मलिकाइन के पातीः आगरमती अगरइली त खांड़ा पर परइली  

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गांव का दृश्य
गांव का दृश्य

पावं लागीं मलिकार। रउरा त इयादे होई मलिकार, माई के मौसी के इया बराबर एगो कहाउत कहस- आगरमती अगरइली त खांड़ा पर परइली। लरिकाईं में हमरा एकर माने ना बुझाव। अब तनी-तनी समझ में आइल बा। रउरा त माटी के बोली के माहटर हईं, रउरो समझायेब। एकर माने हमरा त ई बुझाता मलिकार कि कवनो लड़िकी केहू के टूकी-खांड़ा भर लालच दिहला पर एतना खुश भइल कि ओकरा संगे भाग पराइल। हमरा एतना दिन बाद एकर माने एह से जाने के फिकिर भइल बा मलिकार कि कई दिन से एगो बतकही सुनत-सुनत कान पाक गइल बा। दिल्ली वाला मोदी जी रोजे कहीं ना कहीं एके बतिया कहत बाड़े कि 60 साल में जवन केहू ना कइल, तवन चार साल में ऊ क दिहले। चाहे ऊ बिजली के बतकही होखे, चाहे पानी के। खाना बनावे वाला गैस होखे, चाहे सड़क के बात। हर बतिये में उनकर ई कहलका सुन के कान पाक गइल बा कि जवन 60 साल में ना भइल, तवन चार साल में हो गइल।

ए मलिकार, एह साठ साल में दू बेर मोदी जी के पाटियो के राज नू रहे। हमनी इहां कहल जाला कि नेंव बरियार होई, त घरवो मजबूत होई। कांग्रेस 60 साल में कुछऊ ना कइलस का मलिकार जे मोदी जी अइसन बतकही करत बाड़े। एह चार साल में कई बेर ई सुने के मिलल कि फलनवा एतना पइसा लेके देस छोड़ के भाग गइले। चार साल में कई आदमी पइसा लेके देस से भाग गइले। ओह लोगन के खिलाफ मोदी जी अबले का कइले, बतावे के त ई चाहीं। पांड़े बाबा कहत रहवीं कि देस के सगरी बैंक के हालत खराब बा। उहां के फिकिर में परल रहवीं खबर कागज में ई खबर पढ़ के। कहत रहवीं कि एक बेर अइसन मोदी जी कइले कि लाइन में सात-सात दिन लगला के बादो पइसा बैंक से ना मिले। ओकरा बाद नियम बन गइल कि एतना से कम खाता में रही त फाइन लागी। अब नियम भइल बा कि एतना से बेसी एक बेर में ना निकल सकेला। आदमी जांगर ठेंठा के, बाल-बच्चा से दूर रह के दू पइसा कमा ता आ ओह पइसा पर सरकार आ ओकर बैंक अइसन नियम बना के अउरी तबाह करत बाड़े सन।

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पांड़े बाबा का दुअरवा काल्ह जलटोलिया के निफिकिर मियां आइल रहुवन। ऊ कहे लगुवन कि ए बाबा, अब त बुझाता कि हमनी के एतना दिन ले जेतना मेलजोल से रहनी सन, आगे ना निभ पाई। कई जगहा पर लोग घेर के मुआवल-मारल शुरू कइले बा। पुरनिया लोग के माटी एही जा लागल, हमनी अब कहां जाईं सन। पांड़े बाबा उनकरा के समझावत रहवीं कि ए निफिकिर, कवनो चीज के अंत होला। सात हत्या करे वाला बाघो ना बांचे। काहें एतना फिकिर में परल बाड़। हमनी जइसन रहनी, ओइसने रहल जाई। पाबलिक सब बूझे ले।

पांड़े बाबा साल गिना के बतावत रहवीं कि सतहत्तर में एह देस से कांग्रेस अइसन हारल कि बुझाव कि फेर ना पनपी, बाकिर तीन साल बादे लोग इंनरा गांधी के कुरसी पर बइठा दिहल। पाबलिक के मन में केहू समाइल नइखे। केहू केतनो हिन्दू-मुसलमान, छोट जात-बड़ जात क लेव, लोग बूझ गइल बा कि खाली वोट खातिर नेता लोग अइसन करेला। केहू लड़किन के खाता में पइसा भेजत बा, केहू बैकवाड के ऊपर उठावे खातिर आपन झोरी खोल दिहले बा। कुछ लोग बाभन के गरियावत बा, त कहीं बबुआन सांसत में बाड़े। एतने ले ना अयोध्या जी में राम जी के मंदिर बनावे खातिर कुछ लोग गुंटिआइल बा। कुछ लोग कहत बा कि कचहरी जवन कही, तवने करे के परी। कानून बना के मंदिर ना बनावल जा सकेला। तब कचहरी के वैलू का रह जाई।

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एही में कुछ लोग अइसनो बा मलिकार कि मोदी जी के कवन-कवन देवता के अवतार बतावत बा। भोले बाबा खानी हर हर महादेव का जगहा हर-हर मोदी कहत बा। एही के कहल जाला चवन्नी थमा के अठन्नी पर डाका। एतना तबाही के बादो कुछ लोग का इहे बुझाता कि मंदिर त मोदीए जी बनवइहें। इहे लोगवा के बारे में सोचत-सोचत हमरा माई के मौसी के इया के कहलका कहाउतवा इयाद पर गइल हा।

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ठंडा बढ़ गइल बा मलिकार, आपन धेयान राखेब। बरखा ना भइला से अबहीं ले रबी ना बोअइली सन। धानो मरा गइल बा। पीटत में आधा धान पइया निकल जाता। कटनी-पीटनी एतना महंगा हो गइल बा मलिकार कि अब नइखे बुझात कि केहू खेतीबारी करी। पाती लमहर हो गइल। एह से ई ना कह सकीले कि थोड़ा लिखना, बेसी समझना।

राउर, मलिकाइन

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