प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने औरंगजेब और शिवाजी के नाम इसलिए लिये

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी में कहा कि ‘‘भारत में जब भी औरंगजेब पैदा हुआ, तब इस मिट्टी से शिवाजी का भी उदय हुआ.’’
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी में कहा कि ‘‘भारत में जब भी औरंगजेब पैदा हुआ, तब इस मिट्टी से शिवाजी का भी उदय हुआ.’’
  • सुरेंद्र किशोर 
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी में कहा कि ‘‘भारत में जब भी औरंगजेब पैदा हुआ, तब इस मिट्टी से शिवाजी का भी उदय हुआ.’’ नरेंद्र मोदी ने औरंगजेब का नाम क्या लिया कि अनेक लोग तिलमिला उठे !

तिलमिलाए लोगों को लगता है कि कहीं इससे आम लोगों के बीच से भी शिवाजी जैसों का उदय न हो जाए. फिर उनके ‘वोट बैंक’ का क्या होगा ? याद रखिए, औरंगजेब के मानस पुत्र इस देश में अब भी पूरी ताकत से सक्रिय हैं. उनका मुकाबला अभी सेना,पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियां ही कर रही हैं.

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वैसे इस देश के मुसलमानों के बीच ऐसे भी लोग मौजूद हैं, जो औरंगजेब के मानस पुत्र नहीं हैं। डा. वेद प्रताप वैदिक ने आज (15 दिसंबर) के दैनिक भास्कर में लिखा है कि ‘‘इस्लामी जगत में परिवर्तन की नई लहरें उठ रही हैं।’’

औरंगजेब के मानस पुत्रों के बारे में कुछ बातें जान लेना जरूरी है. 30 सितंबर, 2001 के टाइम्स आफ इंडिया में सिमी (अब प्रतिबंधित) के अहमदाबाद जोन के सचिव साजिद मंसूरी की एक टिप्पणी छपी है. (अखबार की स्कैन काॅपी इस पोस्ट के साथ प्रस्तुत है). उसमें उसने कहा कि ‘‘जब भी हम सत्ता में आएंगे, हमलोग मंदिरों को नष्ट कर देंगे, भले वे सोने की ही क्यों न बनी हों. फिर वहां हम मस्जिद बनाएंगे.’’ है न औरंगजेब का मानस पुत्र !

टाइम्स आफ इंडिया में सिमी (अब प्रतिबंधित) के अहमदाबाद जोन के सचिव साजिद मंसूरी की एक टिप्पणी
टाइम्स आफ इंडिया में सिमी (अब प्रतिबंधित) के अहमदाबाद जोन के सचिव साजिद मंसूरी की एक टिप्पणी

सिमी के एक अन्य सदस्य बशर ने कहा था कि ‘‘लोकतांत्रिक तरीके से इस्लामिक शासन संभव नहीं है, इसलिए उसके लिए एकमात्र रास्ता जेहाद है।’’- राष्ट्रीय सहारा 28 सितंबर 2008. हाल में केरल के डी.जी.पी ने वहां के हाईकोर्ट को बताया कि ‘‘सिमी के लोगों ने ही पी.एफ.आई. बनाया है.’’

याद रहे कि माकपा शासित केरल के मुख्य मंत्री ने अपने डी.जी.पी. के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इसका राजनीतिक लाभ सी.पी.एम. को हाल के विधानसभा  चुनाव में मिला. कांग्रेस के समर्थक रहे मुस्लिम मतदाताओं ने भी सी.पी.एम. को वोट दे दिया.

ऐसा ही ध्रुवीकरण पश्चिम बंगाल में हुआ था. क्योंकि ममता बनर्जी ने कह दिया था कि यदि सी ए ए और एन आर सी लागू हुआ तो खून की नदियां बहेंगी. शायद इसी तरह के ध्रुवीकरण के लिए उत्तर प्रदेश में भी  एक गठबंधन के नेतागण जिन्ना का नाम ले रहे हैं. किंतु उन्हें याद नहीं कि उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों की आबादी केरल व बंगाल जितनी नहीं है.

हां, मनमोहन सिंह सरकार ने सन 2008 में एक अच्छा काम किया था. उसने सिमी पर प्रतिबंध जारी रखा. प्रतिबंध अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने सन 2001 में लगाया था.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी या किसी अन्य को लाॅर्ड क्लाइव या वारेन हेस्टिंग्स के नाम लेने की जरूरत नहीं पड़ती. क्योंकि उनके मानस पुत्र इस देश पर कब्जा करने के लिए हथियार नहीं उठाए हुए हैं.

अब सिमी और पी.एफ.आई. की ताकत का अंदाज लगा लीजिए. सन् 1977 में अलीगढ़ में स्थापित सिमी के 2001 में ही एक लाख सदस्य पूरे देश में बन चुके थे. सिमी उर्दू,अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक पत्र प्रकाशित करता था, जिनमें वह संगठन खुलेआम अपने उपर्युक्त खतरनाक इरादों का प्रचार करता था. उसने अपना आदर्श ओसामा बिन लादेन को बनाया था. पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पी.एफ.आई.) की ताकत और विस्तार का अनुमान उन लोगों को है, जो इस पर ध्यान देते रहे हैं. खासकर शाहीन बाग व दिल्ली-यू.पी. दंगों पर.

दरअसल आजादी के तत्काल बाद इस देश के शीर्ष शासक ने अपने पालतू व खास विचारों से लैस इतिहासकारों को यह निदेश दे दिया था कि वे इतिहास में महाराणा प्रताप और शिवाजी की वीरता, शौर्य और उपलब्धियों का महिमामंडन कत्तई न करें, अन्यथा उससे हिन्दू सांप्रदायिकता बढ़ेगी. यही उनका ‘‘आइडिया आफ इंडिया’’ था !

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