इंदिरा गांधी के आपातकाल की तरह बंगाल में भी हालातः सुशील मोदी

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प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित ‘आपातकाल-भारतीय लोकतंत्र का एकमात्र काला अघ्याय’ विषयक समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी
प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित ‘आपातकाल-भारतीय लोकतंत्र का एकमात्र काला अघ्याय’ विषयक समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी

पटना। इंदिरा गांधी के आपातकाल की तरह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने भी हालात पैदा कर दिये हैं। वह आपातकाल जैसा भय व आतंक का है। प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित ‘आपातकालः भारतीय लोकतंत्र का एकमात्र काला अघ्याय’ विषयक समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जिस तरह से इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लागू कर पूरे देश में भय व आतंक का माहौल बना दिया था, उसी तरह आज ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में हालात बना दिया है। राजनीतिक हिंसा के जरिए आतंक फैलाने और जयश्री राम का नारा लगाने वालों को जेलों में बंद कर आम लोगों का दमन किया जा रहा है। राजनीतिक सभा, रैली करने से रोका जा रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 1975 में इमरजेंसी अधिरोपित कर आरएसएस पर प्रतिबंध और अखबारों पर सेंसरशिप लगा कर लोकतंत्र का गला घोंटा था, किन्तु 19 महीने की यातना और प्रताड़ना के बाद जब 1977 में चुनाव हुआ तो खुद बुरी तरह से हार गयीं। ममता बनर्जी का भी अगर यही रवैया रहा तो आगामी विधान सभा चुनाव में उनकी भी हार तय है।

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श्री मोदी ने कहा कि जेपी ने गैर कांग्रेसी दलों को कांग्रेस के भ्रष्टाचार और इंदिरा गांधी की तानाशाही के विरुद्ध एकजुट किया। लालू प्रसाद जैसे लोग जो इमरजेंसी के विरोध में जेल गए थे, आज उसी कांग्रेस से हाथ मिला लिया, जिसने आपातकाल लागू कर न केवल लोकतंत्र की हत्या की, बल्कि पूरे देश में भय व आतंक कायम कर जनता पर अत्याचार किया। भाजपा हर साल 25 जून को इस काला दिन का स्मरण इसलिए करती है कि इंदिरा गांधी के अंजाम से सबक लेकर कोई दूसरा देश में आपातकाल लागू करने,संविधान व लोकतंत्र का गला घोंटने की हिम्मत नहीं करें।

अपने ट्वीट में सुशील मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से लगातार 28 साल तक सत्ता में रहने के कारण कांग्रेस और  नेहरू-गांधी परिवार का अहंकार इतना बढ़ गया था कि इंदिरा गांधी खुद को संविधान और कानून से ऊपर समझने लगी थीं। उन्होंने विरोध की आवाज को कुचलने और कुशासन पर पर्दा डालने के लिए  आपातकाल लागू कर लोकतंत्र का गला दबाया था। दुर्भाग्यवश, लालू प्रसाद ने  बाद में सत्ता के लिए आपातकाल के सारे गुनाह भुला कर कांग्रेस से हाथ मिला लिये। राबड़ी सरकार बचाने के लिए कांग्रेस के सभी 34 विधायकों को मंत्री बनाने की बेशर्मी दिखायी गई। आपातकाल थोपने वाली कांग्रेस से गठबंधन करने वाला राजद आज किस मुंह से लोकतंत्र की दुहाई देता है?

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उन्होंने कहा कि जिस पार्टी को लोकतंत्र से ज्यादा तंत्र-मंत्र पर भरोसा है और जहां तांत्रिक को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  तक बनाया जाता है, उस दल की सेवा में लौटे एक पूर्व संन्यासी जनता के सुख-दुख में साथ खड़ी रहने वाली भ्रष्टाचारमुक्त एनडीए सरकार को शाप दे रहे हैं। लोग अच्छी तरह जानते हैं कि जनता की पीड़ा से मुंह छिपाने वाले, मिथ्याभाषी और पुत्र मोह में संन्यासच्युत होने वालों के शाप निष्फल होते हैं। बच्चों की दुखद मृत्यु के बाद न सरकार चुप है, न पीड़ितों के बीच जाने से हिचकिचायी है, न सक्रियता में कोई कोताही बरती गई।

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