रघुराम ने चेताया- गंभीर संकट की तरफ बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था

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RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन
RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन

RBI के पूर्व गवर्नर ने कहा- एक ही व्यक्ति का निर्णय लेना घातक

नई दिल्ली भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश के राजकोषीय घाटे को लेकर एक बार फिर गहरी चिंता जताई है। एक व्यक्ति के निर्णय को घातक बताया है। इसके साथ ही उन्‍होंने आर्थिक सुस्‍ती के लिए जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों को दोषी करार दिया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि बढ़ता राजकोषीय घाटा एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को एक बेहद ‘चिंताजनक’ अवस्था की तरफ धकेल रहा है। राजन ने यह टिप्पणी ब्राउन यूनिवर्सिटी में ओपी जिंदल लेक्चर के दौरान की। उन्होंने कहा- भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है।

उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर छह साल के निचले स्तर 5% पर पहुंच गई है और दूसरी तिमाही में इसके 5.3% के आसपास रहने की उम्मीद है। रघुराम राजन ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में किसी एक व्‍यक्ति द्वारा लिया गया निर्णय घातक है।

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आर्थिक दृष्टिकोण में अनिश्चितता

ब्राउन यूनिवर्सिटी में ओपी जिंदल लेक्चर के दौरान बोलते हुए रघुराम राजन ने कहा कि बढ़ता राजकोषीय घाटा भारतीय अर्थव्यवस्था को एक बेहद ‘चिंताजनक’ स्थिति की तरफ धकेल रहा है। उन्‍होंने कहा, ” दृष्टिकोण में अनिश्चितता है, यही वजह है कि देश की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय स्तर पर सुस्‍ती देखने को मिल रही है।’  रघुराम राजन ने साल 2016 की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों का भी जिक्र किया। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि 2016 में जो जीडीपी 9 फीसदी के पास थी, वह अब घटकर 5.3 फीसदी के स्तर पर आ गई है।

समस्‍याओं का नहीं ढूंढा समाधान

रघुराम राजन ने कहा कि हमने पहले की समस्‍याओं का समाधान नहीं किया और न ही विकास के नए स्रोतों का पता लगाने में कामयाब रहे। आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने राजन ने जीडीपी ग्रोथ में आई गिरावट के लिए निवेश, खपत और निर्यात में सुस्ती के अलावा एनबीएफसी क्षेत्र के संकट को जिम्मेदार ठहराया। उन्‍होंने कहा कि देश में वित्तीय सेक्टर और बिजली सेक्टर को मदद की जरूरत है, लेकिन इसके बावजूद विकास दर को बढ़ाने के लिए नए क्षेत्रों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया।

राजन ने कहा, ‘भारत के वित्तीय संकट को एक लक्षण के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि मूल कारण के रूप में।’ उन्होंने विकास दर में आई गिरावट के लिए निवेश, खपत और निर्यात में सुस्ती तथा एनबीएफसी क्षेत्र के संकट को जिम्मेदार ठहराया।

जीएसटी-नोटबंदी जिम्मेदार, मर्जर की टाइमिंग सही नहीं

रघुराम राजन ने नोटबंदी और जीएसटी के फैसले को भी घातक करार दिया है। उन्होंने कहा कि अगर नोटबंदी और जीएसटी के फैसले नहीं लिए गए होते तो अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही होती। बिना किसी सलाह या समीक्षा के नोटबंदी को लागू करने से लोगों को नुकसान हुआ और इसे करने से किसी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ। भारत की अर्थव्यवस्था काफी बड़ी हो गई है और किसी एक व्यक्ति के द्वारा इसको चलाया नहीं जा सकता है। इसके परिणाम घातक होते हैं।

राजन ने बैंकों के मर्जर की टाइमिंग पर भी सवाल खड़े किए। उन्‍होंने कहा कि बैंकों का मर्जर अच्‍छा फैसला है, लेकिन अभी का समय उचित नहीं है। बैंकों का मर्जर ऐसे समय में हो रहा है, जब नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए उच्च स्तर पर है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी है। विदित हो कि बीते कुछ महीनों से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बुरे दौर से गुजर रही है। आर्थिक मोर्चे के हर ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की सेहत ठीक नहीं है।

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