विज्ञान केन्द्र, पटना में ‘बाल दीर्घा’ का उद्घाटन करने के बाद बच्चों को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बच्चों में वैज्ञानिक अभिरुचियों की अभिवृद्धि व प्रतिपादित वैज्ञानिक सिद्धांतों व आविष्कारों से आम लोगों को जोड़ने के लिए पटना में मोइनुलहक स्टेडियम के निकट 20.48 एकड़ में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर ‘साइंस सिटी’ का निर्माण किया जायेगा। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने विज्ञान केन्द्र स्थित एसओएस थियेटर में सौरमंडल पर आधारित शो देखा और छात्रों को खेल-खेल में विज्ञान से संबंधित जिज्ञासाओं से संबंधित सवालों को पूछने और सीखने की सलाह दी।

श्री मोदी ने कहा कि साइंस सिटी के निर्माण के लिए जमीन चिन्ह्ति कर उसकी चाहरदीवारी कर दी गयी है। बंगलुरू की फ्लाई एलिफेंट नामक संस्था को परामर्शी समूह के तौर पर 37 करोड़ में प्रतिनियुक्त किया गया है। पटना की यह साइंस सिटी अन्तरराष्ट्रीय स्तर की होगी।

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खेल-खेल में बच्चों में सीखने की प्रवृति को बढ़ावा देने के लिए ही भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि कक्षा 1 और 2 के बच्चों को होम वर्क नहीं दिया जायेगा। कक्षा 1 से 2 तक बच्चों के बस्ते का वजन 1 से 1.5 किग्रा, कक्षा 2 से 3 के बच्चों का 2 से 3 किग्रा, कक्षा 6-7 के बच्चों का 4 और कक्षा 8 व 9 के बच्चों के बस्ता का वजन 4.5 किग्रा तक सीमित रखने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने कहा कि केवल किताबों से ही नहीं, बल्कि खेल-खेल में भी बच्चे विज्ञान को सीखें। पूरे दिन टीवी और मोबाइल से चिपके रहने के बजाय अपने आस-पास के परिवेश और प्रकृति को समझने-जानने की कोशिश करें। उन्होंने बच्चों से कहा कि यह सृष्टि केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं बल्कि समस्त जीव-जन्तुओं के लिए हैं। बच्चे पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी भाग लें,क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है।

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सुशील मोदी के ट्वीट

  • राजद जनता को गुमराह कर उसके वोट से जो राजनीतिक ताकत पाता है, उसे केवल एक परिवार की बेनामी सम्पत्ति बढ़ाने में लगाता है। उसके सदस्यों ने जनता के मुद्दे नहीं उठने दिये और शीतकालीन सत्र का कीमती समय केवल एक  सजायाफ्ता व्यक्ति को बचाने की कोशिश में बर्बाद किया। वे तर्कसंगत बहस नहीं, बाहुबल से लोकतंत्र को हांकना चाहते हैं।
  • जो लोग संविधान बचाओ यात्रा का नाटक करते हैं, वही विधानमंडल का सत्र शुरू होने पर संवैधानिक व्यवस्था की धज्जी उड़ाते हुए कार्यवाही बाधित कर सदन के बाहर चीखते ज्यादा नजर आते हैं। राजद 15 साल के शासक दल के रूप में ही नहीं, विरोधी दल के नाते भी नकारा साबित हुआ, इसीलिए जनता ने इसे 2010 में मात्र 22 सीटों पर सिमटा दिया था। वे फिर उसी आत्मघाती राह पर हैं।

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