उग्रवाद अब अंतिम सांसें गिन रहा है झारखंड मेंः रघुवर दास
नई दिल्ली। झारखंड के उग्रवाद प्रभावित जिलों में राज्य सरकार ने 150 करोड़ रुपये खर्च कर वहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार का काम किया है। राज्य के कुल 24 जिलों में 16 जिले उग्रवाद प्रभावित है। 19 जिलों का चयन आकांक्षी जिलों के तौर पर किया गया है। झारखंड में इन आकांक्षी जिलों में 16 नक्सल प्रभावित जिले भी शामिल हैं। ये बातें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नीति नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की 5वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में कहीं।
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उन्होंने कहा कि इन जिलों के विकास के लिए केंद्र विशेष सहायता मुहैया कराता है। केंद्र के सहयोग से ऐसे जिलों में पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। राज्य सरकार ने भी आदिवासी बहुल जिलों खूंटी, साहेबगंज, सिमडेगा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम और पाकुड़ में विकास के लिए विशेष योजना संचालित करने का काम किया है। राज्य सरकार ने इन जिलों के विकास के लिए लगभग 150 करोड़ रुपए खर्च कर लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने का काम किया है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में औसतन सालाना एक 1300 मिलीमीटर वर्षा होती है। लेकिन पिछले कुछ सालों से कई जिलों में सूखे की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस साल भी सामान्य से 50 फ़ीसदी कम बारिश हुई है। सूखे की समस्या को देखते हुए सरकार किसानों को कम पानी वाली फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। शहरी क्षेत्रों में पानी के संचयन के लिए वर्ष 2017 में रेनवाटर हार्वेस्टिंग अधिनियम लागू किया गया।
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नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के 21 जिले नक्सल प्रभावित थे। इनमें 13 जिले अति नक्सलवाद से ग्रस्त थे। आज यह संख्या घट कर बहुत कम रह गई है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने पुलिस बलों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ थानों की संख्या में भी बढ़ोतरी की है। पहले थानों की संख्या 408 थी, जो अब बढ़ कर 547 हो गई है। साथ ही नक्सलियों से लड़ने के लिए एक विशेष बल जगुआर का गठन किया गया है। इसके अतिरिक्त 40 बटालियन फोर्स आज नक्सल विरोधी अभियान में जुटा है। इस बटालियन के पास आधुनिक हथियार के साथ उच्च प्रशिक्षित पुलिस बल कार्यरत है। आने वाले दिनों में नक्सलवाद झारखंड से पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
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बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य में हुए कृषि सुधार, वर्षा जल संरक्षण, आकांक्षी जिला कार्यक्रम, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955, आंतरिक सुरक्षा सुखाड़ एवं राहत समेत अन्य विषयों पर अपना पक्ष रखा। मुख्यमंत्री ने फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत अन्य विषयों पर राज्य में हो रही गतिविधि से नीति आयोग को अवगत कराया। झारखण्ड की ओर से राज्य के मुख्य सचिव डॉ डी के तिवारी भी उपस्थित थे।
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