पटना। RJD पर बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने करारा हमला किया। मोदी ने कहा कि राजद एक वर्ग विशेष को डरा कर वोट की राजनीति कर रहा है। एक वर्ग विशेष को डरा कर आरजेडी वोट बैंक बचाने के लिए सीमांचल में यात्रा कर रहा है। मकर संक्रांति के अवसर पर विधान पार्षद व मुख्य सचेतक रजनीश कुमार के आवास पर आयोजित दही-चूड़ा भोज के बाद मीडिया से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नागरिकता कानून व एनआरसी पर एक वर्ग विशेष को डरा कर अपना वोट बैंक बचाने के लिए राजद सीमांचल में यात्रा निकाल रहा है।
उन्होंने कहा कि दरअसल राजद और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम में होड़ है। एनडीए विधान सभा में नागरिकता कानून व एनपीआर पर बहस के लिए तैयार है। महागठबंधन जहां नेतृत्व के मुद्दे पर बंटा हुआ है, वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्पष्ट कर देने के बाद एनडीए पूरी तरह से एकजुट है और आने वाले विधान सभा चुनाव में तीन चौथाई सीट पर एनडीए की जीत सुनिश्चित है।
![भाजपा के सचेतक रजनीश के आवास पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन हुआ](https://www.sarthaksamay.com/wp-content/uploads/2020/01/sumobhoj1-300x200.jpg)
श्री मोदी ने कहा कि किशनगंज विधान सभा सीट पर ओवैसी की पार्टी की जीत और विगत लोकसभा चुनाव में राजद के वोट बैंक के बिखराव के बाद एक वर्ग विशेष को डरा कर वोट बैंक बचाने के लिए राजद सीमांचल की यात्रा आयोजित कर रहा है। यात्रा का मकसद नागरिकता कानून का विरोध नहीं, बल्कि वोट बैंक बचाने की घबड़ाहट है। महागठबंधन जहां नेतृत्व सहित अन्य मुद्दों पर बिखराव का शिकार है, वहीं एनडीए पूरी तरह से एकजुट है। एनडीए के घटक दल जदयू-भाजपा जब-जब मिलकर चुनाव लड़े हैं, चाहे वह 2005 व 2010 का विधान सभा चुनाव हो या 2009 और 2019 का लोकसभा चुनाव, शानदार सफलता मिली है। आगामी बिहार विधान सभा चुनाव में भी एनडीए तीन चौथाई सीटों पर सफलता हासिल कर एक बार फिर सरकार बनाएगी।
मंत्री संजय झा ने नागरिकता कानून पर जदयू के स्टैंड को स्पष्ट कर दिया है। एनपीआर, नागरिकता नहीं, जनसंख्या का रजिस्टर है, जिसके लिए किसी से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। एनआरसी पर प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण के बावजूद कुछ लोग समाज में भ्रम फैला रहे हैं। एनडीए नागरिकता कानून, एनपीआर आदि पर विधान सभा में बहस के लिए तैयार है। आगामी सत्र के प्रारम्भ में ही बहस हो ताकि सभी दलों को अपनी राय रखने का मौका मिले।
मोदी ने अपने ट्वीट में भी आरजेडी को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि सीमांचल के छह जिले लगभग हर साल कोसी और उसकी सहायक नदियों की बाढ़ से पीड़ित होते हैं, लेकिन तेजस्वी प्रसाद यादव विधायक, उप मुख्यमंत्री और विरोधी दल के नेता के नाते कभी बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए इन जिलों में नहीं गए। 2018 में जब सीमांचल के एक करोड़ लोग बाढ़, वर्षा और बीमारी से जूझ रहे थे, तब वे 46 एसी वाले सरकारी बंगले से ट्वीट कर राजनीति करते थे। इस चुनावी साल में जब राजद को वोट के लाले पड़ने वाले हैं, वे नागरिकता कानून पर दुष्प्रचार करने सीमांचल जा रहे हैं।
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सीमांचल के लोग जब बाढ़ से घिरे, तब केंद्र सरकार ने एनडीआरएफ की टीम भेजी और लोगों की मदद करने में न किसी का धर्म पूछा, न कोई कागज मांगा। राज्य सरकार के राहत और बचाव अभियान में भी कभी न भेदभाव किया गया, न नागरिकता का कोई सबूत मांगा गया। राजद और कांग्रेस ने सीमांचल की जनता को बाढ़ पीड़ित के रूप नहीं, केवल वोट बैंक के रूप में देखा।
महागठबंधन में शामिल दलों के पास न जनता की सेवा का कोई रोडमैप है, न कोई विचारधारा। ये दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से द्वेष करते हैं, इसलिए इन दो लोकप्रिय नेताओं की हर बात का विरोध करना ही महागठबंधन की विचारधारा है। द्वेष की राजनीति कभी बड़ी लकीर नहीं खींच पाती।
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