कांग्रेस को काबू में रखने का राजद ने कर दिया है इंतजाम

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सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से चारा घोटाले की सूचनाएं खबर बनती थी। बचपन के दिनों में अक्सर सुनते थे कि सांढ़ स्कूटर पर ढोये गये। तब आश्चर्य होता था।
सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से चारा घोटाले की सूचनाएं खबर बनती थी। बचपन के दिनों में अक्सर सुनते थे कि सांढ़ स्कूटर पर ढोये गये। तब आश्चर्य होता था।

पटना। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय लालू यादव का ही होगा। मिलने आ रहे महागठबंधन के मित्र दलों के नेताओं से वह यही कह रहे कि खरमास बाद निर्णय हो जायेगा। लालू यादव इसी बहाने कांग्रेस को साधने की कोशिश भी कर रहे हैं। वह देखना चाहते हैं कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की राह चलती है कि राजद की मर्जी से।बिहार में राजद की बैशाखी के सहारे बिना कांग्रेस की नैया  पार नहीं होगी। यह बिहार कांग्रेस के लोग अच्छी तरह जानते हैं। इसके बावजूद 5 राज्यों के चुनाव परिणाम से इतने उत्साहित हैं कि अब राजद से भी अपने को ऊपर समझने लगे हैं। और, राजद उनको यह अवसर देकर अपने पांव में कुल्हाड़ी मार लेगा। राजद के सामने परेशानी यह है कि उसका आधा जनाधार (मुसलिम वोट) पर कांग्रेस से खतरा है।

राजद ने अगर कांग्रेस को तरजीह दी तो उसके ही वोट बैंक (मुसलिम) में सेंध लग जायेगी। उधर कांग्रेस के नेताओं ने तीन राज्यों में भाजपा को परास्त करने के बाद अति उत्साह में महागठबंधन में बराबर सीटें तक मांग दी हैं। ऐसा करना राजद को अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।

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अब देखना यह है कि कांग्रेस कौन-सा रुख अपनाती है। वह उत्तर प्रदेश के रास्ते पर चलती है, जहां विपक्ष का गठबंधन तो बना, पर कांग्रेस को किनारे कर उसकी औकात का अहसास करा दिया गया। ऐसे में वह अकेले सभी सीटों पर लड़ने का प्लान करती है या राजद के भय से दब-दुबक कर दया भाव से मिली सीटों पर संतोष करती है। अगले शनिवार तक महागठबंधन के मित्र दलों को ठोस खबर की अपेक्षा भी है।

कौन-कौन नेता अब तक मिल चुके लालू से

लालू यादव से अब तक सीपीआई के महासचिव सीताराम येचुरी, सांसद शरद यादव, रालोसपा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा, शत्रुघ्न सिन्हा, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, मुकेश सहनी समेत बिहार व झारखंड के कई नेता मिल चुके हैं। हर नेता से लालू यादव ने खरमास के बाद निर्णय लेने का आश्वासन दिया है।

वैसे तो जेल मैन्युअल के अनुसार हर शनिवार को लालू यादव से तीन लोग मिल सकते हैं। विशेष परिस्थियों में परिवार के सदस्य कभी भी मिल सकते हैं। लेकिन जहां लालू यादव जैसी सख्शियत हो, वहां ऐसे नियमों की अपेक्षा करना बेमानी-सी बात है। रिम्स के सूत्रों की मानें तो लालू यादव से प्रत्येक दिन कम से कम एक दर्जन से अधिक मुलाकाती मिलते हैं, लेकिन किसी भी मुलाकाती से मिलने का अंतिम निर्णय लालू यादव ही लेते हैं। शनिवार का दिन जेल मैन्युअल के अनुसार मुकर्रर है, इसलिए नामी-गिनामी लोगों को मिलने का मौका दिया जाता है।

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महागठबंधन की सीट शेयरिंग का अंतिम निर्णय लालू यादव ने खरमास बाद करने का संकेत दिया था। इसलिए महागठबंधन के मित्र दलों की नजर मंगलवार से लालू यादव पर टिक जायेंगी। खासकर उन टिकटार्थियों के लिए, जो महाघठबंधन से बिहार और झारखंड से लोक सभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं।

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खबर है कि लालू यादव से मिलनेवाले कई मुलाकाती रांची में डेरा डाल चुके हैं।  लालू यादव के नजदीकी नेता ने बताया कि पपू यादव का नाम भी लालू यादव के पास गया था, उन्होंने मिलने से मना कर दिया। ऐसे कई लोगों के नाम वे हरेक दिन काट देते हैं। खबर है कि उनकी सुरक्षा में तैनात कर्मियों से भी कई लोग किसी तरह मिलवाने की चिरौरी करते देखे जाते हैं।

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