मानव शृंखला में बच्चों और शिक्षकों को शामिल करने का विरोध

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बिहार के बाहर फंसे श्रमिकों-छात्रों को सुरक्षित घर वापस लाये राज्य सरकार। कांग्रेस की बिहार इकाई ने यह मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की है।
बिहार के बाहर फंसे श्रमिकों-छात्रों को सुरक्षित घर वापस लाये राज्य सरकार। कांग्रेस की बिहार इकाई ने यह मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की है।

पटना। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष मदन मोहन झा नें 19 जनवरी को मानव शृंखला में बच्चों और शिक्षकों को शामिल करने का विरोध किया है। उन्होंने कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि सरकार का यह कदम बेहद अमानवीय एवं गैरज़िम्मेदाराना व्यवहार है।

उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर 2019 को शिक्षा विभाग द्वारा निर्गत कार्यालय आदेश, जिसके तहत राज्य के तमाम सरकारी एवं निजी स्कूलों के पांचवीं कक्षा से ऊपर के छात्र-छात्राएं व शिक्षकों को उक्त मानव श्रृंखला में शामिल कराने का निर्देश दिया गया है। यह एक हिटलरशाही आदेश है तथा इस मानव शृंखला में शिक्षकों और बच्चों को शामिल करना उनके मौलिक अधिकार का भी हनन है। साथ ही शिक्षा विभाग का यह आदेश पटना हाईकोर्ट के 16 अगस्‍त 2018 के आदेश का भी उल्लंघन है, जिसमें उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि स्कूली छात्रों को मानव श्रृंखला में शामिल करने के लिए बाध्य नही किया जा सकता है।

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यह मानव शृंखला एक दिखावा मात्र है और चूंकि चुनाव सामने है तो सरकार को एक नया गोल पोस्ट भी चाहिए। पर्यावरण की समस्या आज से 15 साल पहले भी थी, जब नीतीश जी सत्ता में आये थे, पर उन्हें आज याद पड़ा, कयोंकि अब चुनाव सर पर है और जनता को लगे कि सरकार कुछ कर रही है।

हद तो तब हो गई, जब सरकारी आदेश द्वारा 19 जनवरी के लिए स्कूली शिक्षकों की छुट्टी को भी रद्द कर दिया गया है। एक तरफ़ तो शिक्षकों को वेतन देनें के लिये पैसे नहीं हैं, दूसरी ओर 19 करोड़ सरकारी रुपया सिर्फ दिखावे के लिये ख़र्च आबंटित किये गये हैं। सरकारी तंत्र का खुलेआम दुरुपयोग कर के वर्तमान नेतृत्व अपना चेहरा चमकाने का प्रयास कर रहा है।

पूरे बिहार में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, लेकिन इस दंभी सरकार की ज़िद के कारण मानव शृंखला की तैयारी के लिए बच्चों को स्कूल जाना पड़ रहा है। हाल ही में आये नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गुणवत्ता के आधार पर बिहार बिलकुल निचले पायदान पर है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बिहार में शिक्षा विभाग शिक्षा के अलावा हर कार्य कर रहा है। सरकार को चाहिये कि राज्य के बुनियादी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करे, न कि नये-नये नौटंकियों पर।

विदित हो कि शिक्षा विभाग सरकार के इस नये नौटंकी के लिये भी नोडल विभाग है। बिहार में लगभग 222 संबद्ध डिग्री कॉलेजों को दो स्नातक सत्र का अनुदान अब तक नहीं मिला है। इन शिक्षकों की वजह से ही बिहार में उच्च शिक्षा जीवित है। पैसे के अभाव में कई शिक्षकों की असामयिक मौत भी हो जाती है। लेकिन सरकार का ध्यान इस पर न होकर सिर्फ़ शो बाज़ी पर है। हम सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कर यह कहना चाहेंगें कि इन ज़रूरतमंद शिक्षकों की समस्याओं पर ध्यान देते हुए इसका शीघ्र निदान करें, मानव शृंखला बना कर कुछ और साबित करनें की कोशिश न करें। सरकार से मेरा यह भी आग्रह है कि बच्चों और शिक्षकों को मानव शृंखला में शामिल होने के विभागीय आदेश को तुरंत वापस ले और अगर ताक़त ही दिखाना है तो अपनी पार्टी और कार्यकर्ताओं की शृंखला बनवायें पूरे प्रशासन को क्यों झोंक दिया है। आज पूरा बिहार अपराध ग्रस्त है, और प्रशासन मानव शृंखला में मस्त है।

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