बिहार में सीटों के सवाल पर अब भी उलझी हुई हैं गठबंधन की गांठें

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JDU (जेडीयू) के लिए BJP (बीजेपी) की स्ट्रेटडजी को समझना आसान नहीं है। NDA की कल हुई बैठक में LJP नेता चिराग पासवान को न्यौता से यह साफ है।
JDU (जेडीयू) के लिए BJP (बीजेपी) की स्ट्रेटडजी को समझना आसान नहीं है। NDA की कल हुई बैठक में LJP नेता चिराग पासवान को न्यौता से यह साफ है।

पटना। बिहार में सीटों के सवाल पर अब भी गठबंधन की गांठें उलझी हुई हैं। महागठबंधन और एनडीए में एक जैसे हालात हैं। महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस में तनातनी बरकरार है। चुनाव क्षेत्रों को लेकर भी सहमति नहीं बन पाई है। एनडीए भी इसी हाल में है। बीजेपी को छोड़ गठबंधनों के घटक दल इस बीच कुछ उम्मीदवारों के नाम भी घोषित करने लगे हैं।

इधर पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया आज से आरंभ हो गई है। बिहार में 3 चरणों में चुनाव होने हैं। महागठबंधन की बात करें तो कांग्रेस 70 से अधिक सीटें चाहती है, जबकि आरजेडी उसे 55 से अधिक सीटें देने के मूड में नहीं है। 2015 में कांग्रेस 43 सीटों पर लड़ी थी और उसे 30 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। अगर कांग्रेस की ओर से सीटों का मामला लालू प्रसाद यादव के पास जाता है तो संभव है कि कांग्रेस को दो-चार और सीटें मिल जाएं।

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इधर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार प्रदेश के दो वरिष्ठ नेताओं और उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग के लिए बनी कमेटी के सदस्यों को दिल्ली तलब किया है। प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों के साथ दिल्ली में जमे हुए हैं। आरजेडी ने इस बीच अपने उम्मीदवारों के सिंबल आवंटित करने भी शुरू कर दिए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने भी सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की चर्चा छेड़ दी है। यानी महागठबंधन की गांठ अब तक ढीली पड़ती नजर नहीं आ रही है।

एनडीए में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जेडीयू जहां बीजेपी से अधिक सीटों पर लड़ने की मांग करती रही है, वहीं बीजेपी का एक खेमा किसी भी हाल में अपनी सीटों से अधिक संख्या बल से नीतीश को नवाजने से परहेज करने पर अड़ा है। भाजपा के इस खेमे का तर्क है कि नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार 15 साल से सत्ता में रहने के कारण एंटी इनकंबेंसी की स्थिति है, जबकि नरेंद्र मोदी के कारण बीजेपी के प्रति बिहार की जनता में इतनी नाराजगी नहीं है। बिहार एनडीए में जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी के अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हम (सेकुलर) शामिल है। लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान एनडीए में 43 सीटों की हिस्सेदारी चाह रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें इससे कम सीटें मिलती हैं तो 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। यह एक बड़ा पेंच है, जिसे एनडीए को सुलझाना है।

हालांकि बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि लोक जनशक्ति पार्टी को एनडीए में बनाए रखने की उसकी पूरी कोशिश है। संभव है कि 35 से 40 सीटें एलजेपी को मिल जाएं। इसके लिए फार्मूला यह बनाया गया है कि 100-100 सीटों पर बीजेपी और जेडीयू चुनाव लड़ें और तीन से चार सीटें जीतन राम मांझी को दी जाएं। 39 से 40 सीटें चिराग पासवान की एलजेपी को आवंटित की जाएं। जेडीयू सूत्रों के मुताबिक यह प्रस्ताव या फार्मूला उसे पसंद नहीं है। हाल के दिनों में बिहार के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणाओं को देखते हुए समझा जाता है कि यह जेडीयू पर दबाव बनाने की बीजेपी की योजना है। आखिरकार जेडीयू इसे कबूल करने को बाध्य होगा ही।

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