सरयू राय साफ-साफ बोलते हैं, जानिए क्या कहा लालू के बारे में

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रांची। मूल रूप से बिहार के निवासी औ संप्रति झारखंड में खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय की खासियत है कि वह सब समय साफ-साफ बोलते हैं। उनके आचरण में शुद्धता है और वाणी में विनम्रता तो कूट-कूट कर भरी है। वह संबंधों को भी शिद्दत से जीना जानते हैं। अपने धुर विरोधी और फिलहाल चारा घोटाले के सजायाफ्ता लालू प्रसाद की गंभी होती बीमारी के मद्देनजर उन्होंने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और लालू के बेहतर इलाज के लिए अच्छे अस्पताल में भेजने की सलाह दी है। सनद रहे कि सरयू राय भाजपा के वही नेता हैं, जिन्होंने चारा घोटाले को केंद्र कर किताब लिखी और लालू चारा घोटाला मामले में ही जेल की सजा काट रहे हैं।

लालू प्रसाद से मिलने कभी सरयू राय जेल गेट तक भी पहुंचे थे। हाल ही में लालू जब पैरोल पर पटना आये थे तो सरयू राय उनसे मिलने शिवानंद तिवारी के साथ लालू के घर भी पहुंचे थे। कुछ देर की मुलाकात के बाद श्री राय जब लौटने लगे तो लालू प्रसाद उन्हें छोड़ने गेट तक आये थे। राजनीति में ऐसे रिश्ते कम ही देखने को मिलते हैं।

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वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा है- झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने मुख्य सचिव को लिखा है कि लालू प्रसाद को किसी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए, ताकि उनका इलाज बेहतर हो सके। सरयू राय की पहल सराहनीय है।
आपका किसी से राजनीतिक तथा अन्य सवालों पर मतभेद हो सकता है। उन सवालों का हल राजनीति और कानून में खोजते रहिए। पर, मेरी भी यह राय रही है कि लालू प्रसाद जैसे किसी बड़े नेता को समुचित इलाज के अभाव में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए।
लाखों लोग लालू की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखते हैं। लोकतंत्र में लोगों का अधिक महत्व है। मुझे याद है। सत्तर के दशक में ललित नारायण मिश्र ने बिहार के अपने सबसे बड़े राजनीतिक विरोधी नेता के पुत्र के इलाज के लिए आर्थिक मदद की थी।बिना मांगे मदद की थी। विरोधी नेता अत्यंत ईमानदार थे और वे अपने साधनों से अपने पुत्र का विदेश में इलाज नहीं करा सकते थे।

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सरयू राय जिस सरकार में मंत्री हैं, उस सरकार की आलोचना करने से भी वह परहेज नहीं करते। मतभेद के कारण एक बार तो वह कैबिनेट की बैठक से निकल गये थे। कई ऐसे अवसर भी आये, जब सरकार के कामकाज को लेकर जहां विपक्ष को बोलना चाहिए, वहां सरयू राय ने अपनी बात रखी। जाहिर है कि अपनी सरकार की कार्यशैली पर किसी मंत्री का आवाज उठाना सामान्य बात नही है।

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