मलिकाइन के पाती- नून, खून, कानून में सस्ता सबसे खून

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पावं लागीं मलिकार। केतना दिन से सोचत रहनी हां मलिकार, एई पर रउआ से बतियावल। पहिले एगो गाना निकलल रहे कि तीन चीज अब सस्ता बाटे- नून, खून, कानून। ई गाना तब आइल रहे, जब नून सस्ता रहे। कानूनो एतना महंगा ना रहे। बाकिर खून तबो सस्ता रहे आ अबहियों बा। रोजे सुनी ले कि फलना जगहा, फलाना के मडर हो गइल। एक दिन सुननी कि बेगूसराय में तीन गो चोर के लोग थूर-पीट के मुआ दिहल। तीसरे दिने खबर आइल कि  सीतामढ़ी में चोर कह के एगो आदमी के लोग पीट के मुआ दिहल। फेर खबर मिलल कि सासाराम में एगो बदमाश के लोग पीट के मुआ दिहल। आरा में सुननी कि कवनो मेहरारू के लंगटे क के लोग भरल बाजार घुमावल। काल्ह के खबर रउहुवे कि मुजफ्फरपुर में कवनो शहर के पुरनका मुखिया के मार दिहल गइल। संगे बेचारा डराइवरो के लोग मार दिहल। महीना भर के अंदरे एगो बड़ बदमाश के कचहरी में गोली मार दिहल गइल। ई का होता मलिकार। सचहूं जान के कवनो कीमत अब नइखे रह गइल। सचहूं खून सस्ता हो गइल बा। नून आ कानून त अब साधारण हमनी अइसन आदमी के बूता के बाहर के चीज बा।

रउरा लोगिन कबो कहत रहनी मलिकार कि बिहार में जंगल राज बा। कइसन होला जंगल राज। हमरा समझ से त एकरा से बढ़ के जंगल राज में का होत होई। सबेरे पांड़े बाबा रोजे बताई ले कि कहवां कवन घटना हो गइल बा। हमार गेयान उहें के बढ़ाई ले। कवनो दिन अइसन ना बीतत होई, जहिया अइसन खबर ना रहे खबर कागज में। थोरही दिन पहिले पता चलल रहे कि भागल-पराइल औरतन खातिर बनल घर में चौंतीस गो लड़िकिन के संगे कुकरम भइल। कई जना जेल में बाड़े आ कुछ के खोजाई होत बा।

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जब आबरू पर आफत होखे, जान खतरा में होखे त कवन बात के सरकार, पुलिस आ कानून। अब लोग उहे करी, जवन बेगूसराय, सीतामढ़ी आ सासाराम में भइल। केहू के ना कानून पर भरोसा रह गइल बा आ ना पुलिस पर। सरकार अपने में मस्त बिया। ओकरा बुझाता कि आदमी के जरूरत खाली सड़क, बिजली, पानी बा। बड़ा जोर से हल्ला रहे कि दारू बंद भइला से बदमासी घट गइल बा। हमरा त बुझाता कि बदमासी पहिले से बढ़ गइल बा। लालू के राज के लोग जंगल राज कहत रहे। ई कुल त उनका राज में होता, जेकरा के लोग सुशासन बाबू कहेला।

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पितरपख चढ़ गइल बा मलिकार। रउरा जीभ चटोर हईं, एही से इयाद परावे के परत बा। भरसक पंदरह दिन मांस-मछरी ना खाईं त बढ़िया। पुरनिया लोग से चल आवत बा इ परंपरा। हमनी ले त चल जाई, बाकिर आगे के नइखे बुझात कि नवका लोग का करी। ओह लोग के त हर परंपरा पर सवाल होला कि खाइए लेब त का होई। ना पूजा करेब त का होई, ना भूखेब त का होई। ई सब सवाल सुन के त इहे बुझाला मलिकार कि ई कुल हमनिये ले बा।

राउरे मलिकाइन   

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